#लोथल_संग्रहालय
दोस्तों लोथल पहुंच कर मैं सबसे पहले लोथल संग्रहालय देखने के लिए गया, टिकट 5 रुपये की लगती हैं, मुझे ईतिहास को देखना, जानना बहुत अच्छा लगता है, संग्रहालय को देखने का मौका मैं कभी नहीं छोड़ता।
लोथल संग्रहालय में तीन प्रदशिर्नी हैं,
सामने की प्रदर्शनी में एक कलाकार की बनाई हुई लोथल शहर की पेटिंग हैं।
बायें तरफ मनके, मिट्टी के बने हुए आभूषण, मुद्रा, शंख, हाथी दांत, ताँबे और काँसे की वसतुएँ प्रदशित हैं।
दाहिनी और खिलौने, ईटो से बनी हुई वसतुएं रखी हुई हैं।
#मनके
यहां कीमती पत्थरों और काँचली मिट्टी के बने मनके यहां रखें हुए हैं।
#मुद्राएं और मुद्रांकन
लोथल में बडी़ संख्या में मुद्राएं और मुद्राकन प्राप्त हुए हैं।
ये सैलखड़ी पर पशु आकृति बनाईं गई हैं।
#शंख निमित्त वसतुएं
गुजरात के तटीय क्षेत्रों से काफी संख्या में शंख मिलते हैं, जिनका उपयोग चुडियाँ, मनके, खिलौनों को बनाने में होता है
#ताँबे एव काँसे की वसतुएं
हड़प्पा सभ्यता के लोग ताँबे और काँसे की वसतुएं बनाते थे, जो लोथल में मिली है।
#मृदभाण्ड
हड़प्पा सभ्यता के लोग विभिन्न प्रकार के घडे़, तसले आदि का प्रयोग करते थे।
#औजार
पत्थर के बने हुए औजार, हड्डी की सुई, यह सब लोथल में मिला है।
#मोहरे
यहां मोहरे भी मिली है
#पशु एवं मानव आकृतियाँ
हड़प्पा निवासियों ने बडी़ संख्या में पशुओं की एवं मानवों की मृणमूतियों बनाई थी।
#शवाधान एवं धार्मिक वसतुएँ
हड़प्पा सभ्यता के लोग मृतकों की कब्रों में मृदभाण्ड, मनके और दैनिक वयवहार की चीजें रखते थे।
मुझे. लोथल का संग्रहालय देखने में एक घंटे का समय लग गया। इस मयुजियिम को देखकर मुझे बेशकीमती जानकारी प्राप्त हुई। आप भी आईऐ हडप्पा सभ्यता के ईतिहास को देखने और जानने के लिए गुजरात के लोथल में।