6 सितम्बर सुबह 5 बजे भोजबासा में ट्राली से भीगीरथी नदी पार करने वालो की लाइन लगी हुई है। फारेस्ट का एक कर्मी सबका परमिट चेक करके ट्राली में बैठने की अनुमति दे रहा है।
रक्तनवन ग्लेशियर जाने वाले SSB के जवानों की एक पलटन सुबह से ही नदी पार करने में लग गयी है। उनको नदी पार करने और अपना सामान दूसरी तरफ भेजने में पूरा 2 घंटा लग गया।
9 बजे हमारे ग्रूप ने भी ट्राली से नदी क्रॉस करना आरम्भ कर दिया। माँ भागीरथी का प्रवाह बहुत ही तेज़ था। ट्राली से नीचे देखने में चक्कर से आ रहे थे।
नदी क्रॉस करके एक एक कर के हम गौमुख की ओर चल दिए। हमारे गाइड नवीन पंवार को छोड़ कर आज तक कोई गौमुख की ओर नहीं गया था। मैं अनुज पाण्डेय महाराज जी सबसे आगे आगे चल दिए। करीब 4 km चलने के बाद हम लोग गौमुख पहुँच चुके थे।
गौमुख जहाँ से माँ गंगा का उदगम होता है। वहाँ गंगोत्री ग्लेशियर से गंगा को निकलता हुआ देखना एक अलग और सुखद अनुभव था।
हमारे पीछे से आने वाले हमारे ग्रूप के बाकी सारे सदस्यों ने गलत रास्ता ले लिया और वो लोग तपोवन की ओर चले गये। बहुत देर तक हम लोगों ने सभी का इंतजार गौमुख में किया, फिर हम लोग आगे की ओर बड़ गये।
अब खतरा बड़ गया था, अब हम चल रहे थे गंगोत्री नेशनल पार्क के ख़तरनाक,जानलेवा ग्लेशियर में। जहाँ चलना कभी भी आसान नहीं रहा। हर साल इस ग्लेशियर में रास्ता बदल जाता है और कभी कभी तो एक दिन में। ऐसा भी होता है आप सुबह एक रास्ते से गये और शाम को आपको दूसरे रास्ते से लौटना पड़े।
हर साल बहुत से लोग यहाँ दुर्घटनाओं का शिकार भी हो जाते हैं। ग्लेशियर में भटकने के चाँस भी बहुत होते हैं। एवेरेस्ट बेस कैंप ट्रेक में गोक्यो लेक जाते हुए हमारे भटकने के बहुत ही चांस थे। आप मेरी ebc सीरीज भी पड़ सकते हैं। बहुत देर तक हमारे ग्रूप के पीछे से आने वाले सदस्य भटकने के बाद हमारे पास आ गये।
करीब 4 घंटे ग्लेशियर में चलने के बाद हम लोगों ने निर्णय लिया आज किसी सुरक्षित जगह पर ग्लेशियर के किनारे ही कैंप लगा लिया जाय। जाना तो आज नन्दनवन था किन्तु ग्लेशियर ने थका दिया और 4 बजे हमने अपना कैंप सेट कर लिया वहाँ से शिवलिंग पर्वत बहुत सुन्दर दिख रहा था।
आगे की कहानी अगले भाग में