गुजरात की अजब जगह लिटल रण आफ कच्छ यात्रा भाग-3 अंतिम भाग वछरा दादा मंदिर

Tripoto
28th Nov 2021
Day 1

#लिटल_रण_आफ_कच्छ_यात्रा
#वछरा_दादा_मंदिर
#भाग_3

नमस्कार दोस्तों जैसे आप पिछली दो पोस्ट में मेरी लिटल रण की सफारी यात्रा के बारे में पढ़ चुके हो । इसी सफारी में हम लिटल रण आफ कच्छ के बिल्कुल बीचोंबीच गुजरात के लोकल देवता वछरा दादा जी के मंदिर के दर्शन करने का मौका मिला । रण के उजाड़ रास्तों पर गुजरते हुए हमारी गाडी मंदिर की ओर बढ़ने लगी । हमारे सामने आगे पीछे बिल्कुल सूखा रण का मैदान था। कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था। यहां मंदिर की ओर जाने वाले रास्ते पर छोटे छोटे झंडे लगे हुए है जिससे आपको मंदिर के रास्ते का पता चल जाता हैं। गुजरात के लोगों में वछरा दादा जी के प्रति बहुत श्रद्धा हैं  अक्सर आपको मंदिर की ओर जाती हुई गाडिय़ों के काफिले मिल जाते हैं। कुछ समय बाद आपको रण में बिल्कुल सामने एक बिलडिंग दिखाई देने लग जाती हैं जो मंदिर की हैं। मंदिर में बहुत बढ़ी गऊशाला हैं । कुछ देर में हम मंदिर पहुंच गए। गाडी पारकिंग में लगाकर हमने मंदिर में प्रवेश किया। जूते उतार कर माथा टेका और वछरा दादा मंदिर की फोटो ली ।
#वछरा_दादा_मंदिर_ईतिहास
दोस्तों वछरा दादा जी सोलंकी खानदान के कुलदेवता हैं। इनका जन्म गुजरात के  सोलंकी कुल में हुआ। इस मंदिर के ईतिहास से बहुत बहादुरी भरी कहानी जुड़ी हुई है जो मुझे गाईड ने बताई थी। उसके अनुसार पुराने समय की बात है गुजरात के एक गांव पर मुस्लिम सैना ने हमला कर दिया और वह 5000 गायों को अपने साथ ले गए। किसी ने यह बात वछरा दादा जब  को बताई तो वह अपनी शादी के फेरे ले रहे थे, अभी दो फेरे ही पूरे हुए थे। वछरा दादा जी अपनी शादी के फेरे बींच में छोड़कर गायों की रक्षा के लिए अपने साथियों के साथ मुस्लिम सैना के साथ युद्ध करने के लिए निकल पड़े। युद्ध करके सभी  गायों को छुड़वा कर गांव वापस आ गए लेकिन गांव की एक बूढ़ी औरत ने कहा तुम सभी गायों को वापिस ले आए लेकिन मेरी गाय अभी तक नहीं आई। वछरा दादा जी फिर से वापिस युद्ध भूमि में गए और उस एक गाय को भी छुड़वा लिया पर इस दौरान युद्ध करते हुए उनका शीश कट गया और कटे हुए शीश के साथ उन्होंने से इस मंदिर वाली जगह  पर वीरगति प्राप्त की । ऐसी वीरता भरी कहानी के साथ वछरा दादा जी देवता के रूप में पूजे जाने लगे ।
#नमक_के_खेत
मंदिर दर्शन के बाद मैंने वापसी करते हुए रास्ते में नमक के खेत देखे। नमक की खेती करने वाले लोगों के घर गया । वहां उनके साथ फोटो भी खिंचाई। लिटल रण में बंजर जमीन है यहां नमक के बिना किसी चीज की खेती नहीं होती । नमक के खेत को बड़ा पाईप लगाकर पानी से भर दिया जाता है। इस खेत को सूखने के लिए धूप में कुछ दिन के लिए। जब खेत सूख जाता है तो नमक नीचे रह जाता हैं। इस नमक को इकट्ठा करके  नमक का ढेर बनाया जाता हैं। इस तरह लिटल रण आफ कच्छ की सफारी करके मैं  वापिस कैंप साईट पर आ गया। जहां से आटो पकड़ कर जैनाबाद पहुंचा। जैनाबाद से मुझे राजकोट के लिए सीधी बस मिल गई जिसे पकड़ कर मैं राजकोट पहुंच गया । जहां मैंने अपने कालेज में सटूडैंटस की कलास लेनी थी ।
धन्यवाद।

वछरा दादा जी

Photo of Little Rann of Kutch by Dr. Yadwinder Singh

वछरा दादा मंदिर

Photo of Little Rann of Kutch by Dr. Yadwinder Singh

नमक के खेत

Photo of Little Rann of Kutch by Dr. Yadwinder Singh

नमक की खेती करने वाले लड़के के साथ मैं

Photo of Little Rann of Kutch by Dr. Yadwinder Singh

लिटल रण आफ कच्छ में छिपता हुआ सूर्य

Photo of Little Rann of Kutch by Dr. Yadwinder Singh

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