यूनाम 6111 मीटर और कनामो 5974 मीटर की एक के बाद एक बैक दो चोटियों करने के बाद.......... शरीर तो बहुत थका हुआ था लेकिन 7000 मीटर की चोटी का आरोहण करने की एक नयी शक्ति और उत्साह रूह में भर गया था।
मनाली से सीधे मैं और अनुज पाण्डेय महारज जी सीधे आ गये देहरादून। 2 दिन देहरादून में रेस्ट करने और मेरे फेवरेट देहरादून के तंदूरी मोमोज खाने के बाद हम चल दिये उत्तरकाशी.......
2 सितम्बर को उत्तरकाशी में रुकना हुआ। 3 सितम्बर को काशी विश्वनाथ जी कर दर्शन किये। पिछली 2 बार कुछ कारणवश दर्शन नहीं कर पाया था। इस बार दर्शन करना ही करना था।
दर्शान के बाद हम लोग निकल पड़े अपनी अगली मंजिल हर्षिल के लिए। हर्षिल में हमेशा रुकने का मन किया लेकिन आज तक कभी रुक ही नहीं पाया। इस बार ये गलती दोहराना बिल्कुल नहीं चाहता था। हर्षिल में बागोरी गाँव और छोटी मोटी जगह पैदल घूमे मजा आ गया बहुत।
अगले दिन हम लोग गरतांग गली गये और वहाँ कला का अदभुत नमूना देख कर दिल ख़ुश हो गया। भारत और तिब्बत का प्राचीन व्यापार मार्ग जो 50 साल से ज्यादा सालों तक बंद होने के बावजूद पिछले साल पुनर्निर्माण के बाद पर्यटको के लिए खोल दिया गया।
इसके बाद हम लोग Black Peak Mountain Adventures के साथ चल दिये गंगोत्री की ओर शाम को माँ गंगा और गंगोत्री के दर्शन हुए।
अगला भाग कल......