शुरुवात ही तो है जो हमें काबिल बनाती है,
2018, को जी जाना था, हर दिन हर महीने कुछ नया कर जाना था,
किसी का मोहताज था नहीं, पल पल मुस्कुराता रहा, कहानियां सुनाया रहा।
यह सोच पाना कुछ आसान ना था मेरे लिए, के पहला कदम कहा रखु मै।
मै बेखबर ही था, बेसबर ही था
2018:
- जनवरी - शिमला (हिमाचल), माउंट आबू (राजस्थान)
- फेब्रुअरी - माधवपुरा बीच, (गुजरात)
- मार्च - तवांग ( अरुणाचल प्रदेश)
- अप्रैल - दावकी रिवर, double roots bridge (मेघालय)
- मै - मांडवी बीच (गुजरात)
- जून - उदयपुर (राजस्थान)
- जुलाई - सुवाली बीच (सूरत, गुजरात)
- अगस्त - जयपुर, अजमेर (राजस्थान)
- सितंबर - श्रीलंका, पांडिचेरी
- अक्टूबर - जैसलमेर, (राजस्थान)
- नवंबर - ऋषिकेश, Mussurie (उत्तराखंड)
- दिसंबर - रियासी, नात्थातोप, (जम्मु)
कुछ सीखा, कुछ सिखाया, जिसने टोका उसे समझाया,
पहले डरता था, आज मंज़िल बनाया,
दुनिया छोटी, मै बड़ा,
मै छोटा दुनिया बड़ी,
जब देखा तब पता पड़ा,
कदम बढ़ाए, बाहे फैलाए,
हर मौके को सहलाए,
अपने आप को मोहरा बनाए,
यह साजिश रची थी......!!