जहाँ बाल सफेद हुए नहीं कि लोग बिस्तर पकड़ लेते हैं वहीं कुछ ऐसे लोग हैं जो उम्र की दीवार लाँघ कर अपने सपनों को पूरा कर रहे हैं। ऐसी ही एक महिला है महर मूर। मुंबई की 70 वर्षीय महर मूर के 18 पासपोर्टों में लगभग 180 देशों के ठप्पे लग चुके हैं | पिछले 50 सालों से दुनिया घूम रही महर की कहानी सुनकर बड़े से बड़ा ट्रैवेलर भी हैरान रह जाएगा |
महर मूर की यात्रा की शुरुआत
साल 1965 की बात है जब 20 साल की महर ने दुनिया घूमने को ही अपनी जीवनशैली बनाने का फ़ैसला किया | सात साल एयर इंडिया में फ्लाइट अटेंडेंट की नौकरी करने के बाद महर को सीनियर टूरिज़्म ऑफिशियल बना दिया गया | नौकरी करते हुए उन्हें दुनिया में कई जगहों पर घूमने का मौका मिला | जिस उम्र में ज़्यादातर महिलाओं को परिवार और बच्चों की ज़िम्मेदारियों में बाँध दिया जाता है, उस उम्र में महर ने अपने दुनिया घूमने के सपने को सबसे ज़्यादा अहमियत दी |
कई बार तो सुनने वाले लोग महर से पूछ बैठते हैं कि क्या कोई ऐसा देश बचा है जहाँ वो नहीं गई हैं | न्यूयॉर्क, बोबो, डायलासो, न्यू कैलेडोनिया; महर कई ऐसे देशों में घूमी हैं जहाँ का नाम लेने में ही ज़ुबान टेढ़ी हो जाए | जब हर इंसान अमेरिका या यूरोप घूमने के सपने सॅंजो रहा था, तब ये पारसी महिला कॉन्गो के पिग्मी लोगों के बीच घूम रही थी और प्रशांत महासागर के बीच बने ईस्टर आईलैंड में कैंपिंग कर रही थी |
अगर आपको लगता है कि इतनी जगह वो सिर्फ़ अपनी नौकरी की वजह से ही घूम पाई है तो आप ग़लत हैं | महर ने खुद से बचत करके पैसा जोड़ा और कई महीनों तक छुट्टियाँ भी मनाई है | छह महीने तक अफ्रीका में घूमने के अलावा वे मध्य एशिया के मार्को पोलो रूट पर भी घूमी है |
एक बार घूमते हुए महर की मुलाकात प्रसिद्ध स्वीडिश-अमेरिकी खोजकर्ता लार्स-एरिक लिंडब्लैड से हुई | इतना ही नहीं, अंटार्कटिका जाते इस खोजकर्ता ने महर को अपने साथ जहाज़ पर साथ चलने के लिए भी आमंत्रित किया | मगर ऐसा नहीं है कि 180 देश घूमने के बाद महर अब कहीं और नहीं जाना चाहती | वे अभी भी माइक्रोनेशिया, मलावी, उत्तर कोरिया, जॉर्डन, ब्रुनेई, ट्यूनीशिया और मोजाम्बिक घूमना चाहती हैं |
आरामपरस्त ज़िंदगी जीने वालों को ये बहुत मेहनत वाला काम लग सकता है, मगर जिन्हें घूमने- फिरने और रोमांचक ज़िंदगी से प्यार है वे महर को एक प्रेरणा स्त्रोत की तरह देखते हैं |
महर अब ऐसी जगह घूमना चाहती हैं जहाँ आज तक कोई ना गया हो, ऐसी जगह जो थोड़ी ख़तरनाक हो, मगर दिलचस्प भी |
लोग कहेंगे कि घूमने के लिए इतना पैसा आया कहाँ से ? बचत, स्पॉन्सरशिप और कुछ कॉंप्लिमेंटरी टिकटों के सहारे ही महर ने अपना सपना पूरा किया है |
आज के समय में जब लोग इंटरनेट के बिना घूमने की कल्पना भी नहीं कर सकते, 180 देश घूमने वाली इस महिला ने बिना तकनीकी मदद के ये कारनामा कैसे कर दिखाया, भगवान जाने ! महर को जो भी खोजबीन करनी होती थी, वे एशियाटिक लाइब्रेरी से करती थी | वे एबीसी वर्ल्ड एयरवेज गाइड भी पढ़ा करती थी, जो हवाई जहाज़ों के लिए रेल-टाइमटेबल जैसा ही है |
आज 70 की उम्र में जब उन्हें आँखों से दिखना और कानों से सुनना ज़रा कम हो गया है, तब भी दुनिया घूमने का उनका जज़्बा 20 साल की महर जैसा ही जवान है | ये घुमक्कड़ महिला अभी उत्तरी अमरीका में तीन महीने की छुट्टी मना रही हैं |
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