मैंने अपनी फैमिली के साथ काफी रोड ट्रिप्स करे हैं। पिछले साल हमने अपनी नई गाड़ी दिल्ली से मुक्तेश्वर भी चलाई। इस बार पापा ने खुद ही बोला कि केरल में सेल्फ ड्राइव कार भाड़े पर ले ली जाए क्या। उनके सवाल ने मुझे काफी खुश कर दिया। यह सुनते ही मैंने प्लानिंग स्टार्ट कर दी। क्योंकि हमारे पास सिर्फ एक वीकेंड ही था, मेरे दिमाग में सिर्फ एक ही जगह का ख्याल आया - मुन्नार। क्योंकि हाउस बोट और वर्कला में पहले ही जा चुकी हूँ मुन्नार ही मुझे अपने लिए सबसे खूबसूरत ऑप्शन नज़र आया। किसी तरह मैंने अपनी बहन को भी मना लिया मुन्नार जाने के लिए। बस फिर मैंने एक सेल्फ ड्राइव बुक कराई जिसमें मुझे मारुति ब्रेज़्ज़ा आटोमेटिक एक अच्छे दाम पर मिल गयी।
हमारी दिल्ली से फ्लाइट कोचीन के लिए सुबह 5 बजे की थी। इतनी सुबह भी मेरी आँखें एक्ससिटमेंट में खुली हुई थी। 8 बजे के आस पास एयरपोर्ट से निकलते ही हमें अपनी सेल्फ ड्राइव कार मिल गयी। सुबह सुबह पंजाबी गाने लगाकर हम निकल पड़े मुन्नार की तरफ। लगभग 150 किलोमीटर का फासला तय करना जिसके लिए हमें लगभग 6 घंटे लगे। हमने नाश्ते पर थोड़ा ज़्यादा ही समय लगा दिया था। लगभग 2 बजे के करीब हम अपने होटल पहुँचे जहां हमारा स्वागत वहाँ की स्पेशल काली चाय से किया गया। उसे पीकर मानो जैसे सारी थकान मिट गयी। हमने 3000 रुपये रात के हिसाब से होटल ग्रैंड प्लाज़ा में दो कमरे बुक करे थे। होटल बहुत ही साफ सुथरा और इको फ़्रेंडली था। वहां प्लास्टिक का इस्तेमाल बिल्कुल कम होता है और पीने के लिए पानी कांच के बोतल में दिया जाता है।
अब बात करते हैं मुन्नार की, मुन्नार समुन्द्र और बैकवाटर्स से घिरे राज्य केरल में पहाड़ी जिला ज़िला है। मुन्नार की चाय विश्वप्रसिद्ध है और यहाँ के लोगों की मानें तो सारी अच्छी क्वालिटी की चाय एक्सपोर्ट करी जाती है और हमें कंपनियां देती हैं बचा हुआ माल। मुन्नार अंग्रेज़ों के लिए गर्मियों से बचने की एक प्रसिद्ध जगह थी। आप मुन्नार को उत्तर के किसी भी हिल स्टेशन से काम समझने की गलती मत कर लेना। यहाँ भी आपको माल रोड मिलेगी, एक नदी मिलेगी, दो चार बढ़िया ट्रेक पर जाने का मौक मिलेगा तो पूरी तैयारी के साथ आना अच्छा रहेगा। अब बातों ही बातों में श्याम हो चुकी थी और वक्त आ गया था कलारिपयात्तु देखने के।
कलारिपयात्तु केरल का प्राचीन मार्टियल आर्ट है। करीब 6 बजे के करीब हमें एक छोटे से थिएटर में दाखिल किया जाता है। जो बैठने के लिए जगह है उसको काफी ऊँचा बनाया गया है जिसकी वजह से हम सीधा नीचे कलाबाज़ों को देख सकते हैं। बीच में रेत है। सारे कलाबाज़ एक एक करके पहले महादेव की पूजा करते हैं और फिर अपनी अपनी कला का प्रदर्शन करने लगते हैं। 5 से 10 मिनट के अंदर ही आपको ऐसा लगेगा की आप इंडिया गोट टैलेंट के सेट पर आगये हो। तलवारबाज़ी, मुक्केबाज़ी, आग के बीच कूद जाना और ऐसी बहुत सी दिल दहला देनी वाले स्टंट से हमारा दिल जीत लिए वहां के परफॉर्मर्स ने। मैं हर उस बन्दे से अर्ज़ करूँगा जो मुन्नार जा रहा है कि यहां ज़रूर जाएँ और इन कलाबाज़ों को प्रोत्साहन दे। इसी के साथ हमारी श्याम समाप्त हुई और हम मॉल रोड पर खाने पीने के लिए निकल पड़े। वहां हमने जमकर शॉपिंग करी। मुन्नार कि होम मेड चॉकलेट भी काफी फेमस है जो हमने सभी रिश्तेदारों और दोस्तों के लिए पैक करवाई।
सुबह हमारे होटल मैनेजर ने हमें चाय के बाघ के ट्रेक पर लेकर जाना था। हम सब लोग सुबह ६ बजे कड़कती ठण्ड में उठकर तैयार हो कर खड़े होगये। हमारे मैनेजर ने हमको बताया कि जो बाघ आप देखने जा रहे हैं, वहाँ आम आदमी को जाने की इजाज़त नहीं है पर क्योंकि होटल वालों के यहाँ अच्छे तालुकात हैं इसीलिए हम यहाँ घूम पा रहे हैं। उन्होंने बताया कि यह खूबसूरत हरे भरे बाघों के पीछे यहाँ की औरतों की मेहनत, खून और पसीन छिपा हुआ है। उन्होंने बताया कि यहाँ के मर्द थोड़े निकम्मे हैं और ऑटो/टैक्सी चलाने के अलावा कोई काम करने का नहीं सोचते जबकि औरतें इन चाय के बाघों पर मज़दूरी करके घर चलती हैं। यहाँ के लोगों कि सबसे बड़ी समस्या ही यही है कि लड़कियां किसी अनपढ़ ऑटो वाले के प्यार में न फंस जाए। इसीलिए सब अपनी बेटियों को पढ़ा लिखा कर बाहर भेजना चाहते हैं। अब आप खुद ही सोचिये यह सारी बातें जो उस जगह से जुडी हुई हैं कोई टूर गाइड बताएगा क्या। हमारे मैनेजर बहुत पढ़े लिखे और समझदार इंसान हैं। उन्होंने इस ट्रेक को काफी यादगार बना दिया। फोटोज खींच कर जब वापिस लौटे तो मज़ेदार ब्रेकफास्ट बुफे ने हमारा स्वागत किया।
फिर तैयार होकर हम वापिस कोचीन कि तरफ निकल पड़े। कोचीन में हमने चेराई बीच पर एक रिसोर्ट बुक कर रखा था और सीधा पहाड़ों से समुन्द्र में छलांग मारने का अपनी ही मज़ा है। पर फिर भी मुन्नार का जादू सर चढ़ कर बोल रहा था। हमारी बातों में मुन्नार का ज़िक्र काफी बढ़ गया उस वीकेंड के बाद। अगले दिन कि दोपहर हम कोचीन से वापिस दिल्ली कि फ्लाइट पकड़कर वापिस घर लौट गए। मुन्नार ने जैसे हमें मंत्रमुग्ध कर लिए 2 दिनों के अंदर ही। मैं आप सबको राय दूंगी मुन्नार जाने की और जब आप वहाँ से वापिस आएं तो मेरा शुक्रियादा करना मत भूलियेगा। त्रिपोटो पर इसके बारे में ज़रूर लिखियेगा। मैं जब तक अपने अगले ट्रिप की तैयारी करती हूँ।