सच सच बताना, आपको जानने वाले कितने लोग मई-जून के महीने में मनाली की तरफ छुट्टियाँ मनाने गए थे? ऐसे कितने लोगों ने मनाली की हसीन वादियों और खुले आसमान की तस्वीरें अपने इंस्टाग्राम या फ़ेसबुक पर डाली? क्या आप भी ऐसे लोगों में से एक हैं जो इस बार मई-जून में मनाली की तरफ छुट्टियाँ मनाने गए थे ?
चलो ये छोड़ो, ये सुनो, गर्मियों के पिछले 2 महीनों में मनाली घूमने गए लोगों ने मनाली को कूड़े के ढेर में बदल दिया है! वजह? गैरज़िम्मेदार यात्रियों की भीड़!
जी हाँ, सैलानियों ने मनाली में ऐसा गंद मचाया कि अब इस घाटी में फैले 2000 टन कूड़े को कैसे साफ किया जाए, ये सरकारी अफसरों की भी समझ में नहीं आ रहा है |
यूँ तो मनाली में पीक सीज़न के वक़्त हर दिन 30 से 40 टन कचरा निकाला जाता है, मगर इस बार तो सारी हदें ही पार हो गई | इस बार मनाली घूमने गए 10 लाख से ज़्यादा टूरिस्ट पहाड़ों में मस्ती तो कर आए, मगर साथ ही पीछे 3000 टन कचरे का ढेर भी छोड़ आए | 'रिस्पॉन्सिबल टूरिज़्म' के ख़याल की धज्जियाँ तो तब उड़ गई, जब रोहतांग पास से होते हुए सोलांग और मनाली टाउन तक ट्रक भर-भर कर कचरा उतारा गया |
इस कचरे में ज़्यादातर प्लास्टिक है, जिसे पूरी तरह से ख़त्म करने के लिए पंजाब के बरनाला शहर में बने सीमेंट प्लांट में भेजा जाएगा | बाकी कचरे को रंगरी कस्बे के बाहर गार्बेज ट्रीटमेंट फेसिलिटी में भेजा जाएगा | मगर इतना सब करने के बाद भी मनाली में कूड़े के अनगिनत ढेर बचे हुए हैं, और हर दिन कई 100 किलो ताज़ा कूड़ा इकट्ठा किया जा रहा है |
अगर मैं कहूँ कि टूरिस्ट ने मनाली को गंदी नाली बना दिया तो कुछ ग़लत नहीं होगा | ऐसे में रेस्पॉन्सिबल टूरिज़्म के मायने समझना और भी ज़रूरी हो जाता है |
आप घूमने जाते हैं तो कचरे को कैसे फेंकते हैं ? ऐसे ही खुले में कहीं भी या एक ज़िम्मेदार सैलानी की तरह अपने बैग या डस्टबिन में ?
इतना कूड़ा ठिकाने लगाने का कोई आइडिया अगर आपके पास हो तो कमेंट्स में लिख कर बताएँ |