समरकंद उजबेकिस्तान के सबसे खूबसूरत और ईतिहासिक शहरों में शामिल हैं| समरकंद पांचवी ईसा पूर्व सदी में बसा था| समरकंद मध्य एशिया के प्राचीन शहरों में से एक है| 329 ईसा पूर्व सदी में समरकंद के ऊपर सिकंदर ने कबजा कर लिया था| सिकंदर ने समरकंद के बारे में कहा कि जितना इस शहर के बारे में सुना था समरकंद उससे भी ज्यादा खूबसूरत है| सिलक रोड़ पर समरकंद एक अहम शहर था जो चीन, भारत और ईरान आने जाने वाले वयापार के रास्ते को जोड़ता था| छठीं शताब्दी से लेकर तेहरवीं सदी तक इस शहर ने अपना सबसे खूबसूरत दौर देखा है| समरकंद के ऊपर अरबी, मंगोल, कजाख आदि बहुत सारे राजाओं ने राज किया है| चंगेज़ खान ने भी 1220 ईसवीं में समरकंद पर कबजा कर लिया था| इसके बाद 1370 ईसवीं में तैमूर ने समरकंद को अपनी राजधानी बना दिया जो अगले 35 साल उसकी राजधानी रही| समरकंद में ही तैमूर का मकबरा बना हुआ है| 1449 ईसवीं तक तैमूर के पोत्र उलुग बेग ने समरकंद के ऊपर राज किया|सोलहवीं सदी के बाद उजबेकी राजाओं ने बुखारा को अपनी राजधानी बना लिया| फिर धीरे धीरे समरकंद की अहमियत कम हो गई| मई 1868 ईसवीं में रुस की सेना ने समरकंद को रुस साम्राज्य में मिला लिया| आज समरकंद उजबेकिस्तान का एक ईतिहासिक और खूबसूरत शहर है| समरकंद में आप रेगिस्तान स्केयर, तैमूर का मकबरा, शाही जिंदा, बीबी खानम मस्जिद जैसी ईतिहासिक जगहों को देख सकते हैं |
रेगिस्तान स्केयर का नाम उजबेकिस्तान की सबसे महत्वपूर्ण टूरिस्ट पलेस में शुमार है| रेगिस्तान स्केयर उजबेकिस्तान की यूनैसको विश्व विरासत स्थल में ही शामिल हैं| अगर पूरे मध्य एशिया में देखने के लिए किसी एक जगह को चुनना हो तो वह जगह उजबेकिस्तान के समरकंद की रेगिस्तान स्केयर होगी| जैसे भारत में लोग ताज महल को देखने के लिए जाते हैं उसी तरह उजबेकिस्तान में लोग रेगिस्तान स्केयर घूमने के लिए जाते हैं| यह ईतिहासिक और खूबसूरत जगह सुबह 9 बजे से लेकर शाम को 8 बजे तक खुली रहती है| उजबेकिस्तान के लोगों के लिए इस जगह की कीमत 14000 सोम ( उजबेकी करंसी) है लेकिन विदेशी टूरिस्ट के लिए रेगिस्तान स्केयर घूमने की कीमत 50,000 उजबेकी सोम है जो भारत के 336 रुपये के आसपास बनते हैं| तजाक भाषा में रेगिस्तान का अर्थ होता है रेतीली जगह |
हम ताशकंद से बुलेट ट्रेन के सफर का आनंद लेते हुए दोपहर तक समरकंद पहुँच गए थे| समरकंद रेलवे स्टेशन से टैक्सी बुक करवा कर हम सबसे पहले अपने होमस्टे आ गए| नहा धोकर थोड़ा तैयार होकर हम समरकंद शहर की सैर करने के लिए निकल पड़े| सबसे पहले हमने रेगिस्तान स्केयर जाने का पलान बनाया जो हमारे होमस्टे से मात्र एक किलोमीटर दूर था| हम पैदल चलते हुए ही रेगिस्तान स्केयर पहुँच गए| रेगिस्तान स्केयर को बाहर से देखने से ही मन रोमाचिंत हो रहा था| थोड़ी पूछताछ करने के बाद हमने 50,000 उजबेकी सोम करंसी देकर रेगिस्तान स्केयर की टिकट ले ली| रेगिस्तान स्केयर में तीन मदरसे बने हुए हैं| मैं और मेरे दोस्त हरजीत सिंह रेगिस्तान स्केयर में एक दूसरे की तस्वीर खींचने लगे| यहाँ आकर रेगिस्तान स्केयर की कलाकारी को देखकर मन मंत्रमुग्ध हो रहा था| रेगिस्तान स्केयर के अंदर आप फोटोग्राफी कर सकते हो| उजबेकी लोग हमें देखकर हमारे साथ फोटो खिंचवाने लगे|
रेगिस्तान स्केयर में आपको तीन खूबसूरत मदरसे देखने के लिए मिलेंगे| मदरसा को हम इस्लाम का कालेज या यूनिवर्सिटी भी कह सकते हैं जहाँ पर इस्लाम के छात्र तालीम करते थे| रेगिस्तान स्केयर के तीन मदरसे दुनिया के सबसे पुराने संरक्षित मदरसों में आते है| इससे पहले की सभी ईमारतें चंगेज़ खान ने नष्ट कर दी थी| कुछ पुरानी ईमारतें भूकंप की वजह से भी नष्ट हो गई थी| रेगिस्तान स्केयर में निम्नलिखित तीन मदरसे देखने लायक है|
1. रेगिस्तान उलुग बेग मदरसा
2. रेगिस्तान शेर डोर मदरसा
3. रेगिस्तान तिल्या कोरी मदरसा
रेगिस्तान स्केयर में आपको यह तीन मदरसे देखने के लिए मिलेगें| मध्य एशिया के मदरसों में आपको एक बड़ा प्रवेश द्वार मिलेगा जिसमें नीले रंग का गुंबद बना होगा| साथ में आपको दो मीनार भी दिखाई देगी| प्रवेश द्वार के अंदर एक खुला हुआ आंगन होगा जिसके चारों तरफ आपको कमरे देखने के लिए मिलेगें| जहाँ पर छात्र रहते थे और तालीम ग्रहण करते थे|
उलुग बेग मदरसा
रेगिस्तान स्केयर में तीन खूबसूरत मदरसे है जिसमें से रेगिस्तान उलुग बेग मदरसा भी शामिल हैं| सबसे पहले हम रेगिस्तान स्केयर में इस खूबसूरत मदरसे को ही देखने के लिए जाते हैं| इस खूबसूरत मदरसे का निर्माण 1417 से 1420 ईसवीं में तैमूर के पोते उलुग बेग ने करवाया था| उलुग बेग को मदरसों के निर्माण के लिए याद किया जाता है|उलुग बेग एक टीचर थे जो गणित के साथ धर्मशास्त्र, खगोल विज्ञान आदि विषयों को पढ़ाते थे| इस खूबसूरत मदरसे का क्षेत्रफल 56 मीटर और 81 मीटर है| रेगिस्तान उलुग बेग मदरसा बहुत दिलकश लगता है|
रेगिस्तान शेर डोर मदरसा रेगिस्तान स्केयर का दूसरा मदरसा है| शेर डोर मदरसा उलुग बेग मदरसा के सामने बना हुआ है| इस खूबसूरत मदरसे का निर्माण 1619 - 1636 ईसवीं में हुआ था| समरकंद के शासक यालुंगतोश बखोतर ने इन खूबसूरत मदरसों के निर्माण का आदेश दिया था| 15 वीं शताब्दी को समरकंद का स्वर्ण युग कहा जाता है| इस खूबसूरत मदरसे को बनाने के लिए 17 साल लगे थे| उलुग बेग मदरसा देखने के बाद हमने शेर डोर मदरसे की खूबसूरती को निहारा|
रेगिस्तान स्केयर के तीन मदरसों में सबसे आखिर में तिल्या कोरी मदरसा का नाम आता है| इस खूबसूरत मदरसे का निर्माण 1660 ईसवीं में हुआ था| रेगिस्तान स्केयर के तीन मदरसों में सबसे सामने वाला मदरसा है तिल्या कोरी मदरसा| इसके दोनों साईड में उलुग बेग मदरसा और शेर डोर मदरसा बना हुआ है| तिल्या कोरी का अर्थ होता है सोने से ढका हुआ| इस खूबसूरत मदरसे में छात्रों के रहने के लिए कमरों के साथ एक शानदार मस्जिद भी बनी हुई है| आखिर में हम रेगिस्तान स्केयर के तिल्या कोरी मदरसा देखने के लिए गए| इस खूबसूरत मदरसे की अंदरूनी दीवारें सोने की चमक की तरह चमक रही थी| सचमुच उजबेकिस्तान के रेगिस्तान स्केयर को देखना एक सुखद अनुभव रहा| रेगिस्तान स्केयर के तीनों मदरसे देखकर हम बाहर आ गए| बाहर से देखने से भी समरकंद का रेगिस्तान स्केयर शानदार दिखाई देता है| हमें बहुत सारे उजबेकी लोग भी मिले जिनके साथ हमने तस्वीर खिचाई और बातचीत की| रेगिस्तान स्केयर के बाहर हमें भारतीय यूट्यूबर भी मिले जिनसे मिलकर हमें बहुत अच्छा लगा|
गुरु अमीर मकबरा
समरकंद
समरकंद उजबेकिस्तान का खूबसूरत शहर है जिसको सिलक रोड़ का दिल भी कहा जाता है| समरकंद के ईतिहास में सिकंदर, चंगेज़ खान और अमीर तैमूर ने गहरी छाप छोड़ी है| शाम के समय में समरकंद शहर को घूमते घूमते हम गुरु अमीर मकबरा पहुंच गए| इस मकबरे की वासतुकला बहुत खूबसूरत है| इस मकबरे में प्रवेश करने के लिए आपको 30,000 उजबेकी सोम देने पड़ेगे| खूबसूरत कलाकरी वाले विशाल दरवाजे से गुजरते हुए आप इस मकबरे के पास पहुंचते हो| तैमूर का उजबेकिस्तान में शासन रहा है उसका राज्य उजबेकिस्तान से लेकर बगदाद, ईरान, अजरबैजान,सीरिया अफगानिस्तान, कजाखस्तान आदि देशों तक रहा है| तैमूर की मृत्यु कजाखस्तान में हुई थी लेकिन उसे दफनाया समरकंद के इस मकबरे में गया है| इस मकबरे में तैमूर के साथ साथ उसके दो बेटे और दो पौत्र की कबरे भी बनी हुई है| तैमूर की कबर काले पत्थर की है| तैमूर के बहुत सारे रिश्तेदारों की कबरे भी इस मकबरे में बनी हुई है| तैमूर के मकबरे में एक कमरे में तैमूर की तस्वीर लगी हुई है| तैमूर के राज्य और उसके शासन का नक्शा भी लगा हुआ है| मकबरे के अंदर सुनहरी रंग की कलाकरी की हुई है जो काफी दिलकश है| इस मकबरे को देखकर हम समरकंद में अपने होटल में वापस आ गए|
बीबी खानम मस्जिद
समरकंद की सबसे महत्वपूर्ण जगहों में बीबी खानम मस्जिद का नाम भी आता है| इस खूबसूरत मस्जिद का निर्माण 1404 ईसवीं में हुआ था| पंद्रहवी सदी में समरकंद की इस मस्जिद का नाम उस जमाने की सबसे खूबसूरत मस्जिद में इसका नाम आता था| इसके गुंबद की ऊंचाई 40 मीटर है| 1897 ईसवीं में आए एक जबरदस्त भूकंप ने इस मस्जिद को काफी नुकसान पहुंचाया| 20 वीं शताब्दी में इस मस्जिद की दुबारा मुरम्मत करवाई गई| समरकंद के सफर में पहली रात रहने के बाद अगले दिन सुबह हम होमस्टे पर शानदार ब्रेकफास्ट करने के बाद पैदल चलते हुए ही बीबी खानम मस्जिद के पास पहुंच गए| बीबी खानम मस्जिद को देखने के लिए 25000 उजबेकी सोम देने होगें| हमने भी टिकट खरीद कर बीबी खानम मस्जिद में प्रवेश किया| मस्जिद का प्रवेश द्वार एक शानदार गुंबद जैसा है जो बहुत विशाल है| इस प्रवेश द्वार को पार करके अंदर एक विशाल आंगन आता है जिसमें बीबी खानम मस्जिद बनी हुई है| हमने आधा घंटा लगाकर बीबी खानम मस्जिद को देखा और फिर हम आगे बढ़ गए|
शाह ए जिंदा
समरकंद की यात्रा में हम सबसे आखिर में शाह ए जिंदा नामक जगह को देखने के लिए गए| असल में शाह ए जिंदा का अर्थ है जीवित राजा| यह समरकंद का क्रबिस्तान है| इसमें सबसे महत्वपूर्ण कब्र मुहम्मद के चचेरे भाई इब्बन अब्बास की है जो सातवीं शताब्दी में इसलाम का प्रचार करने के लिए समरकंद आए थे और जहाँ उनको दफनाया गया है| समरकंद के इस कब्रिस्तान को तीन भाग में बांट सकते हैं| शाह ए जिंदा में 11 वीं शताब्दी से लेकर 18 शताब्दी तक की कब्रे बनी हुई है| इस जगह को देखने के बाद हम समरकंद को अलविदा कह कर आगे बढ़ गए|र