उदयपुर राजस्थान के सबसे सुंदर शहरों में से एक है। यही वजह है कि हर सैलानी इस जगह को अच्छे से घूमना चाहता है। मेरी राजस्थान यात्रा में उदयपुर भी शामिल है। माउंट आबू में एक दिन घूमने के बाद मैं शाम को आबू रोड आया। आबू रोड से उदयपुर के लिए राजस्थान परिवहन की बस मिल गई। आबू रोड से उदयपुर पहुँचने में कम से 3-4 घंटे का समय लगा। मैंने इस शानदार शहर में तीन दिन बिताए और लगभग हर जगह को एक्सप्लोर किया।
उदयपुर में पहला दिन
उदयपुर में मैंने उदय पोल के पास एक होटल में कमरा ले लिया। अगले दिन सुबह उठे तो हमारे पास घूमने का एक प्लान था। सबसे पहले हमें सिटी पैलेस जाना है। सिटी पैलेस पुराने उदयपुर वाले इलाके में है। मैं पैदल-पैदल ही सिटी पैलेस की तरफ चल पड़ा। लोगों से पूछते हुए हम सिटी पैलेस पहुँच गए। हमने ऑनलाइन ही सिटी पैलेस का टिकट ले लिया। सिटी पैलेस का टिकट 300 रुपए का है। अगर आपके पास स्टूडेंट आईडी होगी तो टिकट 150 रुपए का पड़ेगा।
हमें बड़ी पोल से सिटी पैलेस के अंदर चल पड़े। सिटी पैलेस उदयपुर के सबसे बड़े महलों में से एक है। इस महल की नींव 1559 में महाराणा उदय सिंह द्वितीय ने रखी। उस इस समय इस महल को राय आंगन के नाम से जाना जाता था। उनके बाद राजा आते रहे और सिटी पैलेस का निर्माण अपने अनुसार कराते रहे। सिटी पैलेस को बनने में लगभग 400 साल का समय लग गया। आज इस महल की लंबाई 244 मीटर और चौड़ाई 30 मीटर के आसपास है। सिटी पैलेस के एक तरफ शहर है और दूसरी तरफ खूबसूरत पिछोला लेक का नजारा भी देख सकते हैं।
बागौर की हवेली
बागौर की हवेली को देखने के बाद हम प्राचीन जगदीश मंदिर को देखने के लिए पहुँच गए। जगदीश मंदिर उदयपुर के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक है। इस मंदिर का आकार और शैली देखकर खजुराहो की याद आ गई। इस मंदिर को 1651 में महाराणा जगत सिंह ने बनवाया था। उस समय उदयपुर मेवाड़ की राजधानी थी। यें मंदिर लगभग 400 साल पुराना है मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित है और मंदिर में जाने का कोई टिकट नहीं लगता है।
मंदिर को देखने के बाद हम गणगौर घाट की तरफ चल पड़े। गणगौर घाट के पास में बागौर की हवेली है जिसे अब म्यूजियम में तब्दील कर दिया गया है। इस संग्रहालय का टिकट 55 रुपए का है। बागौर की हवेली म्यूजियम बहुत बड़ा नहीं है और इसका मुख्य आकर्षण एक विशाल पगड़ी है। कहा जाता है कि ये पगड़ी दुनिया की सबसे बड़ी पगड़ी है। राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात की पगड़ी की शैली के मिश्रण से बनी ये पगड़ी 30 किलो की है। इस पगड़ी की परिधि 11 फीट, लंबाई 151 फीट और ऊँचाई 30 इंच है। पिछोला लेक किनारे एक रेस्टोरेंट में शानदार खाना खाया।
कुल खर्च : 1660 रुपए
होटल : 900 रुपए
परांठा : 70 रुपए
पोहा : 50 रुपए
टिकट : 410 रुपए
खाना : 170 रुपए
दूसरा दिन
उदयपुर में पहले दिन पैदल चल-चलकर काफी थक गया था इसलिए अगले दिन सबसे पहले हमने एक स्कूटी रेंट पर ली। हमें स्कूटी 400 रुपए में ली और अच्छी बात ये थी कि हमें कोई डिपोजिट भी जमा नहीं करना पड़ा। मेरे साथ ऐसा पहली बार हुआ कि स्कूटी रेंट पर लेने पर डिपोजिट जमा नहीं करना पड़ा। सबसे पहले तो हमने सुबह-सुबह पोहा का नाश्ता किया और फिर सज्जनगढ़ किले को देखने के लिए निकल पड़े।
सज्जनगढ़ किला अरावली पर्वतमाला पर बंसदरा पहाड़ी पर स्थित है। सज्जनगढ़ किले को मानसून पैलेस के नाम से भी जाना जाता है। ये किला समुद्र तल से 994 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। इस महल का निर्माण महाराज सज्जन सिंह ने शुरू करवाया था। इन्हीं के नाम पर इस महल का नाम रखा गया है। बाद में उनके बेटे फतेह सिंह ने इस पैलेस का निर्माण पूरा करवाया। आपको यहाँ से उदयपुर का सबसे शानदार नजारा देखने को मिलेगा। सज्जनगढ़ किले का टिकट 110 रुपए का है। सज्जनगढ़ किले के टिकट काउंटर के पास ही सज्ज्नगढ़ बायोलॉजिकल जू भी है जिसका टिकट 42 रुपए का है। हमने इस जू में गिलहरी, बिल्ली, हिरण, मगरमच्छ, घड़ियाल और चीता को देखा।
बाहुबली हिल्स
सज्जनगढ़ किले को देखने के बाद हम स्कूटी से बाहुबली हिल्स की तरफ चल पड़े। बाहुबली हिल्स बड़ी तालाब के पास में स्थित है। हम पूछते-पूछते बाहुबली हिल्स की तरफ चल पड़े। बाहुबली पहाड़ी के पहले हमें एक बहुत बड़ी झील मिले जिसे जयना लेक के नाम से भी जाना जाता है। इस साफ और सुंदर झील को देखते हुए हम आगे बढ़ गए। कुछ देर में हम उस जगह पर पहुँचे, जहाँ से हमें बाहुबली हिल्स तक पहुँचने के लिए ट्रेक करना था। ट्रेक बहुत कठिन नहीं है, हम आराम से लगभग आधे घंटे में अपनी मंजिल पर पहुँच गए। यहाँ से उदयपुर का एक अलग ही नजारा देखने को मिला।
बाहुबली हिल्स को देखने के बाद हम स्कूटी से वापस उदयपुर की ओर लौटे। हमने उदयपुर के बाहर की जगहें देख ली थी। अब हमें कुछ ऐसी जगहों पर जाना था जो शहर के अंदर थी। हम लोगों से पूछते हुए और गूगल बाबा की कृपा से सहेलियों की बाड़ी पहुँच गए। सहेलियों की बाड़ी एक प्राचीन बगीचा है जिसे महाराणा संग्राम सिंह द्वितीय ने 1710 से 1734 के बीच बनवाया था। उदयपुर के इस पार्क को देखने के बाद हम वापस अपने कमरे पर लौट आए।
कुल खर्च : 2000 रुपए
स्कूटी : 700 रुपए
नाश्ता : 60 रुपए
लंच : 200 रुपए
टिकट : 150 रुपए
होटल : 900 रुपए
दिन 3
उदयपुर में ये हमारा आखिरी दिन था। अब बस नाम मात्र की जगहें बचीं थीं जो हमें देखनी थी। हम सबसे पहले फतेह सागर लेक पहुँचे लेकिन फतेह सागर लेक के सामने मोती मगर है। मोती मगर महाराणा प्रताप का स्मारक है। इस स्मारक को मेवाड़ के महाराणा भगवत सिंह ने महाराणा प्रताप और उनके वफादार घोड़े चेतक की याद में बनवाया था। इस स्मारक को देखने का टिकट 50 रुपए है। मोती मगर में वीर महल, चेतक वाटिका, भामाशाह स्मारक और महाराणा प्रताप का स्मारक है। मोती मगर का परिसर काफी बड़ा है।
कुल खर्च : 1500 रुपए
होटल : 900 रुपए
नाश्ता : 250 रुपए
टिकट : 220 रुपए
खाना : 120 रुपए
मोती मगर को देखने के बाद मैं फतेह सागर लेक पहुँच गया। फतेह सागर लेक में मैंने वोटिंग का भी अनुभव लिया। इस सुंदर झील का निर्माण पहले 1687 में महाराणा जय सिंह ने करवाया था। 200 साल बाद एक बाढ़ में ये झील नष्ट हो गई। इसके बाद 1889 में महाराणा फतेह सिंह ने इस झील का निर्माण करवाया। उन्हीं के नाम पर इस झील का फतेह सागर लेक रखा गया। फतेह सागर लेक उदयपुर की सबसे सुंदर और महत्वपूर्ण झीलों में से एक है। इस झील को देखने के बाद मैं कुछ स्ट्रीट फूड खाने भी गया। इस तरह से मेरी उदयपुर की यात्रा पूरी हुई। आप भी झीलों के शहर को कुछ इस तरह से एक्सप्लोर कर सकते हैं।
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