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अगले दिन हमारा सुबह जल्दी उठ 7 बजे तक ताजमहल पहुंचना निश्चित हुआ। पर बच्चे तो बच्चे हैं। आराम से ही उठे।
तैयार होते होते 8 बज गए। अब इतना समय हो ही गया था तो नाश्ता भी कर लिया। होटल से निकलते निकलते 9 बज गए।
होटल के गेट पर सिक्योरिटी गॉर्ड से पूछताछ हुई।
"ताज महल जाने के लिए कहाँ से जाएँ ? कितना समय लगेगा ?"
"सिर्फ 2 किलोमीटर है। 5 मिनट में पहुँच जायेंगे। लेकिन अपनी गाड़ी से क्यों जाते हैं ?"
"क्यों ? अपनी गाड़ी में क्या दिक्कत है ?"
"पार्किंग की प्रॉब्लम ही रहती है वहां।"
"इतनी सुबह भी पार्किंग नहीं मिलेगी क्या ?"
"सुबह की बात नहीं है। ताजमहल की पार्किंग हर समय फुल ही रहती है। ऊपर से आज छुट्टी का दिन भी है तो भीड़ बहुत रहेगी।"
"हमारी मानें तो गाड़ी होटल में ही छोड़ दो। ऑटो से चले जाओ। 50 रुपया पड़ेगा। लेकिन पार्किंग का पैसा भी बच जायेगा। "
"बहुत बढ़िया। ऑटो से ही जाते हैं।"
गॉर्ड जी भागे भागे बाहर गए और एक ऑटो रुकवा दिया। ऑटो वाले से पैसे पूछे तो 50 रुपये बताये। बैठे और चल दिए ताज की ओर। ताजमहल तक की दूरी हमारी उम्मीद से बहुत कम थी। ऑटो वाले को टिकट विंडो तक पहुँचने में बमुश्किल 3 मिनट लगे। एक बार तो लगा कि 50 रुपये ज्यादा ही दे दिए।
टिकट विंडो पर पहुंचे। भारतीयों और विदेशियों के लिए टिकट का अलग अलग दाम था। बच्चे का प्रवेश मुफ्त था। विदेशियों को टिकट के साथ पानी की बोतल भी दी जा रही थी। टिकट लेकर बाहर आये। बहुत से बैटरी वाहन पर्यटकों को टिकट ऑफिस से ताज के मुख्य द्वार तक ले जाने के लिए खड़े थे। यह सुविधा ताज के टिकट में ही शामिल है।
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