#हडप्पा_सभ्यता_सथल
#कालीबंगा_यात्रा
#भाग_2
#जिला_हनुमानगढ़_राजस्थान
दोस्तों पिछले भाग में मैं कालीबंगा में बने हुए मयूजियम के सामने पहुंच गया था। मयूजियम की एंट्री Paytm से टिकट के द्वारा हैं, आपको आनलाईन ही टिकट निकालनी पड़ेगी। टिकट तो मात्र पांच रूपये की हैं, लेकिन सीधे टिकट नहीं मिलती टिकट खिड़की से। अगर आपकी आनलाईन टिकट नहीं हुई तो आप मयूजियम में प्रवेश नहीं कर सकते। मैंने भी बड़ी मुश्किल से 15 मिंट में टिकट बनाई कयोंकि वहां मेरे मोबाइल का नैटवर्क बहुत धीमी गति से चल रहा था, खैर मुझे मयूजियम में जाने की ईजाजत मिल गई। कालीबंगा मयूजियम बहुत ही साफ सुथरा और अच्छा बना हुआ है, खुदाई से निकली हर चीज को अलग अलग गैलरियों में संभाल कर रखा हुआ है। वैसे मयूजियम के अंदर फोटोशूट की ईजाजत नहीं हैं लेकिन मैंने मयूजियम के करमचारी से विनती करके उसे तीन चार फोटोज खींचने की आज्ञा मांगी, जो उसने मान ली कयोंकि मैंने उसे बताया मुझे ईतिहासिक जगहों पर जाना और फिर उसके बारे में लिखने का शौक हैं।
पहली गैलरी ः
मयूजियम में पकी हुई मिट्टी से बनी हुई पशु-पक्षियों की आकृतियां रखी हुई हैं, जो देखने में बहुत शानदार भी हैं और उससे हमें उस समय के पशु पक्षियों के बारे में भी पता चलता है। इसके ईलावा मिट्टी के बने हुए खिलौने जैसे गाड़ी, मनके, हाथों में पहनने वाली चूडिय़ां, हल, पहिये, आदि भी प्राप्त हुई हैं। कालीबंगा में बहुत सारी रंग बिरंगी चूडिय़ां मिली है, इसी से काले रंग की चूडियों से शायद इसका नाम कालीबंगा पड़ गया।
दूसरी गैलरी ः
मयूजियम की दूसरी गैलरी में विकसित हडप्पाकालीन मृदभाण्ड रखे गए हैं, जैसे फूलदान, कटोरा आदि । इनके उपर रेखाएं, बिंदु, फूल पतियों पशु चित्रण आदि किया गया है, जो देखने में बहुत आकर्षक लगते है।
तीसरी गैलरी ः
मयूजियम की तीसरी गैलरी में हडप्पाकालीन तांबे से बने हुए उपकरणों से संबंधित सामान रखा हुआ है जैसे कुलहाड़ी, चाकू, भालें, चूडिय़ां, अंगूठियां, सुईयां आदि।
इसके ईलावा एक कंकाल भी मिले हैं, एक कंकाल का छाया चित्र मयूजियम में प्रदर्शित किया गया है। शवाधानों से पता चलता है हडप्पाकालीन सभ्यता के लोग मृतकों के शवाधानों सामिग्री के रूप में लाल रंग के बर्तन, चूडिय़ां, मनके, हड्डियां तथा तांबे से बने उपकरण भी साथ रखते थे, हडप्पाकालीन युग को तांबा युग भी कहा जाता हैं कयोंकि लोहे के बारे में शायद उनको नहीं पता था।
आईए कभी कालीबंगा अपनी विरासत और ईतिहास से जुड़ने के लिए, अगली पोस्ट में उस जगह के बारे में लिखूंगा जहां कालीबंगा की खुदाई हुई थी।
धन्यवाद।