यात्रा का जीवन में अपना स्थान है मेरे अनुसार हर अच्छे व्यक्ति को घुमक्कड़ होना चाहिए इससे आपको हर जगह के बारे में बहुत ही जानकारियां मिलते हैं और वहां के लोगों के जीवन के रहन-सहन खानपान के बारे में बहुत कुछ पता चलता है और सबसे बड़ी बात तो इससे आपके जीवन में एक नई ऊर्जा का संचार होता है जिससे आप अपना कामकाज और अच्छे ढंग से कर सकते हैं इसी सिलसिले को बनाए रखने के लिए हम लोग 29मई 2019 को हम लोग कार से काठगोदाम के लिए निकल पड़े ,इस यात्रा में हमारे साथ मेरे बहन और बहनोई और उनके दो बच्चे शामिल थे, हम लोगों का ट्रेन से रिजर्वेशन भी था 30 मई को लेकिन गर्मी बहुत होने कारण हम लोगों ने कार से जाना उचित समझा, अब जरा अपनी कार के बारे में बताते हैं यह कार है स्विफ्ट डिजायर जो हमारे बहनोई साहब की कार है ,पूरे रास्ते में आते और जाते हुए और पहाड़ों पर कार हमारे बहनोई जी ने चलाई क्योंकि हमें चलाना नहीं आता है , हमारे बहनोई जी का नाम है श्री सौरभ शुक्ला वह रेलवे में लोको पायलट है हम उन से उन्नाव हाईवे के पास में दोपहर 2:00 बजे करीब मिले क्योंकि वह कानपुर में रहते हैं और वहीं से आ रहे थे, फिर हम लोग करीब 2:00 बजे उन्नाव हाईवे से काठगोदाम की तरफ चल पड़े हम लोग मेन शहरों को छोड़ते हुए बाईपास के रास्ते से काठगोदाम के लिए निकले उन रास्तों की हालत ज्यादा अच्छी तो नहीं थी लेकिन फिर भी काम चलाऊ थे, रात में करीब 11:00 बजे हम लोग हल्द्वानी पहुंचे अब सभी को भूख जोरों से लगाए थे लेकिन हल्द्वानी में हर जगह नानवेज मिल रहा था रात होने की वजह से ज्यादातर होटल बंद हो चुके थे फिर मुश्किल से एक होटल जो काठगोदाम के पास में था मेन रोड पर वहां हम लोगों ने डिनर किया डिनर रेट के हिसाब से ज्यादा अच्छा नहीं था उसके रेट ज्यादा थी लेकिन खाने मैं मजा ज्यादा नहीं आया ,फिर करीब 11:30 बजे हम लोग काठगोदाम के रेलवे स्टेशन पहुंचे वहां रिटायरिंग रूम में हम लोगों ने बेंच पर एक या 2 घंटे काटे लेकिन वह मच्छर बहुत तेज गर्मी बहुत थी ,इसलिए हम लोग इस कार में एयर कंडीशन चला कर सोने की कोशिश करने लगे सुबह फ्रेश होने के बाद हम लोग काठगोदाम से करीब 6:00 बजे मुक्तेश्वर के लिए हुआ वाया भीमताल निकल पड़े ,जो हम लोग धानाचुली पहुंचे तो अचानक से ठंड एकदम बढ़ गई हैं बच्चों को कार में साथ में लाए हुए चद्दर उड़ा दिए गए धानाचुली बहुत अच्छा प्लेस है यहां से घाटियों का नजारा बहुत बेहतरीन है यह करीब मुक्तेश्वर की ऊंचाई पर ही है और सर्दियों में यहां स्नोफॉल भी होते हैं , रास्ते में एक होटल टी आरोहा पड़ा वह हम लोगों ने रुकने के लिए पता किया तू करीब ₹7000 24 घंटे के लिए था जो कि बहुत महंगा है, इसलिए हम लोग आगे बढ़ते चले गए हैं फिर सरगा खेत पहुंचकर एक होटल में एक रूम लिया जो कि हम लोगों को ₹ 12 00 का पड़ा यहां का आसपास का नजारा बहुत बेहतरीन है ,क्योंकि हम सब लोग बहुत थक चुके थे इसलिए होटल में जाकर तुरंत रेस्ट करने लग गए , फिर थोड़ा आराम करने के बाद हम लोग भालू गाड़ वॉटरफॉल के लिए निकले जो वहां से करीब 10 किलोमीटर था रास्ते में एक महिला को लिफ्ट दी गई जिसका गांव उसी वाटरफॉल के पास में था तो उसने हम लोगों को वहां तक पहुंचा दिया ,यहां का टिकट ₹ 15 पर व्यक्ति है वहां जाकर पता चला कि इस समय वाटरफॉल में पानी बहुत कम है लेकिन हम लोग वाटरफॉल देखने के लिए निकल पड़े, करीब डेढ़ किलोमीटर पैदल ट्रैक करने के बाद हम लोग वाटरफॉल तक पहुंचे वाटरफॉल में पानी कम था लेकिन पानी बहुत ठंडा था बिल्कुल बर्फ के जैसा हम लोगों ने वाटरफॉल में नहाया और हमारे दोनों भांजे ने भी नहाया, वाटरफॉल के जस्ट नीचे पानी का लेवल बहुत गहरा है इसलिए हम लोग वहां तक नहीं गए फिर करीब 2 घंटे वहां पर समय बिताने के बाद पास में ही एक एक चाय वाले के यहां चाय और मैगी खाई और एक कोल्ड ड्रिंक की बोतल और एक पानी की बोतल भी वहां से ली ,वहीं पर एक आलू का बड़ा सा क्षेत्र था वहां से ऊपर की पहाड़ों का नजारा बहुत बेहतरीन है इसके बाद हम लोगों ने दोबारा वहां से मेन रोड तक पहुंचने के लिए ट्रैकिंग की एक जगह रास्ते में मेरा बडा भांजा थोड़ा गिरकर चोटिल हो गया, फिर हम लोग कार से वापस लौट आए हम लोगों ने अपने रूम पर जाकर वहां थोड़ा करीब आधे घंटे रेस्ट किया ,और फिर थोड़ा पानी वगैरह लेकर हम मुक्तेश्वर मंदिर और चौली की जाली के लिए निकल पड़े उस टाइम करीब शाम के 4:00 बजने वाले थे , रास्ते में एक छोटे होटल में हम लोगों ने नाश्ता वगैरह किया फिर वहां से मुक्तेश्वर के लिए निकल पड़े मुक्तेश्वर मंदिर के पास का नजारा बहुत बढ़िया है सामने का दृश्य बहुत अच्छा है ,लेकिन लेकिन धुंध होने के कारण हमें वहां से कोई हिमालय की चोटी नहीं दिखाई पड़ी हवा बहुत जोरों से चलने लगी थी अब तक हम लोगों ने फिर मुक्तेश्वर मंदिर की सीढ़ियों से चढ़ना शुरू किया करीब 200 सीढ़ियां बाद मंदिर पहुंच गए ,हम लोगों ने मंदिर में पूजा अर्चना की , इस मंदिर के बारे में आपको बता दें यह बहुत प्राचीन मंदिर है करीब साढे 500 साल पुराना मंदिर में दर्शन के बाद हम लोग चौली की जाली की तरफ निकल पड़े मंदिर से थोड़ा ही दूर है ,पहाड़ की चोटी पर वहां तक जाने के लिए रास्ता बहुत शानदार है और घने जंगलों से होकर जाता है रास्ते में पेड़ पौधे का बहुत घना जंगल है सुना है वहां कभी-कभी भालू वगैरह भी आ जाते हैं, लेकिन हम लोगों को कोई भालू के दर्शन नहीं हुए और हम लोग एक सुंदर ट्रैकिंग करते हुए चौली की जाली पहुंच गए यहां का सनसेट देखने लायक हैं अगर मौसम साफ हो तो सामने हिमालय की बर्फ की चोटियां भी दिख जाती है, यहां से पर उस दिन एक तो शाम हो गई थी और धुंध भी थी तो हम लोग यह नजारा नहीं ले सके यहां पर कुछ एडवेंचर गेम भी चलाए जाते हैं , चौली की जाली में पत्थरों के ऊपर बहुत से लोगों ने अपने नाम लिख दिए थे और यह नाम हमें लगता है हमेशा के लिए वहां लिखे ही रह जाएंगे कुल मिला के यहां का दृश्य अद्भुत है ,नीचे बहुत गहरी खाई हैं हम लोगों ने करीब आधे घंटे वहां व्यतीत किए फिर हम लोग वापस नीचे उतर आए और जहां से मंदिर जाने की सीढ़ियां शुरू होती हैं, वहां पर छोला चावल कढ़ी चावल और चाय वगैरा उपलब्ध है और यहां सस्ते रेट में अच्छा स्वाद मिल जाता है तो हम लोगों ने भी छोले चावल करी चावल और चाय का आनंद लिया, फिर वहां से हम लोग लौटने लगे अब तक हवा बहुत तेज चलने लगी थी और लगभग अंधेरा छा चुका था ,इसलिए हम लोग बिना विलंब किए कार द्वारा अपने होटल हेरिटेज लौट आए, जैसा कि हमने बताया हम लोगों ने हरितेज होटल सर गा खेत में लिया था ,इस तरह हम लोगों का पहला दिन बहुत शानदार गुजरा और रात को हम लोगों ने अपने होटल में आलू टमाटर की स्वादिष्ट सब्जी और रोटी का आनंद लिया जो होटल वाले ने स्वयं उपलब्ध कराया फिर हम लोग चैन की नींद से सो गए
हम लोग सुबह उठने के बाद फ्रेश होने के बाद मुक्तेश्वर से निकल पड़े नैनीताल की तरफ रास्ते में हम लोग घोड़ाखाल पहुंचे, और वहां की चाय के बागानों में कुछ समय व्यतीत किया यहां पर पर्सन एंट्री टिकट ₹30 और चाय की पत्तियां तोड़ने पर सख्त पाबंदी है ,यहां चाय की खेतों की सुंदरता देखते ही बनती है चाय के बागानों से थोड़ा आगे गोलू देवता का मंदिर है लेकिन हम लोग वहां तक नहीं जा सके और चाय बागानों में एक-दो घंटे व्यतीत करने के बाद वापस नैनीताल की तरफ चल दिए, नैनीताल पहुंचकर हम लोगों का करीब 1 घंटा समय होटल ढूंढने में ही व्यतीत हो गया फिर हम लोगों ने शालीमार होटल में ढाई हजार रुपए में 1 रूम सेट लिया, अब तक हम लोग बहुत थक चुके थे इसलिए दोपहर में हम लोगों ने जी भर के सोया जब हम लोग उठे तो समय काफी हो चुका था करीब 4:00 बज चुके थे इसलिए आज कुछ ना करके बस जी ठीक रहा किनारे टहलने निकल पड़े ,और नैना देवी के दर्शन किए और आसपास की मार्केट देखी यहां बहुत चहल-पहल हैं झील की सुंदरता देखते ही बनती है यहां अनगिनत नाव चल रही थी, लेकिन हम लोग पहले भी कई बार वोटिंग कर चुके थे वहां इसलिए वोटिंग नहीं की वहां कुछ म्यूजिक वाले अपना म्यूजिक बजा रहे थे और लोग उन पर गाने भी गा रहे थे डांस भी कर रहे थे कुल मिलाकर माहौल बहुत अच्छा था, फिर शाम को हम लोगों ने एक छोटे से होटल में छोले भटूरे का आनंद लिया और पास में ही चाय पी और फिर रात होने तक टहलते हुए अपने रूम में आ गए आज के दिन हम लोगों ने कुछ खास नहीं घुमा
जैसा कि किसी खूबसूरत हिल स्टेशन पर जाकर एक अच्छी चाय की हमेशा तलाश होती है, तो हम सुबह सुबह एक अच्छी चाय की तलाश में इधर-उधर टहलने लगे और यह तलाश नैनीताल की गली में जाकर पूरी हुई ,जहां पर एक एक लोग ₹10 में बहुत अच्छी चाय बना कर दे रहे थे हम लोगों ने चाहे वहां से भी और थोड़ी पैक करा ली ,आज सुबह हमारे छोटे भांजे की तबीयत थोड़ी खराब हो गई उसको बुखार आ गया था शायद वाटरफॉल के ठंडे पानी में नहाने का परिणाम था ,तो हम लोगों ने आज ही वापस निकलने का प्लान कर लिया अब लगे यहां सोचा थोड़ा बहुत घूम लिया जाए फिर यहां से निकल लिया जाए ,तो हम लोग सबसे पहले गुफा गार्डन गए वहां पर चार पांच गुफाएं हैं जो बहुत अच्छी हैं उनके अंदर बहुत ठंडक महसूस होती है ,कुछ गुफाएं तो बहुत सकरी है और कुछ में तो बड़ी-बड़ी चट्टानों के ऊपर चढ़कर जाना होता है कुल मिलाकर जगह बहुत शानदार हम लोगों ने वही को एक छोटे से रेस्टोरेंट में पूरी सब्जी आनंद लिया, करीब दो-तीन घंटे वहां बिताने के बाद हम लोग कार से पंगूत लिए निकल पड़े पंगूत की दूरी नैनीताल से करीब 10 किलोमीटर है ,और एक किलबरी मार्ग पर है लेकिन यहां पर कुछ खास देखने वाला नहीं है शिवाय सिर्फ पेड़ों के जंगल के अलावा कुछ खास है नहीं यहां पर हां सर्दियों में यहां स्नोफॉल जरूर होती है , इसलिए हम लोग वहां ज्यादा वक्त बिताया बिना वापस लौट आए लौटते समय हम लोग एक गुफा के पास रुके वहां एयर कंडीशन जैसी बहुत ठंडी हवा आ रही थी ,यह भी छोटा सा एक पॉइंट है नैनीताल का एसी पॉइंट अब हम लोग बिना समय गवाएं हल्द्वानी के लिए निकल पड़े इस बार हम लोग ज्योलीकोट होकर हल्द्वानी आए हल्द्वानी में पहुंचकर हम लोगों ने बहुत अच्छे थे रेस्टोरेंट में लंच किया, और फिर अपने गंतव्य कानपुर की तरफ बढ़ लिए इस तरह हमारी एक छोटी और अच्छी यात्रा समाप्त हुई, आशा है आप लोगों को मेरा यह यात्रा वृतांत पसंद आएगा ,वैसे यह मेरा पहला यात्रा वृतांत है इसलिए अगर कोई कमी रह गई हो तो माफ कीजिएगा ,धन्यवाद