चलिए आपको आज एक खज़ाने की कहानी सुनाते हैं, हरे पहाड़ों और सुंदर नज़ारों के बीच छुपे खज़ाने की कहानी। इस खज़ाने, मेरा मतलब इस घाटी की कहानी में सेबों का बहुत योगदान है। थानेदार घाटी जब भी कोई जाता है, तो वहाँ पर उगे हुए सेब के पेड़ और बीच-बीच में झाँकते बेर और खुबानी के पेड़ देखकर मुँह से पानी आ जाता है। लेकिन थानेदार घाटी के बारे में सिर्फ़ इतना कहने से काम नहीं चलता जब तक इन पेड़ों की बहुतायत के पीछे छिपे ट्रैवलर की कहानी ना कही जाए।
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थानेदार घाटी की कहानी
यह कहानी 20वीं सदी के आख़िर में शुरू होती है। 19-20 साल का एक लड़का था, सैमुअल स्टोक्स। फ़िलाडेल्फ़िया से भारत आया था और फिर यहाँ की ख़ूबसूरती देख उसका मन किया कि यहीं बस जाया जाए। भारतीय दर्शन जिनको पसन्द आता है, उनकी ऐसी इच्छा हो ही जाती है। उसने थानेदार घाटी को अपना घर बनाने का फ़ैसला किया। यहीं पर उसने कुछ ज़मीन ली। कश्मीर, कुल्लू और मशोबा की घाटियों से उसने सेब के कुछ बीज इकट्ठा किये थे, जिनसे उसने इलाक़े में ढेर सारे सेब के पेड़ उगाए।
तब से ही इस जगह पर सेब की खेती शुरू हुई। कुछ समय बाद गाँव के ही लोगों ने खुबानी और बेर के पेड़ भी लगाने शुरू किए। धीरे-धीरे करके ये ज़मीन किसानों के लिए सोना उगाने लगी, मतलब गाढ़ी कमाई का ज़रिया बन गई।
ये तो रही इसकी सेब वाली कहानी, लेकिन हम मुसाफ़िरों के लिए तो यह सेब से भी बढ़िया ज़मीन है। जहाँ बंजारों की तरह किसी रास्ते की फ़िक़्र किये बिना घुमक्कड़ी की जा सकती है। हर जगह पर रुकने के लिए व्यवस्था है, खाने पीने की सुविधा है। और बेहतर, सैमुअल जैसे कई लोग यहाँ के ही होकर रह जाते हैं।
नज़दीक में घूमने के लिए
1. कोटगढ़
कोटगढ़ ने कई लड़ाइयाँ देखी हैं। नेपाल, काँगड़ा, कुल्लू, पंजाब और आख़िर में ईस्ट इंडिया कंपनी की लड़ाई यहाँ हुई हैं। आख़िर में गोरखाओं की सेना को ईस्ट इंडिया कंपनी ने हराकर इस पर आधिपत्य किया था। कोटगढ़ थानदार घाटी से कुल 5 किमी0 की छोटी सी सैर जितना दूर है।
2. तानी जुब्बर झील
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यहाँ से क़रीब 8 किमी0 दूर स्थित ये तानी जुब्बर झील शायद दुनिया की सबसे छोटी झील है। लेकिन इसकी दुनिया अपने आप में बहुत बिखरी और बड़ी है। नाग देवता का मंदिर है सामने, उनकी पूजा करने के साथ ही लोग यहाँ पर भी अपनी मन की शान्ति के लिए आ ही जाते हैं। थानेदार से नारकण्डा की तरफ़ बढ़िये तो बायीं दिशा पर आगे डेढ़ किमी0 चलकर ये झील मिलती है।
3. हाटू की चोटी
यहाँ की सबसे ऊँची चोटी हाटू की चोटी है, जहाँ से पूरा शहर रेंगता हुआ दिखाई देता है। 11,155 फ़ीट ऊँची इस जगह पर माँ हाटू देवी की पूजा होती है। बड़े जंगलों से होकर गुज़रता है यहाँ का रास्ता, जो कि अपने आप में ही बढ़िया चढ़ाई है। लेकिन इस रास्ते में इतनी ही शान्ति है, जितनी किसी तपस्वी को तपस्या के लिए चाहिए होती है।
4. बरोबग हिल
बरोबग थानेदार का सबसे ऊँचा पॉइंट है। लेकिन चोटी बोलना इसलिए ठीक नहीं रहता क्योंकि यह अपने आप में काफ़ी बड़ा इलाक़ा है। 1912 में यहाँ पर ही सैमुअल ने सेब की पहली खेप डाली थी। इसलिए इसका ऐतिहासिक महत्त्व भी ख़ूब है। यहाँ पर एक घर है, तीन लेयर वाला यह घर पत्थर, लकड़ी और स्लेट से बना है, जो कि काफ़ी आकर्षक है।
रहने और खाने के लिए
1. बंजारा ऑर्चर्ड रिट्रीटः
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सेब के बगीचे देखने के लिए, घाटी में मन रमाने के लिए या फिर सतलज पर अपने दिन का चाय नाश्ता करने के लिए यह जगह वाक़ई में अप्रतिम है। यहाँ पर आठ कमरे हैं, आरामदायक सूईट हैं, खाने के लिए और बैठक के लिए अलग से जगह है। कुछ ऐसी डिशें हैं, जिनको बनाने का तरीक़ा इतना जुदा है, जो आपने यहाँ के अलावा शायद ही कहीं और चखा हो।
2. विल्डरनेस रिसॉर्टः
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तानी जुब्बर झील के पास में ही है यह रिसॉर्ट। डाइनिंग हॉल, कॉमन टीवी और हीटर जैसी मूलभूत सुविधाओं से सजा हुआ यह रिसॉर्ट 6 बेहद सुन्दर सूईट आपकी खिदमत में हाज़िर करता है। थानेदार की वादियों का नज़ारा दिल भर कर देखने के लिए शायद ही इससे सुन्दर जगह कोई और हो।
3. पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउसः
थानेदार घाटी की ओर बढ़ती हुई सोलिटरी रोड के दाईं ओर बसता है पीडब्ल्यूडी रेन्ट हाउस। दो साफ़, सुन्दर कमरे, उसके साथ लॉन और यात्रियों के लिए विशेष स्वागत कक्ष, खाना आपकी पसन्द का। किस भी घर में ये सारी चीज़ें हों, तो उसको कौन ही छोड़ना चाहेगा।
जहाँ तक बात आती है खाने पीने की, तो इन जगहों के अलावा दूसरी कुछ जगहें भी हैं, जहाँ पर आप अपने नाश्ते के लिए जा सकते हैं। लगभग हर बड़ी रोड पर आपको खाने की ढेरों दुकानें मिल ही जाएँगी।
कैसे पहुँचे थानेदार घाटी
हवाई मार्गः थानेदार के सबसे नज़दीकी हवाई अड्डा शिमला का है जो क़रीब 80 किमी0 दूर है। यहाँ से आपको आसानी से टैक्सी उपलब्ध हो जाएगी।
रेल मार्गः यहाँ का सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन शिमला का है, जो कि टॉय ट्रेन से जुड़ा हुआ है। यहाँ पर पहुँचने के लिए आपको कालका से टॉय ट्रेन पकड़नी होगी, जो कि एक घण्टे में आपको यहाँ पहुँचा देगी।
सड़क मार्गः दिल्ली के आईएसबीटी कश्मीरी गेट से शिमला के लिए बसें चलती हैं जो रात भर में आपको शिमला छोड़ देंगी। यहाँ से आपको थानदार घाटी के लिए कुल 80 किमी0 लोकल बस से तय करने होंगे।
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