साल 2022 घुमक्कड़ी के हिसाब से बहुत अच्छा रहा इस साल मैंने 2 वर्ल्ड रिकॉर्ड भी बनाये।
जनवरी - जनवरी की शुरुआत हुई 36 घंटे की नॉन स्टॉप साइकिलिंग से जिसमें सिर्फ खाने और चाय पीने के लिए रुका गया। असम के तेज़पुर से नागालैंड के वोखा जिले में दोयाग झील तक की ये यात्रा 440 km थी।
फरवरी - इस महीने असम के कनुका विलेज घुमा गया।
मार्च - मार्च का महीना था एडवेंचर का। आज तक की मेरी लाइफ का सबसे बड़ा एडवेंचर इस महीने हुआ। इस महीने होली वाले दिन से ईगल नेस्ट वाइल्ड लाइफ सेंचुरी की साइकिलिंग राइड करी जो की एक पुराने से टूटे फूटे पहाड़ी रास्तों में में घने जंगलो में थी। जिसमें एक पागल हाथी से सामना भी हुआ लेकिन जान बच गयी।
अप्रैल - अप्रैल में अपनी कार और फैमिली के साथ तवांग, बुमला, माधुरी लेक, जांग वाटरफॉल, दिरांग, सेला पास और बोमडीला का सफर हुआ।
मई - बाबा केदारनाथ जी के कपाट खुलने पर दर्शन हुऐ। ये ट्रेक नंगे पैर किया गया।मई में ही ब्लैक पीक 6387 मीटर पर चढाई करी रिकॉर्ड 5 दिनों में और अपना पहला वर्ड रिकॉड बनाया। बाबा रुद्रनाथ जी के दर्शन भी इस महीने किये।
जून और जुलाई - जून और जुलाई में असम में ही बहुत सारी साइकिल राइड की गयी।
अगस्त - अगस्त में 6111 मीटर का यूनाम पीक का सफलता पूर्वक आरोहण किया गया। इसके ठीक 4 दिन बाद 5974 मीटर के कानमो पीक में भारत का 100 मीटर का झंडा फहराकर अपना दूसरा वर्ल्ड रिकॉर्ड सेट किया। अगस्त में ही चंद्रताल, हिकीम, चिचम ब्रिज, लांजा, किब्बर और मनाली घुमा गया।
सितम्बर - सितम्बर में गगोत्री, गौमुख, नन्दनवन और वासुकी ताल गया। सतोपंथ पर्वत 7075 मीटर एक्सपीडिशन भी किया लेकिन मौसम ख़राब होने की वजह से कैंप 1 से वापस आना पड़ा।
अक्टूबर - अक्टूबर में अरुणाचल के ज़ीरो म्यूजिक फेस्टिवल में बाबा सहगल के गानों का मजा लिया और ज़ीरो घुमा।
नवंबर - नवंबर में दुनियाँ के नदी द्वारा बनाया गया सबसे बड़ा आइलैंड तीसरी बार गया और माजुली म्यूजिक फेस्टिवल में लकी अली को तस्सली से सुना।
दिसंबर - दिसंबर सबसे बिजी रहा अगस्त और सितम्बर की तरह ही। इस महीने पहले नागालैंड के कोहिमा के पास हॉर्नीबिल फेस्टिवल देखा उसके बाद नागालैंड की दूसरी सबसे ऊँची चोटी जाफु पीक का ट्रेक किया।
उसके कुछ दिन बाद अरुणाचल और देश के सबसे ईस्टर्न पार्ट यानी किबिथु की साइकिलिंग की। इस राइड के दौरान जोराहट, शिवसागर,भूपेंद्र हजारिका ब्रिज, बोगी बिल ब्रिज, वाक्रो, तेजू, हयुलिंग, ग्लो लेक ट्रेक, दोंग ट्रेक, वालोंग, किबिथु,चाइना बॉर्डर, काहो भारत का पहला गाँव ये सब देखा।
इसके बाद मणिपुर में इम्फाल, मोरेह भारत म्यांमार बॉर्डर, लोकटक लेक, किबुल लंजो नेशनल पार्क घुमा।
कुछ दिन बाद फिर भारत और चाइना के एक और बॉर्डर की ओर गया। अरुणाचल में टुटिंग और गेलिंग की ओर।
आशा करता हूँ 2023 में और ज्यादा साइकिलिंग, पर्वतारोहण और घुमक्कड़ी होगी।