घुमक्कड़ बनना आसान नहीं होता है। तभी तो ठेठ घुमक्कड़ के बारे में पता चलता है तो उसकी कहानी हैरान कर देती है। मेरे पास एक ऐसे ही घुमक्कड़ की कहानी है। जो बिहार के एक छोटे-से गांव मुंगेर से निकलकर तीन साल तक 3 अलग-अलग महाद्वीपों में 30 देशों और 50 हजार किमी. हिचहाईकिंग कर चुका है। घुमक्कड़ ने अपनी घूमने की पूरी कहानी एक इंटरव्यू में बताई है। कम उम्र में इतना कुछ घूमने वाले शुभम की कहानी जानकर हर कोई इस तरह घूमना चाहेगा।
वो खुद को नोमेड शुभम कहता है। शुभम के लिए पूरी दुनिया ही उसका घर है। 17 साल की उम्र में जब लाखों छात्र कोटा में जेईई मेन्स के एग्जाम के लिए तैयारी कर रहे थे। उस समय शुभम ने अपने जुनून को पूरा करने के लिए एक कदम उठाया। इससे पहले उसने सोचला था कि वो दुनिया तभी घूम सकता है जब पायलट या इंजीनियर बन जाता है।
इसकी प्रेरणाः
सितंबर 2017 में शुभम के रोंगटे खड़े हो गए जब वो वरुण वागीश की वीडियो देख रहा था। कुछ ऐसा ही तोमिसलव पेर्को की टेड टाॅक वीडियो बिना पैसे में पूरी दुनिया को कैसे घूमें देखी। तब उसने खुद से कहा कि मैं ये कर सकता हूं और बाकी इतिहास है।
प्रारंभिक यात्राएंः
शुभम ने अपनी बहुत कम बचत और इनकम के साथ राजस्थान के जयपुर, जैसलमेर और बीकानेर में अपनी शुरू की कुछ यात्राएं की। 18 जनवरी को उसने अपनी बचत के साथ जयपुर, पुष्कर, शिमला, स्पीति और लद्दाख की यात्रा के लिए निकल पड़ा। आखिरकार शुभम ने अपनी इंजीनियरिंग को छोड़कर अपनी हसरत को पूरा किया।
रूस
17 साल की उम्र में शुभम ने पहली बार 4 सप्ताह के लिए रूस और कजाकिस्तान में अपनी पहली इंटरनेशल यात्रा की। इसमें फ्लाइट के 16 हजार रुपए, वीजा के 2 हजार, रोज का खर्च 5 हजार रुपए का खर्चा आया। उन्होंने अपनी पहली विदेशी यात्रा में 7 हजार किमी. की हिचहाइकिंग की। शुभम की यात्रा में ज्यादातर खर्च फ्लाइट्स में हो रहा था। इस इंटरनेशनल सफर ने उनको हवाई यात्रा न करके खर्चे में कटौती करने का एक बढ़िया आइडिया दिया।
दक्षिण पूर्वी एशिया
इसके बाद शुभम ने दक्षिण पूर्वी एशिया के मलेशिया, थाईलैंड, लाओस, कंबोडिया, म्यांमार, लाओस और चीन के लिए अपनी 7 महीने की जमीनी यात्रा शुरू की। जिसमें औसतन हर रोज 400 रुपए का खर्च आता है। शुरू में सोलो ट्रैवलिंग में शुभम को लैंग्वेज के अंतर की वजह से काफी दिक्कत का सामना करना पड़ा है। जब वो अपनी यात्रा में अलग-अलग लोगों से मिलने लगे तो धीरे-धीरे सब कुछ सही होने लगा। सांकेतिक भाषा और गूगल ट्रांसलेट ने उसके काम को बहुत आसान कर दिया। बाद में शुभम ने स्थानीय लोगों के साथ बातचीत करके रूसी सीखी। उसने अपने माता-पिता के लिए एक करेसपोंडेंस कोर्स में एडमिशन ले लिया लेकिन ज्यादातर विषयों मे वो फेल हुआ और आखिर में कोर्स को छोड़ दिया।
मध्य एशिया
पूरी तरह से घुमक्कड़ बनने के बाद उनका अगला डेस्टिनेशन चीन, मंगोलिया और रूस थे। इसके बाद उन्होंने कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, तजाकिस्तान, उजबेकिस्तान, फिर से कजाकिस्तान, रूस और अजरबैजान की लंबी जमीनी यात्रा की।
ओम्याकोन
सबसे पहले शुभम ने भारत से साऊथ अफ्रीका के लिए हिचहाइकिंग का प्लान बनाया लेकिन जब उसने दुनिया की सबसे ठंडी जगह ओम्याकोन की डॉक्यूमेंट्री देखी तो अपने एडवेंचर को बढ़ाते हुए उज्बेकिस्तान से अपनी यात्रा को 20 हजार किमी. पीछे धकेल दिया। इसके लिए उसने अपने तुर्कमेनिस्तान का वीजा भी छोड़ दिया।
इसके बाद अजरबैजान वापस आए। वो उस समय को याद करते हैं जब कोविड-19 की वजह से उसकी इंडिया की फ्लाइट कैंसिल हो गई। जिस वजह से शुभम को अगले 6 महीने तक वहाँ रहने के लिए मजबूर होना पड़ा। उसने उस समय का उपयोग अपने ब्लॉग को इडिट करने के लिए किया। भारतीय दूतावास के साथ काफी संघर्ष के बाद उसे खबर मिली कि कुछ चुनिंदा देशों के लिए फ्लाइट्स शुरू हो रही है। तब उसने राहत की सांस ली।
कोरोना की महामारी जब धीमी हुई तो उसे तुर्की जाने के लिए परमिशन मिल गई। जहाँ से वो सर्बिया, तंजानिया, केन्या, दुबई और भारत गया। इसके बाद वो इराक, यूक्रेन, इथियोपिया, सूडान, किर्गिस्तान, यूक्रेन, अफगानिस्तान और सीरिया से आगे बढ़ते हुए सर्बिया में उत्तर की ओर गया।
घूमने के लिए पैसाः
आमतौर पर इस सवाल का सबसे सरल उत्तर है कि घूमले के लिए ज्यादा पैसों की जरूरत नहीं है। इसके लिए अच्छी तरह से मैनेजमेंट की जरूरत है। बस आपके अंदर अपने यात्रा के टारगेट को पूरा करने के लिए कुछ छोड़ने का साहस होना चाहिए। शुरुआत में, उसने माता-पिता के दिए पैसे के बड़े हिस्से को बचाया और बाद में कमाने के कई तरीके आजमाए।
- कोटा में ट्यूशन की जिसे बाद में स्काइप कक्षाओं में बदल दिया।
- हॉस्टेल्ज डॉट कॉम पर हॉस्टल की समीक्षा करना जिससे अब 250 डॉलर से ज्यादा कमाए।
- बुकिंग डॉट कॉम से रेफरल।
- वर्ल्डपैकर्स माध्यम से वॉलियंटरिंग जिसमें खाने और रहने के बदले होटल में काम किया।
खर्चों में कटौतीः
- काउचसर्फिंग से लोकल लोगों के साथ रहना।
- हिचहाइकिंग।
- जमीन के रास्ते यात्रा करना, बहुत जरूरी हो तभी फ्लाइट्स लेना।
- हॉस्टल में रहना और खाना पकाना।
शुभम उस समय को याद करता है जब किर्गिस्तान में उसकी जेब खाली हो गई थी। तब काम करने के लिए वो दो महीने तक वहाँ रहा और उस पार्ट-टाइम जाॅब से 50 हजार रुपए कमाए थे। इसी तरह जब वो रूस में था तो उसने 8 साल के एक बच्चे को इंग्लिश सिखाई और 8 साल के उस लड़के के उस परिवार के साथ 5 दिन तक रहा, जो उसे सड़क पर मिला था।
14 महीने मक घूमने का खर्च सिर्फ 1.6 लाख थाः
- 60 हजार वीजा के लिए
- 80 हजार रोज के खर्चों के लिए
- फ्लाइट्स के लिए 20 हजार
- हर रोज 400 रुपए खर्च आया, इससे थोड़ा ही ज्यादा हम भारत में हर रोज खर्च कर देते हैं।
शुभम टूरिस्ट की तरह नहीं बल्कि एक असली घुमक्कड़ की तरह यात्राएं करते हैं। वो टूरिज्म वाली चीजों पर खर्च नहीं करते हैं, कहीं पर भी टेंट लगा लेता है। रोड, फायर स्टेशन, गैस स्टेशन और पुलिस स्टेशन कहीं पर भी सो जाता है। वो आम तौर तभी ब्रेक लेता है जब वो बोर होने लगता है। वो फुल टाइम घुमक्कड़ है तो ऐसा होना कभी-कभी लाजिमी भी है। उसके घूमने का लक्ष्य स्थानीय लोगों से मिलना, अलग-अलग कल्चर को जानना, नए-नए खाने का स्वाद लेना और कुछ मीठी यादों को वापस लाना है।
एक साल की बेहिसाब यात्रा करने के बाद 2019 में अपने रेडमी फोन पर ब्लाॅग बनाकर यूट्यूब पर डालना शुरू कर दिया। बाद में उज्बेकिस्तान में एक गो प्रो खरीदा। अपने चैनल का नाम नोमेड शुभम किया। इस चैनल को कई घूमने वाले और जानने वालों ने सब्सक्राइब किया हुआ है। शुभम ने चीन में अपने पहले वीडियो ब्लाॅग को रिकाॅर्ड किया और मंगोलिया में अपलोड किया। धीरे-धीरे उसके 10 हजार सब्सक्राइब हो गए। साइबेरिया की यात्रा के बाद ये आंकड़ा 1 लाख का हो गया।
दुनिया भर में अकेले घूमते हुए और हिचकाइकिंग करते हुए इस ग्रह के सबसे दिलचस्प और लोगों से मिला। इसके अलावा जीवन के सबसे डरावने और अद्भुत अनुभवों से भी रूबरू हुआ। उनके कुछ हैरान कर देने वाले किस्सेः
- ताजिकिस्तान में पामीर पहाड़ों में 2 दिन तक घूमना और ठंड के साथ भेड़ियों का डर।
- गोबी रेगिस्तान में पैदल चलते हुए रास्ते में पानी खत्म होने पर मरने की हालत हो गई थी लेकिन आखिर में स्थानीय लोगों ने मदद की।
- यकुटिया में लगभग मौत ही होने वाली थी। माइनस 50 डिग्री के तापमान में खाली रोड पर होना।
- दुनिया की सबसे ठंडी जगह पर जाने वाले चैथे इंडियन। इसके लिए वहाँ के मेयर से सर्टिफिकेट भी मिल चुका है।
- सूडान की सबसे गर्म जगह का अनुभव।
इसके बावजूद शुभम ने कभी हिचहाइकिंग नहीं छोड़ी। वो लक्जरी के साथ ट्रैवल कर सकता है या फिर घर पर रह सकता है। अगर ऐसा होता तो वो साइबेरिया में माफिया जैसे दिलचस्प लोगों से नहीं मिलता। जिनके साथ वो एक रात रूका था। इसके अलावा शहर के मेयर या फेमस मंगोलियाई सिंगर जैसे लोगों से मिला। वो कुछ बेहतरीन अफ्रीकी लोगों से मिला। तंजानिया में डाइवर के डिब्बे में सीट देने की वजह से उसे टिकट की जरूरत नहीं पड़ी। ट्रेन डाइवर ने उसे वाइल्डलाइफ शूटिंग करते हुए देखा तो उसे ट्रेन को रोकने का ऑफर दिया जिससे वो आसानी से वीडियो शूट कर सके।
शुभम को अच्छे-से जानिएः
अब तक की गई यात्रा में आपके लिए सबसे अच्छी जगह कौन-सी है?
म्यांमार और सखा गणराज्य यकुटिया - प्यारे लोगों से भरी बेहतरीन जगह।
सबसे अच्छी और सबसे खराब डिश जो आपने अनुभव की और कहाँ की है?
मुझे सबसे ज्यादा इथियोपियाई डिश पसंद हैं और खाने का तरीका- 1 प्लेट में 4 लोग। ये भारतीय और अफ्रीकी फूड का बढ़िया काम्बिनेशन है लेकिन मुझे मंगोलिया में घोड़े का मीट पसंद नहीं आया।
क्या आपने कभी अपनी यात्रा में किसी खराब स्थिति का सामना किया है?
इस 3 सालों की यात्रा में सिर्फ दो बार ऐसा हुआ है, एक म्यांमार में- मेरा टेंट लोकल लोगों ने छीन लिया गया और फेंक दिया गया। दूसरा थाईलैंड में हिचहाइकिंग के दौरान एक ड्राइवर की वजह से उत्पीड़न का सामना किया।
यात्रा के अलावा आपके क्या-क्या शौक हैं?
हमेशा गूगल पर अलग-अलग जगहों के बारे में सर्च करना, चेस खेलना और खाना बनाना।
आपकी भविष्य की क्या प्लानिंग हैं?
3 साल पहले मुझे नहीं पता था कि मैं 3 महाद्वीपों की यात्रा कर सकता था। मैं भविष्य के बारे में नहीं सोचता बल्कि अपने वर्तमान पर फोकस करता हूं। सिर्फ यात्रा का अनुभव होने के कारण 9 से 5 की नौकरी मेरे लिए नहीं है। यूट्यूब घूमने के लिए मेरे फंड्स से काफी ज्यादा है। मैं दक्षिण अमेरिका के लिए 5-6 महीने तक घूमने की योजना बना रहा हूं जिसमें अफ्रीका, सोमालिया और जिबूती हैं। इसके अलावा मॉरिटानिया, नामीबिया और जाम्बिया भी मेरी बकेट लिस्ट में है।
एक लड़की के लिए आपकी तरह सोलो ट्रैवल करना कितना आसान है?
मैं कई सोलो ट्रैवल करने वाली लड़की से मिला। उनमें से एक किर्गिस्तान की दानिया थी, एक जर्मन लड़की ने एक घोड़े पर पूरे मंगोलिया की यात्रा की। एक बार लूटने के बाद भी उसने हार नहीं मानी। एक गरिमा बख्शी भी हैं जो हरियाणा की एक व्लॉगर हैं। वो सिर्फ 20 साल की लड़की है और अभी सूडान में है। मैं मानता हूं कि हिचहाइकिंग लड़कियों के लिए थोड़ा असुरक्षित हो सकता है, लेकिन फिर भी जब कोई इच्छा होती है तो रास्ता अपने आप बन ही जाता है।
इस पूरी यात्रा में आपने क्या सबक सीखा है?
बहुत कुछ सीखा है। लोगों का एक नया नजरिया मिला है। वे हर जगह एक जैसे हैं। उनसे पर्सनली मिलने पर नेगेटिविटी चली जाती है जो हम अपने दिमाग में सेट कर सकते हैं। मैं इसे आने वाली पीढ़ियों के लिए सलाह देता हूं। इसमें कोई संदेह नहीं है कि शिक्षा जरूरी है लेकिन मुझे यात्रा करके जो अनुभव मिला वो शायद किताबों को पढ़ने से नहीं मिलेगा।
आपने अपने माता-पिता को कैसे समझाया?
हर भारतीय माता-पिता की तहर मेरे माता-पिता भी कुछ ज्यादा ही सोचते थे। मैंने उन्हें धीरे-धीरे समझाने की कोशिश की। जब वो रूस की मेरी पहली यात्रा के लिए सहमत नहीं हुए तो मैंने उनको विश्वास में लेने के लिए वरुण वागीश के वीडियो दिखाए। शुरूआती यात्राओं में मैं हमेशा अपनी लाइव लोकेशन उनसे शेयर करता था। दिन में उनको मैं कई बार फोन भी करता था।
यूटयूब की सफर यात्रा के बाद शुभम कहते हैं ये अंत नहीं है। पढ़ाई करें और नौकरी करके घूमा जा सकता है लेकिन मैंने उनसे कहा कि कुछ साल के बाद मैं वापस ट्रैक पर आ जाऊँगा। मुझ नहीं पता कि ये कब खत्म होगा? भविष्य में क्या होने वाला है लेकिन ये पता है कि मैंने ये रास्ता केैसे बनाया है?
क्या आप सोलो ट्रैवलर्स के लिए कुछ सुझाव देना चाहेंगे?
यात्रा करना कभी-कभी महंगा होता है और कभी-कभी किफायती भी हो जाता है। हमें नए लोगों से बात करनी है। मुझे लगता है कि ये यात्रा करने का सबसे अच्छा तरीका है। बस सतर्क रहें, पहले से पढ़ें और तैयार रहें। जहाँ भी संभव हो काउचसर्फिंग और हिचहाइकिंग का विकल्प चुनें और रास्ते में किसी भी परिस्थिति का सामना करने के लिए तैयार रहें।
उनके साथ बात करते समझ आता है वो कितने विनम्र हैं। उन्होंने हर चीज का बड़े विस्तार और पूरे उत्साह के साथ उत्तर दिया। वे इस सदी के इब्न-बतूता और खुले विचारों वाले व्यक्ति हैं। वे जो कुछ भी चाहते हैं आजादी से बोलते हैं। उनकी यात्रा करने का तरीका वास्तव में सभी के लिए प्रेरणा से कम नहीं है।
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