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घूमना जीवन का सबसे खूबसूरत पहलू होता है। नई जगहों को एक्सप्लोर करना, स्थानीय लोगों के बीच रहना, उनके खानपान और संस्कृति के बारे में जानना यकीनन हर घुमक्कड़ को अच्छा लगता है। भारत की विविधता इसको देखने लायक बनाती है। देश का हर हिस्सा अपनी खासियत लिए हुआ है। ऐसा ही एक बेहद खूबसूरत और आकर्षक राज्य है राजस्थान। राजस्थान हमेशा से अपने भव्य महल और गौरवधाली किलों के लिए जाना जाता रहा है। राजस्थान की सुंदर झीलें भी इसको खास बनाती हैं। राजस्थान का उदयपुर शहर शुरू से पर्यटकों के बीच लोकप्रिय रहा है। उदयपुर में देखने के लिए इतनी सारी चीजें हैं कि अक्सर लोग घूमने का मजा नहीं उठा पाते हैं।
यदि आप दो दिनों में उदयपुर घूमना चाहते हैं तो आपका प्लान कुछ ऐसा होना चाहिए।
पहला दिन
1. सिटी पैलेस
उदयपुर सिटी रेलवे स्टेशन से 3 किमी. दूर, उदयपुर का सिटी पैलेस राजस्थान के उदयपुर शहर में पिछोला झील के तट पर स्थित एक सुंदर शाही महल है। ये राजसी महल भारत में सबसे बड़ा महल परिसर है और इसको देखना हर उदयपुर जाने वाले की लिस्ट में जरूर शामिल होना चाहिए।
सिटी पैलेस का निर्माण 1559 ईस्वी में महाराणा उदय सिंह ने शुरू करवाया था, जब उन्होंने अपनी राजधानी को तत्कालीन चित्तौड़गढ़ से नए शहर उदयपुर में बदल दिया था। आपको ये जानकर हैरानी होगी कि मेवाड़ राजवंश के कई शासकों के योगदान के साथ महल लगभग 400 वर्षों में बनाया गया था।
उदयपुर के शीर्ष पर्यटन स्थलों में शुमार, सिटी पैलेस मध्यकालीन यूरोपीय और भारतीय वास्तुकला का अद्भुत मिश्रण समेटे हुए है। 598 ऊंचे इस पैलेस में कई टावर, गुंबद और मेहराब हैं, जो इस हेरिटेज साइट की शान को और भी बढ़ा देते हैं। ये महल आंगन, मंडप, छत, गलियारे, कमरे और बगीचों से बना है। किले से घिरे इस भव्य महल को ग्रेनाइट और संगमरमर के सटीक उपयोग करके बनाया गया है।
घूमने के लिए समय: 2 घंटे
समय: सुबह 9.30 बजे से शाम 5.30 PM बजे तक
एंट्री फीस: बड़ों के लिए 30 रुपए, बच्चों के लिए 15 रुपए। म्यूज़ियम में बड़ों के लिए 250 रुपए और बच्चों के लिए 100 रुपए।
2. पिछोला झील
उदयपुर सिटी रेलवे स्टेशन से 2.5 किमी. दूर, पिछोला झील, उदयपुर शहर के मध्य में स्थित एक कृत्रिम ताजे पानी की झील है। पहाड़ियों, बगीचों, मंदिरों और हवेलियों से घिरी पिछोला झील भारत की सबसे खूबसूरत झीलों में से एक है और उदयपुर में एक लोकप्रिय पर्यटक आकर्षण है।
पिछोला झील का निर्माण 1362 ईस्वी में महाराणा लाखा के शासनकाल के दौरान, एक जिप्सी बंजारा आदिवासी पिच्छू बंजारा द्वारा किया गया था, जो अनाज का काम करता था। बाद में, महाराणा उदय सिंह ने हरी पहाड़ियों की पृष्ठभूमि के साथ इस झील के आकर्षण से प्रभावित होकर झील के किनारे उदयपुर शहर की स्थापना की और बादी पोल क्षेत्र में एक पत्थर की चिनाई बांध का निर्माण करके झील का विस्तार किया।
पिछोला झील में दो मुख्य द्वीप हैं, जग निवास और जग मंदिर। झील के आसपास और भीतर के द्वीपों को महलों, संगमरमर के मंदिरों, पारिवारिक हवेली, स्नान घाटों और चबूतराओं के साथ विकसित किया गया है। झील की सुंदरता, स्मारकों की सुरम्य छवियाँ और हरा भरा लैंडस्केप इस झील को उदयपुर में घूमने के लिए सबसे अच्छी जगहों में से बनाते हैं। इस झील के लाल घाट, गणगौर घाट और हनुमान घाट से आप सूर्योदय और सूर्यास्त के मनोरम दृश्य देख सकते हैं।
घूमने के लिए समय: 30 मिनट से 1 घंटा
बोटिंग करने का समय: सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक
एंट्री फीस: बोटिंग- बड़ों के लिए 400 रुपए और बच्चों के लिए 200 रुपए।
यदि आप सनसेट के समय बोटिंग करना चाहते हैं तो बड़ों के लिए 700 रुपए और बच्चों के लिए 200 रुपए
3. बागोर की हवेली
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सिटी पैलेस से 2 किमी. और सिटी रेलवे स्टेशन से 3 किमी. की दूरी पर, बागोर की हवेली उदयपुर के गंगोरी घाट पर के सामने स्थित एक पुरानी शाही इमारत है।
मेवाड़ शाही दरबार के मुख्यमंत्री अमीर चंद बड़वा द्वारा निर्मित, ये हवेली 18वीं शताब्दी से चली आ रही है। हवेली में रहने वाले बागोर के महाराणा शक्ति सिंह ने 1878 ई. में तीन मंजिलों को मुख्य संरचना में शामिल किया था। इस प्राचीन इमारत में सौ से अधिक कमरे हैं। पूरी हवेली में आपको जगह जगह पर नक्काशी और काँच का बारीक काम देखने के लिए मिलेगा। हवेली में आप शाही महिलाओं के निजी क्वार्टर, उनके स्नान क्षेत्र, ड्रेसिंग रूम, बेड रूम, लिविंग रूम, पूजा कक्ष और मनोरंजन कक्ष के साथ-साथ कई बालकनी, आंगन और गलियारे भी देख सकते हैं। शाही महिलाओं के चैंबर में आज भी मेवाड़ी शैली से जुड़ी चीजें हैं।
50 सालों से वीरान रहने के बाद, हवेली को आखिरकार 1986 में पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र को सौंप दिया गया था। आज, हवेली शानदार दिखती है और इसके परिसर में शाही राजाओं के चित्रों और वेशभूषा के साथ एक संग्रहालय भी है।
घूमने के लिए समय: 1 घंटा
समय: सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक।
डांस शो: शाम 7 बजे से 8 बजे तक।
एंट्री फीस: भारतीयों के लिए 30 रुपए और विदेशी पर्यटकों के लिए 60 रुपए।
डांस शो: भारतीयों के लिए 60 रुपए और विदेशी पर्यटकों के लिए 100 रुपए।
4. जगदीश मंदिर
उदयपुर सिटी रेलवे स्टेशन से 3 किमी. की दूरी पर बना जगदीश मंदिर, उदयपुर के सिटी पैलेस परिसर में स्थित एक हिंदू मंदिर है। ये मंदिर उदयपुर के प्रसिद्ध मंदिरों में होने के साथ साथ शहर के शीर्ष पर्यटन स्थलों में भी शामिल है।
जगदीश मंदिर ब्रह्मांड के संरक्षक भगवान विष्णु (लक्ष्मी नारायण) को समर्पित है। मंदिर का निर्माण महाराणा जगत सिंह ने 1651 ईस्वी में 15 लाख रुपए की अनुमानित लागत से करवाया था। ये मंदिर उदयपुर शहर का सबसे बड़ा मंदिर भी है। इस मंदिर का प्रवेश द्वार सिटी पैलेस के बारा पोल से 150 मीटर की दूरी पर है। मंदिर को मूल रूप से जगन्नाथ राय का मंदिर कहा जाता था, लेकिन अब इसे जगदीश मंदिर कहा जाता है।
ये मंदिर को इंडो-आर्यन शैली की वास्तुकला में ढाला गया है। इस तीन मंजिला मंदिर में खूबसूरत नक्काशीदार खंभे, सजी हुई छतें, चित्रित दीवारें और बड़े हॉल शामिल हैं। मंदिर की पहली और दूसरी मंजिल पर 50 स्तंभ हैं और सभी में शानदार नक्काशी है जो मंदिर की सुंदरता में चार चाँद लगा देते हैं।
घूमने के लिए समय: 30 मिनट से 1 घंटा
समय: सुबह 5 बजे से दोपहर 2 बजे तक और शाम 4 बजे से रात 8 बजे तक।
इतना घूमने के बाद अब आपको अपने होटल आ जाना चाहिए। आप चाहें तो शाम को टहलने निकल सकते हैं और अपने मनपसंद कैफे या रेस्त्रां में रात का डिनर कर सकते हैं।
दूसरा दिन
उदयपुर में दूसरे दिन की शुरुआत आपको सुबह 9 से 10 बजे के बीच कर देनी चाहिए।
1. सज्जनगढ़ मानसून पैलेस
महाराणा सज्जन सिंह का इरादा नौ मंजिला परिसर का निर्माण करना था। ये महल मूल रूप से एक खगोलीय केंद्र के रूप में बनाया जाना था जिससे महल के आसपास के क्षेत्र में मानसून के बादलों की आवाजाही पर नज़र रखी जा सके। मौसम की निगरानी के साथ-साथ इस महल का निर्माण लोगों को रोजगार देना भी था। केवल यही नहीं, सज्जनगढ़ पैलेस, शाही परिवार के लिए एक रिसॉर्ट के रूप में भी काम करता था। महाराजा सज्जन सिंह की असामयिक मृत्यु के कारण, महल का निर्माण उनके उत्तराधिकारी महाराणा फतेह सिंह द्वारा पूरा किया गया, जिन्होंने इसका उपयोग मानसून के बादलों को देखने के लिए किया था।
सफेद संगमरमर के महल में एक भव्य केंद्रीय प्रांगण है जिसमें एक सीढ़ी, कई कमरे और क्वार्टर हैं। महल संगमरमर के खंभों पर बनाया गया है, जिन पर पत्तियों और फूलों की डिजाइन उकेरी गई है। महल में लगी पेंटिंग और पुराने नक्शों के संग्रह को अब एक संग्रहालय में रख दिया गया है। क्योंकि ये महल कुछ ऊँचाई पर है इसलिए यहाँ से उदयपुर शहर और इसकी झीलों, पहाड़ों और अन्य महलों के शानदार दृश्य दिखाई देते हैं। अरावली पहाड़ियों पर स्थित होने के कारण सज्जनगढ़ से दिखाई देने वाला सूर्यास्त भी वाकई खूबसूरत होता है।
घूमने के लिए समय: 1 घंटा
समय: सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक।
एंट्री फीस: भारतीय पर्यटकों के लिए 10 रुपए और विदेशी पर्यटकों के लिए 80 रुपए।
यदि आप गाड़ी से घूमना चाहते हैं तो उसके लिए आपको 65 रुपए के हिसाब से किराया देना होगा।
2. शिल्पग्राम
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उदयपुर सिटी रेलवे स्टेशन से 8.5 किमी और सज्जनगढ़ से 7 किमी. की दूरी पर, शिल्पग्राम उदयपुर शहर के हवाला गाँव के पास स्थित एक ग्रामीण कला और शिल्प परिसर है। शिल्प ग्राम को कारीगर गाँव के नाम से भी जाना जाता है।
शिल्पग्राम का उद्घाटन 1989 में राजीव गांधी द्वारा किया गया था। ग्रामीण कला और शिल्प परिसर 70 एकड़ भूमि इलाके में फैला हुआ है और अरावली पर्वत श्रृंखला से घिरा हुआ है। शिल्पग्राम एक संग्रहालय है जो क्षेत्र के लोक और आदिवासी लोगों की जीवन शैली को दर्शाता है। शिल्पग्राम की स्थापना का मुख्य उद्देश्य युवा पीढ़ी के लिए ग्रामीण कला और शिल्प के ज्ञान और जागरूकता को बढ़ाना है। केंद्र में कला, शिल्प, संगीत और रंगमंच सीखने में रुचि रखने वाले बच्चों के लिए कई वर्कशॉप्स का भी आयोजन किया जाता है।
परिसर में लगभग 8000 लोगों के बैठने की क्षमता वाला एक ओपन एयर एम्फीथिएटर है, जिसका उपयोग यहाँ आयोजित होने वाले प्रमुख थिएटर समारोहों और पारंपरिक लोक प्रदर्शन कलाओं के लिए किया जाता है। पश्चिम क्षेत्र के प्रत्येक सदस्य राज्य में शिल्पग्राम के भीतर निर्मित पारंपरिक झोपड़ियाँ हैं।
शिल्पदर्शन शिल्पग्राम में होने जाने वाला मोहोत्सव है जिसका आयोजन हर साल किया जाता है। इसमें पारंपरिक कलाकारों और शिल्पकारों को अपने कौशल और शिल्प का प्रदर्शन करने के लिए आमंत्रित किया जाता है। शिल्पग्राम महोत्सव हर साल 21 दिसंबर से 31 दिसंबर तक आयोजित किया जाता है।
घूमने के लिए समय: 1 से 2 घंटे
समय: दिन में 11 बजे से शाम 7 बजे तक।
एंट्री फीस: भारतीय पर्यटकों के लिए 30 रुपए और विदेशी नागरिकों के लिए 50 रुपए।
3. फतेह सागर झील
उदयपुर सिटी रेलवे स्टेशन से 6 किमी. और उदयपुर सिटी पैलेस से 5 किमी. दूर, फतेह सागर झील एक कृत्रिम झील है जो पिछोला झील के उत्तर में स्थित है।
इस झील का निर्माण महाराणा जय सिंह ने, महाराणा फतेह सिंह के नाम पर, 1678 ईस्वी में कराया था। हालाँकि, 200 सालों बाद, झील का निर्माण करने वाला मिट्टी का बांध बाढ़ के दौरान बह गया था जिसके बाद, महाराणा फतेह सिंह ने 1888 ई. में रानी विक्टोरिया के पुत्र ड्यूक ऑफ कनॉट की यात्रा को यादगार बनाने के लिए झील पर कनॉट बांध का निर्माण कराया था। इस बांध से झील का विस्तार हुआ और बाद में इसका नाम बदलकर फतेह सागर झील कर दिया गया।
फतेह सागर उदयपुर शहर की चार सबसे खूबसूरत झीलों में से है। फतेह सागर की लंबाई 2.4 किमी, चौड़ाई 1.6 किमी और गहराई 11.5 मीटर है। मानसून के दौरान, झील लगभग 1 वर्ग किमी. के कुल क्षेत्रफल में फैल जाति है। झील के पानी का स्रोत आसपास की पहाड़ियों से निकलने वाला झरना है। झील में तीन छोटे द्वीप भी हैं और ये अरावली पर्वतमाला के सुंदर दृश्यों से घिरा हुई है।
घूमने के लिए समय: 1 घंटा
समय: सुबह 8 बजे से शाम 4.30 बजे तक।
एंट्री फीस: मोटर बोट के लिए 250 रुपए प्रति व्यक्ति और स्पीड बोट के लिए 400 रुपए प्रति व्यक्ति।
4. सहेलियों की बाड़ी
उदयपुर सिटी रेलवे स्टेशन से 6 किमी. और सिटी पैलेस से 6 किमी दूर, सहेलियों की बाड़ी या गार्डन ऑफ़ मेडेंस उदयपुर में फतेह सागर झील के तट पर स्थित काफी मशहूर उद्यान है।
सहेलियों की बाड़ी का निर्माण 18वीं सदी में महाराणा संग्राम सिंह ने कराया था। ये बगीचा उन 48 युवतियों के समूह के लिए बनाया गया था जो दहेज के रूप में राजकुमारी के साथ उदयपुर आई थीं। राजा उनके लिए एक अलग क्षेत्र चाहते थे, जहाँ वे इत्मीनान से अपना समय बिता सकें। ये बगीचा शाही महिलाओं का लोकप्रिय विश्राम स्थल हुआ करता था। इसी वजह से इस बगीचे को 'गार्डन ऑफ द मेड ऑफ ऑनर' के नाम से भी जाना जाता है।
इस उद्यान में सुंदर कमल ताल, संगमरमर के मंडप और हाथी के आकार के फव्वारे हैं। यहाँ एक छोटा संग्रहालय भी है जो शाही परिवारों से जुड़ी चीजों को प्रदर्शित करता है। इसमें पुराने चित्रों का एक दिलचस्प संग्रह है। बाद के वर्षों में, महाराणा भूपाल सिंह ने बारिश के फव्वारे का एक मंडप बनवाया था। ये फव्वारे इंग्लैंड से आयात किए गए थे। आपको सहेलियों की बाड़ी जरूर देखना चाहिए।
घूमने के लिए समय: 30 मिनट
समय: सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक।
एंट्री फीस: 5 रुपए प्रति व्यक्ति।
उदयपुर में इन जगहों के अलावा और भी तमाम जगहें हैं। लेकिन यदि आपके पास समय की कमी है तो ये कुछ प्रमुख जगहें हैं जिन्हें आपको जरूर देखना चाहिए।
उदयपुर कैसे पहुँचें?
राजस्थान के मुख्य शहरों में से एक होने के कारण उदयपुर देश के हर हिस्से से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। आप फ्लाइट, ट्रेन या बस किसी भी तरीके से उदयपुर आ सकते है।
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फ्लाइट से: यदि आप फ्लाइट से उदयपुर आना चाहते हैं तो आपको लगभग सभी बड़े शहरों से उदयपुर के लिए सीधी फ्लाइट मिल जाएगी।
ट्रेन से: ट्रेन से आने के लिए आप सीधे उदयपुर का टिकट बुक कर सकते हैं। उदयपुर में रेलवे स्टेशन है जो शहर के बीच में स्थित है। इसलिए आपको कोई परेशानी नहीं होगी।
वाया रोड: यदि आप वाया रोड आना चाहते हैं तो आप सरकारी बस या अपनी गाड़ी से उदयपुर आ सकते हैं। राजस्थान में अच्छी रोड कनेक्टिविटी के साथ जगह जगह पर साइन बोर्ड लगे हुए हैं इसलिए आपको एकदम दिक्कत नहीं होगी।
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