#मेरी_कच्छ_भुज_यात्रा
#सनसेट_पुवाईट_दत्रातरेय_मंदिर
#धोलावीरा
#भाग_4
नमस्कार दोस्तों अब तक हमने धोलावीरा पहुंच कर , धोलावीरा मयूजियिम और धोलावीरा हडप्पा सभ्यता सथल को देख लिया हैं । धोलावीरा के आसपास भी बहुत खूबसूरत जगहें हैं घूमने के लिए जहां कोई पब्लिक ट्रांसपोर्ट नहीं जाती , आपको अपने साधन पर ही जाना होता है। मैं तो बाईक लेकर गया था तो धोलावीरा देखने के बाद मैं सनसेट पुवाईट और दत्रातरेय मंदिर की ओर आगे बढ़ गया। धोलावीरा से सनसेट पुवाईट की दूरी कुल 9 किमी हैं । रास्ता बहुत छोटा और सुनसान हैं आपको रास्ते में कोई भी आबादी नहीं मिलेगी । सड़क के दोनों तरफ झाडिय़ों के झुंड देखने को मिलेंगे। ऐसे वीरान और सुनसान जगहों पर बाईक चलाने का अपना अलग ही आनंद आता हैं। खैर धीरे धीरे बाईक सनसेट पुवाईट की तरफ बढ़ रही थी । सनसेट पुवाईट से एक किमी पहले एक रास्ता कच्छ फौसिल पार्क की तरफ मुड़ता हैं जो वहां से तकरीबन दो किमी दूर है । मैं सीधे ही सनसेट पुवाईट की तरफ चला गया। आगे चलकर एक खुले मैदान में पहुंच गया । जहां सामने दत्रातरेय जी का मंदिर , उसके साथ एक वियू पुवाईट जिसे सनसेट पुवाईट कहते है दिखाई दे रहा था, इनके पीछे खुला कच्छ का रण दूर दूर तक दिख रहा था, जो चांदी की तरह चमक रहा था। खुले मैदान के एक तरफ BSF की चौकी हैं। वैसे आपको यहां पहुंचने के लिए किसी परमिट वगैरा की कोई जरूरत नहीं हैं। यह जगह भारत पाकिस्तान सीमा के पास है , कच्छ के रण के उस पार पाकिस्तान का क्षेत्र शुरू हो जाता हैं इसलिए ही यहां यह चौकी बनाई गई है। खुले मैदान में बाईक लगाकर हम पहले दत्रातरेय मंदिर के दर्शन करने के लिए गए। दत्रातरेय जी का मंदिर बहुत खूबसूरत बना हुआ है। हमने माथा टेका और मंदिर के पास एक वृक्ष के नीचे बैठ कर पानी की बोतल से पानी पिया और बिस्किट खाए। फिर हम मंदिर के बगल में ही बने हुए वियू पुवाईट जिसे सनसेट पुवाईट कहते है वहां गए । सनसेट पुवाईट पर कुछ फोटोग्राफी की । सनसेट पुवाईट से आगे जहां जहां तक आपकी नजर जाती हैं आपको कच्छ का रण दूर दूर तक दिखाई देगा, इस रण में सामने एक खूबसूरत पहाड़ी भी दिखाई देती हैं जो बहुत खूबसूरत दृश्य पेश करती हैं । दोपहर का समय था , धूप भी बहुत तेज थी , कच्छ का रण चांदी की तरह चमक रहा था। यहां से शाम को डूबते हुए सूर्य का बहुत खूबसूरत नजारा दिखाई देता है , खैर हमें तो दोपहर में ही निकलना था वापसी के लिए । मन तो था , रण में जाकर देखने का लेकिन असली रण वहां से आधा किलोमीटर दूर था , हमारे पास समय कम था कयोंकि आज वापिस भी जाना था और रास्ते में रण को पार भी करना था तो सोचा वहीं पर रण देखेंगे कयोंकि वापसी में रण पार करते समय रण सड़क के बिल्कुल पास था। कुछ समय सनसेट पुवाईट पर बैठ कर इस जगह की खामोशी का आनंद लेकर हम अपनी बाईक लेकर अपनी अगली मंजिल की ओर रवाना हो गए।
धन्यवाद ।