अभी हाल ही मे मई माह मे किसी व्यक्तिगत कारण से मुंबई जाना हुआ । वैसे तो मुझे बड़े शहर जैसे दिल्ली, मुंबई, चेन्नै, कोलकाता इत्यादी ज्यादा पसंद नही है ! लेकिन फिर भी लाइफ मे एक बार कम से कम मुंबई जाना ही था । बहुत सुना है इस शहर के बारे मे लोग अपनी किस्मत का सिक्का आजमाने के लिए इस शहर का रुख करते है। इसे मायानगरी यूँही नही कहा जाता ! कुछ तो बात होगी?
मैंने अपनी यात्रा दिल्ली से शुरू की । हालाँकि मैं अपने परिवार के साथ यात्रा करना ज्यादा पसंद करता हु। मगर ये थोड़ा व्यक्तिगत मामला था तो इस बार अकेला ही था
पिछले कुछ सालों से बहुत ज्यादा यात्रा तो नही की थी
तो थोड़ा एक्साइटेड् था । रात को लगभग 10 बजे ट्रेन हजरत निजामुद्दीन स्टेशन से चली ! रेल यात्रा मुझे बचपन से ही पसंद है । हाल ये था की रात होने पर भी नींद नही आ रही थी । ट्रेन जिस भी स्टेशन पर रुकती मैं थोड़ी देर के लिए उतर जाता कुछ खाने का समान ले लेता। इसका भी अपना अलग मज़ा है आप स्टेशन पर ही उस राज्य का प्रमुख व्यंजन चख सकते है। यही तो रेल यात्रा का मज़ा है सुबहः 4 बजे ट्रेन कोटा मे थी लेकिन मुझे नींद नही आ रही थी
लगभग सारी रात मुझे नींद नही आयी। लगभग सभी स्टेशन पर उतरा कुछ खाया पिया ये सिलसिला मुंबई पोहोचने तक निरंतर चलता रहा जब ट्रेन गुजरात मे थी स्टेशन पर मैंने मेथी के थेपले खाये बड़े ही स्वादिष्ट थे । मुंबई पोहोचने पर मैंने सबसे पहले वडा पाव खाया । मज़ा आ गया था एकदम। बांद्रा स्टेशन पर उतर कर अब मुझे आगे की यात्रा करनी थी दिल्ली से मुंबई की रेल यात्रा लगभग 18 घंटे की थी मैं शाम 6 बजे बांद्रा स्टेशन पर था। वहा से मैं अंधेरी पश्चिम गया मुझे अगली सुबह यही पर कुछ काम था
मैंने पहले ही यहा एक हॉस्टल मे बुकिंग ले रखी थी लगभग 8.30 बजे मैंने चेक इन किया थोड़ा फ्रेश होकर बाहर घूमने गया देखा की खाया क्या जा सकता है ?
गर्मी और उमस से मैं परेशान होने लगा था लेकिन अभी तो ये शुरुआत थी । थोड़ा बहुत खाने के बाद मैं वापस हॉस्टल आ गया । मैं थोड़ा थका हुआ था इसीलिए जल्दी ही सो गया
अगला पूरा दिन मैं थोड़ा व्यस्थ रहा कही भी घूमने नही जा पाया । हालाँकि मुंबई की जीवन रेखा लोकल ट्रेन मे थोड़े धकके जरूर खाये । गज़ब अनुभव था । भीड़ के साथ सफर करने का । सड़क पर मैंने डबल डेकर रेड बस भी देखी
जिसे अक्सर हम पुरानी फिल्मों मे देखते थे। मैं एक बच्चे की तरह खुश था उस डबल डेकर लाल बस को देखकर ।
पूरा दिन मैं थोड़ा व्यस्थ रहा शाम को मैं लगभग 7 बजे फ्री हुआ । मुंबई मे मेरा एक पुराना कॉलेज के समय का दोस्त भी रहता है । उसका कॉल आया की मेरे यहा आ जाओ
वो कही नवी मुंबई मे रहता था । उसके आग्रह करने पर
रात को उसके यहा चला गया । एक बार फिर लोकल की सवारी की । नेरुल स्टेशन पर वो मुझे लेने आ गया।
हम लोगो ने बाहर ही खाना खाया और रात लगभग 11 बजे हम उसके अपार्टमेंट पर थे बस वहा पोहोचकर जल्दी ही सो गया ।
मेरा दोस्त सरकारी नौकरी मे है तो शनिवार और रविवार को उसकी छुट्टी थी । तो इन दो दिनों मेरे साथ ही था
वो मुंबई मे पिछले 5 सालों से है। इस शहर को ठीक ठाक जान भी गया है । मैंने कहा भाई अब दो दिन तुम ही बताओगे की कहा जाना, क्या करना है। क्या क्या खाना है, क्या देखना है!
सबसे पहले हम दक्षिण मुंबई गेटवे ऑफ इंडिया गए
यह इमारत मुंबई की पहचान है हमेशा किताबो मे ही देखा था आज साक्षात देख रहा था। लेकिन गर्मी बहुत थी मेरा तो पसीना ही नही सुख पा रहा था । हमने एक बड़ी बोट मे सवारी भी की लगभग आधा घंटा हम समुंदर की लहरों पर थे
उसके बाद पास ही होटल ताज को भी बड़े पास से देखा बेहद ही खूबसूरत था ।
उसके बाद हमने लंच लियोपोल्ड कैफे मे किया
जो की अपने अतरंगी खाने के लिए प्रसिद्ध है काफी सारे विदेशी भी यहा थे । ये काफी पुराना कैफे है मुंबई हमले के दौरान यह कैफे भी क्षतिग्रस्त हुआ था इसके बाद हम खाओ गली भी गए यहा भी कुछ रोल्स खाये तथा इसके बाद हम
मरीन लाइंस गए । ये खूबसूरत जगह थी समुंदर के समांतर एक साफ सुथरी सड़क शाम के समय यहा काफी लोग थे
काफी हलचल थी यहा बैठ कर आप घंटो समुंदर की लेहरे देखकर समय व्यतीत कर सकते है। इसके बाद हम चौपाटी बीच गए शाम यही गुजारी खाया पिया और इसके बाद हम वापस नवी मुंबई आ गए ।
अगली सुबह नास्ता करके हम फिर घूमने निकले
सबसे पहले हम बैंड स्टेंड फोर्ट गए । ये भी खूबसूरत जगह थी यहा समुंदर थोड़ा उथला था, छोटी बड़ी चट्टाने भी थी रविवार होने की वजह से काफी भीड़ भी थी यहां काफी अच्छा समय गुजरा । बांद्रा वर्ली सी लिंक भी देखा बेहद ही शानदार था मॉडर्न जमाने का बेहद ही खूबसूरत शाहकार था
दोपहर मे ज्यादा गर्मी की वजह से हम ज्यादा नही घूम सके हमने रुकना ही बेहतर समझा । शाम को हम मुंबई के सबसे प्रसिद्ध बीच जुहू बीच भी गए । यही शाम तक रहे
सूर्यास्त भी यही देखा बीच पर ही खाना भी खाया तथा शाम को यहीं से वापस नवी मुंबई चले गए इस प्रकार के आज का दिन भी समाप्त हो गया ।
अगले दिन मुझे वापस दिल्ली आना था। दोस्त से भी काफी दिनों बाद मिलना हुआ। उसकी वजह से ही दो दिन काफी अच्छे से घूम पाया। अब समय था इस खूबसूरत शहर को अलविदा कहने का । वादा किया इस शहर से की दोबारा फिर आऊँगा ।
तो इस प्रकार पूरी यात्रा संभव हो सकी ।
इस यात्रा मे भी काफी कुछ सीखने का अवसर प्राप्त हुआ।
अगली बार मिलते है फिर किसी नये सफर पर, फिर किसी नई यात्रा पर ।