#लोथल_हडप्पा_सभयता_सथल
दोस्तों लोथल संग्रहालय देख कर मैं, लोथल साईट को देखने गया जो पास ही हैं। यहां मेरे आटो वाले भाई ने मुझे लोधल दिखाने के लिए गाईड का भी काम किया। उसने मुझे लोथल के बारे में काफी कुछ बताया, कयोंकि वह लोथल के पास के गांव का ही रहने वाला था। बचपन से ही लोथल आ रहा है, उसने बताया अभी भी आपको लोथल के आसपास 7- 8 किलोमीटर में कोई आबादी नहीं मिलेगी। गांव भी इस वीरान जगह से दूर ही बसे हैं। हमारे लिए लोथल नयी सभयता को पुरानी सभयता से जोड़ने के लिए बहुत बढिय़ा कड़ी हैं। लोथल का उत्खनन प्रो. एस आर राव ने 1955- 62 के बीच करवाया। लोथल में हड़प्पाकालीन नगर ( लगभग 2500-1900 ई. पूर्व) से समबंधित अवशेष मिले।
लोथल को दो भागों में बाँटा गया हैं
1. दुर्ग क्षेत्र
2. नगर क्षेत्र
#दुर्ग_क्षेत्र- इस क्षेत्र में समाज के प्रमुख वर्ग के लोग रहते थे, जिनके आवास 3 मीटर ऊँचे चबूतरे पर बने हैं। यहां सभी प्रकार की नागरिक सुविधाएं पकी ईटो के सनानघर, नालियां, जल के लिए कुएँ की सुविधा थी।
#नगर_क्षेत्र
इसके भी दो भाग थे- वयापारिक क्षेत्र और आवासीय क्षेत्र
व्यपारिक क्षेत्र में सिर्फ कामगार लोग रहते थे। यहां के अवशेषों में एक माल गोदाम और जलाशयनुमा गोदी हैं
#माल_गोदाम
यहां पर माल , सामान को सटोर करके रखा जाता था, जो माल भेजना होता था और जो माल बाहर से आता था। यह 3 मीटर ऊँचा बना हुआ है।
#गोदी
गोदी को अच्छी तरह से ईटो से पकाया गया हैं, इसको पानी का लगातार बहाव रखने के लिए बनाया गया था।
लोथल को अच्छी तरह से देखने के बाद मैं आटो से रेलवे फाटक पहुंच गया, वहां मुझे अहमदाबाद की सीधी बस मिल गई। इस तरह मेरी लोथल यात्रा खत्म हुई।
नमस्कार