#मेरी_कच्छ_भुज_यात्रा
#धोलावीरा_हडप्पा_सभ्यता_सथल
भाग_3
धोलावीरा मयूजियिम को देखने के बाद मैं कुछ ही दूरी तक पैदल चल हडप्पा सभ्यता सथल तक पहुंच गया । जहां हडप्पा सभ्यता के पुराने महांनगर धोलावीरा के अवशेष आज भी मिलते हैं। ऊपर से देखकर ऐसा लगता है जैसे कोई बहुत बड़ा शहर उजड़ गया हो सदियों पहले और आज भी अपनी छाप छोड़ गया हैं। दूर से देखने पर एक टीले के रूप में दिखाई देता है धोलावीरा हडप्पा सभ्यता सथल। सुबह 11 बजे का समय था उस दिन गर्मी भी बहुत थी , धूप भी पूरी चमक रही थी लेकिन धोलावीरा फिर भी बहुत अच्छा लग रहा था कयोंकि आज फिर हमारी पुरानी विरासत हडप्पा सभ्यता के रुबरु होने जा रहा था। हडप्पा सभ्यता से संबंधित चौथी जगह की यात्रा हो रही थी मेरी , इससे पहले रोपड़ ( पंजाब) , कालीबंगा ( राजस्थान) और लोथल ( गुजरात) देख चुका था आज धोलावीरा देखने का सपना भी पूरा हो रहा था।
धोलावीरा हडप्पा सथल 100 ऐकड़ में फैला हुआ हैं जो दो मानसूनी धाराओं मानसर ( उत्तर दिशा ) और मनहार(दक्षिण दिशा) के बीच में बसा था । यह दो मानसूनी नदियां धोलावीरा को पानी की सप्लाई करती थी । उस समय के राजा ने इन नदियों के पानी को इकट्ठा करने के लिए शहर की बाहरी सीमा के साथ तालाब बनवाए जो इन नदियों के पानी से भरे जाते थे , जिससे धोलावीरा को पानी की सप्लाई होती थी। धोलावीरा में बारिश बहुत कम होती हैं अब भी और उस समय में भी इसीलिए पानी को इकट्ठा किया जाता था। आज भी जब आप धोलावीरा हडप्पा सथल देखने आते हो तो आपको खुले विशाल गहरे गढ्ढे दिखाई देगें जो तालाब थे। इसके ईलावा धोलावीरा शहर को तीन हिस्सों में बांटा जा सकता हैं ।
1. अपर भाग
2. मिडल भाग
3. लोअर भाग
अपर भाग सबसे ऊंचा और महत्वपूर्ण जगह थी धोलावीरा शहर की जहां पत्थर से बना हुआ एक मजबूत किला हुआ करता था। इसी किले में राजा महाराजा रहा करते थे।
मिडल भाग में आपको खुला मैदान मिलेगा जहां राजकीय कार्यक्रम हुआ करते थे। इसी भाग में बाजार और सटेडियम था और साथ में गलियों का नैटवर्क भी देखने को मिलेगा ।
लोयर भाग में आम लोग रहते थे जो काम करते थे। धोलावीरा में आपको जल संरक्षण करने का शानदार नमूना देखने को मिलेगा । जिंदगी जल के ऊपर ही आधारित हैं । हाईड्रो इंजीनियरिंग की बेमिसाल उदाहरण है धोलावीरा जहां मानसूनी नदियों का पानी इकट्ठा करके शहर में सपलाई किया जाता था।
मैंने भी बड़े आराम से एक तरफ से शुरू होकर पहले तालाब देखे , फिर धीरे धीरे टीले के ऊपर चढ़कर धोलावीरा शहर के अवशेष देखे। पत्थर और ईटों से बनी हुई 4500 साल पुरानी गलियों के नैटवर्क को देखा । लगभग एक घंटा हडप्पा सभ्यता की विरासत को देखकर मैं बाहर आ गया। धोलावीरा को इसी साल यूनैसको वल्र्ड हैरीटेज साईट में शामिल कर लिया गया है। आशा करता हूँ इस कदम से धोलावीरा का नाम और चमकेगा टूरिस्ट मैप पर । अगर आप को ईतिहास और विरासत पसंद हैं तो आपको धोलावीरा की यात्रा जरूर करनी चाहिए। इसके बाद अगले भाग में धोलावीरा के आसपास की जगहों की यात्रा करवायूंगा ।
धन्यवाद ।