पंजाब का ईतिहासिक गुरुद्वारा बाबा बकाला साहिब जहां नौवें गुरु तेग बहादुर जी ने 26 साल तपस्या की

Tripoto
14th Sep 2014
Day 1


#गुरुद्वारा_बाबा_बकाला_साहिब
#पातशाही_नौवीं
#जिला_अमृतसर

नमस्कार दोस्तों 🙏🙏
आज की पंजाब की पोस्ट में आपका स्वागत है। दोस्तोंइस पोस्ट   का मनोरथ आपको पंजाब की धार्मिक, ईतिहासिक जगहों के दर्शन करवाना और उनके ईतिहास से रूबरू करवाना हैं।
दोस्तों बाबा बकाला नाम का ईतिहासिक कसबा अमृतसर जिले में अमृतसर-  जालंधर जीटी रोड़ से 5 किमी दूर, अमृतसर से 43 किमी और जालंधर से 47 किमी दूर हैं। सिख धर्म में बाबा बकाला साहिब का बहुत महत्व हैं। यहां पर नौवें गुरु तेग बहादुर साहिब जी के नानके ( नौनिहाल) थे, उनकी माता नानकी जी यहां की रहने वाले थी। बाबा बकाला में दरबार साहिब के साथ नौ मंजिला भोरा साहिब बना हुआ हैं, जहां गुरु तेगबहादुर साहिब जी ने 26  साल, 9 महीने और 13 दिन की कठोर तपस्या की थी। दोस्तों आप जब भी कभी गुरू तेगबहादुर साहिब के गुरूद्वारे में दर्शन करोगे तो आपको भोरा साहिब जयादातर जगहों पर मिलेगा, कयोंकि गुरु साहिब बहुत बड़े तपस्वी थे, हमेशा परमात्मा के साथ बिरती जोड़कर रखते थे, यहां भी जमीन के नीचें एक भोरा साहिब बना हुआ हैं और उसके ऊपर नौवीं पातशाही को समर्पित नौ मंजिलें बनाई हुई हैं। दोस्तों आज नौवीं पातशाही गुरु तेगबहादुर जी का गुरतागददी दिवस है और गुरु जी को गुरगददी का तिलक भी बाबा बकाला साहिब के दरबार साहिब वाली जगह पर लगाया गया। गुरु जी को गुरगददी मिलना भी बहुत बड़ी कहानी हैं, जो मैं आपको आज बतायूगा।
#गुरु_लाथो_रे
गुरु लाथो रे का अर्थ है, गुरु जी ढूंढ लिए हैं, दोस्तों बाला प्रीतम आठवें गुरु हरिकृष्ण जी जिनकी याद में दिल्ली में गुरुद्वारा बंगला साहिब बना हुआ हैं, जब दिल्ली में जयोति जोत समाने लगे तो संगत ने कहा अगला गुरु कौन होगा तो गुरु हरिकृष्ण जी ने कहा "बाबा बकाले" ,, मतलब अगले गुरु जी बाबा बकाले में हैं, तब गुरु तेगबहादुर जी भोरा साहिब में तप कर रहे थे। बहुत सारे नकली गुरुओं ने भी बाबा बकाला में अपनी दुकान चला दी और अपने आप को गुरु कहना शुरू कर दिया। तब भाई मकखन शाह लुबाना जो बहुत बड़ा वयापारी था उसका समुद्री बेड़ा समुद्र में डूब रहा था तो उसने मन ही मन गुरूघर में अरदास की हे पातशाह मेरे डूबते हुए बेड़े को पार लगादो मैं आपके दर पर पांच सौ मोहरे चड़ायूगा। गुरू जी ने उसकी पुकार सुनी और उसका बेड़ा पार लग गया। जब उसे पता लगा कि अगले गुरु बाबा बकाला में हैं तब भाई मकखन शाह लुबाना बाबा बकाला आए और उन्होंने ने देखा यहां तो बहुत सारे गुरु बने हुए हैं। फिर वह हर नकली गुरु को पांच पांच मोहरे का माथा टेकता रहा, उसने सोचा जो असली गुरु होगा वह अपने आप पांच सौ मोहरे मांग लेगा, पर किसी ने भी ऐसे नहीं किया। जब वह वहां से निराश हो जाने लगा, तब किसी ने बताया यहां एक बहुत बड़ा तपस्वी हैं जो जयादा समय अपने भोरे में ही तपस्या करते रहते हैं, जब भाई मकखन शाह लुबाना ने गुरु जी के आगे पांच मोहरे का माथा टेका तो गुरू जी ने उसे अपना जख्मी कंधा दिखाते हुए कहा तेरा डूबता बेड़ा पार लगाते हुए मेरा कंधा जखमी हो गया हैं और तुम पांच सौ मोहरे की जगह पांच मोहरे दे रहा हैं। तब भाई मकखन शाह लुबाना बहुत खुश हो गए उनको सच्चा गुरु मिल गया था, उन्होंने छत के ऊपर चढ़ कर शोर मचा दिया, गुरु लाथो रे, असली गुरु मिल गए हैं। फिर बाबा बकाला दरबार साहिब में गुरु जी को तिलक लगाकर गुरगददी पर बिठाया गया। गुरूद्वारे के आंगन में ही मंजी साहिब नाम की जगह बनी हुई है जहां गुरु जी से नफरत करने वाले शीहें मसंद ने धीर मल के कहने पर गुरु जी पर गोली चलवा दी थी लेकिन सतगुरू जी बच गए थे। बाबा बकाला में रहने के लिए बहुत सुंदर सराय बनी हुई है जहां आपको पांच सौ रुपए में ac कमरा भी मिल जाता है। लंगर की भी उचित वयवस्था हैं। आप जब भी जालंधर से अमृतसर या अमृतसर से जालंधर जाऐंगे तब रास्ते में बाबा बकाला साहिब के दर्शन जरूर करना।

गुरुद्वारा बाबा बकाला साहिब जिला अमृतसर

Photo of Baba Bakala by Dr. Yadwinder Singh

बाबा बकाला साहिब का अंदरूनी दृश्य

Photo of Baba Bakala by Dr. Yadwinder Singh

गुरुद्वारा मंजी साहिब बाबा बकाला

Photo of Baba Bakala by Dr. Yadwinder Singh

बाबा बकाला साहिब का प्रवेश द्वार

Photo of Baba Bakala by Dr. Yadwinder Singh

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