जयपुर शहर में सिटी पैलेस के पास स्थित जंतर मंतर दुनिया में सबसे बड़ी पत्थर से बनी खगोलीय वेधशाला है। जिसका निर्माण राजा सवाई जय सिंह ने 1727 - 33में करवाया था। अपने समृद्ध सांस्कृतिक, विरासत और वैज्ञानिक मूल्य के कारण यह यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की सूचि में भी शामिल है। इस वैधशाला का निर्माण अच्छी किस्म के संगमरमर और पत्थरों से किया गया है। इस विशाल वेधशाला बनाने का मुख्य उद्देश्य अंतरिक्ष और समय के बारे में जानकारी इकट्ठा करना और उसका अध्यन करना था। इस जगह पर एक राम यंत्र भी रखा हुआ है जिसका इस्तेमाल उस समय उंचाई मापने के लिए किया जाता था। जंतर मंतर एक पूर्व युग के ज्ञान और गणितीय कौशल के गवाह के रूप में गर्व से खड़ा है, जो यहां आने वाले पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है।
राजा सवाई जय सिंह खुद एक कुशल विद्वान थे जिन्हें सम्राट मुहम्मद शाह द्वारा आकाशीय पिंडों की गति पर उपलब्ध वर्तमान आंकड़ों की पुष्टि और सुधार करने का काम दिया गया था। राजा जय सिंह प्राचीन इस्लामिक ज़िज तालिकाओं को परिष्कृत करना चाहते थे ताकि दिन का सही समय निर्धारित किया जा सके। जय सिंह एक सटीक कैलेंडर बनाना चाहता थे जो व्यक्तिगत और सामाजिक लाभ दोनों के लिए सटीक ज्योतिषीय भविष्यवाणियां करने में मदद कर सकता था। अपने इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए उन्होंने वर्ष 1718 में जंतर मंतर बनाने का फैसला लिया, जिसके लिए उन्होंने हिंदू, यूरोपीय, इस्लामी और फारसी सभ्यताओं के खगोलीय सिद्धांतों पर व्यापक अध्ययन किया और पूरे उत्तर भारत में पांच अलग-अलग वेधशालाओं का निर्माण किया। जय सिंह ने 1727 और 1733 के बीच की जयपुर के जंतर मंतर का निर्माण किया और इसको बार-बार पुनर्निर्मित भी करवाया। यहाँ के उपकरण का निर्माण इस तरह से किया गया था जिसमें बहुत सारे ब्रह्मांडीय अनुप्रयोगों को कवर किया।
जयपुर में स्थित जंतर मंतर विभिन्न वास्तु और खगोलीय उपकरणों का एक संग्रह है जहाँ पर समय को मापने, ग्रहों के विक्षेपण का पता लगाने, ग्रहणों की भविष्यवाणी करने, आकाशीय ऊंचाई का पता लगाने और कक्षाओं में तारों को ट्रैक करने के उपकरणों सहित 19 प्रमुख ज्यामितीय उपकरण हैं। जयपुर का यह आकर्षण करीब 18,700 मीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है और यहां पर कई बहुत बड़े उपकरण भी हैं। सवाई जय सिंह द्वितीय ने जंतर मंतर का निर्माण अच्छी क्वालिटी के पत्थर और संगमरमर से करवाया था क्योंकि पत्थर धातु की तुलना में अधिक मौसम की स्थिति का सामना कर सकते हैं। इन उपकरणों में से कुछ को राजा जय सिंह ने खुद की अवधारणा के अनुसार डिजाइन किया था। दूसरी तरह यहां कई तांबे से निर्मित उपकरण भी मौजूद हैं जो आज भी सटीक तरीके से काम करते हैं। जयपुर का जंतर मंतर उत्तर भारत के अपने अन्य वैधशाला की अपेक्षा सबसे बड़ा।
जंतर मंतर में यहाँ का सबसे बड़ा साधन सम्राट यंत्र है स्थानीय समय को 2 सेकंड तक की सटीकता के माप सकता है। बता दें कि इस यंत्र की संरचना स्थानीय पत्थर और संगमरमर से बनाई गई है इनमे से प्रत्येक उपकरण एक खगोलीय पैमाने पर ले जाता है। हालांकि सम्राट यंत्र जनता के लिए खुला नहीं है क्योंकि पर्यवेक्षक आज भी अपनी गणना के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं। यहां पर एक छोटा सा सुंडियाल मौजूद है जो सम्राट यंत्र के समान सिद्धांत पर काम करता है और जनता के उपयोग और अन्वेषण के लिए खुला है। इसके अलावा यहाँ राम यंत्र भी है जिसका उपयोग ऊंचाई के स्थानीय निर्देशांक और आकाशीय वस्तु के अजिमुथ को मापने के लिए किया जाता है। जय प्रकाश यंत्र का उपयोग स्वर्गीय स्मारकों की स्थिति को खोजने के लिए किया जाता है।
जंतर मंतर जयपुर से सिर्फ 5 किमी की दूरी पर स्थित है। इसके आप बस , कैब या टैक्सी की मदद से भी पंहुच सकते हैं। जयपुर शहर रेलवे, वायुमार्ग और रोडवेज से भारत के कई बड़े शहरों से अच्छी तरह कनेक्टेड है।
अगर जंतर मंतर देखने के लिए जयपुर जा रहे हैं तो आपको बता दें कि हवाई जहाज द्वारा जयपुर की यात्रा करने के लिए अच्छा विकल्प है। सांगानेर हवाई अड्डा भारत के प्रमुख शहरों से नियमित रूप से चलने वाली कई एयरलाइनों से जुड़ा हुआ है। सांगानेर से जंतर मंतर की दूरी करीब 17 किलोमीटर है जिसके लिए किसी भी टैक्सी या कैब की मदद ले सकते हैं।
राजस्थान राज्य सड़क परिवहन निगम (Rsrtc) राजस्थान राज्य के भीतर जयपुर और प्रमुख शहरों के बीच कई लक्जरी और डीलक्स बसें चलाता है। आप जयपुर के लिए नई दिल्ली अहमदाबाद, उदयपुर, वडोदरा, कोटा और मुंबई जैसे शहरों से बस पकड़ सकते हैं।
अगर आप जंतर मंतर ट्रेन से से जाना चाहते हैं तो बता दें कि जयपुर रेलवे स्टेशन भारत के अन्य हिस्सों एक्सप्रेस ट्रेनों की मदद से जुड़ा हुआ है। जयपुर रेलवे स्टेशन से आप कैब या टैक्सी की मदद से अपनी मंजिल तक आसानी से पहुँच सकते हैं।
• जयपुर का जंतर मंतर यूनेस्को द्वारा घोषित विश्व विरासत स्थल है। यह सूर्योदय से सूर्यास्त तक दर्शनार्थ खुला रहता है। वेधशाला के यन्त्र भी इसी समयावधि में कार्यशील रहते हैं।
• इस वेधशाला में प्रवेश शुल्क ५० रुपये भारतवासियों के लिए तथा २०० रुपये विदेशी पर्यटकों के लिए निश्चित है।
• यह वेधशाला जयपुर के मधोमध स्थित है। अतः किसी भी साधन द्वारा यहाँ तक सरलता से पहुंचा जा सकता है।
• साधारणतः पर्यटक जंतर मंतर के यंत्रों के दर्शन ४५ मिनट से १ घंटे के समयावधि में पूर्ण कर लेते हैं। यद्यपि मुझे इनके निरिक्षण हेतु ३ घंटों का समय लगा। वह भी अनुमानतः मेरे द्वारा कुछ यंत्रों के दर्शन चूकने के पश्चात! अतः अपनी इच्छा एवं विज्ञान के प्रति आपकी रूचि के अनुरूप आप स्वयं अपनी समयावधि निश्चित करें।
• जिस तरह मैं उत्तेजित होकर अपना नाम, अनुराधा, राज यंत्र में खोज रही थी, आप भी अपना पसंदीदा नक्षत्र इस यंत्र में ढूंढ सकते हैं। आपकी सुविधा हेतु मैं यहाँ नक्षत्रों की सूची प्रदान कर रही हूँ।
• जंतर मंतर के सर्वोत्तम दर्शन हेतु तेज धूप आवश्यक है। अतः खुले आकाश में सूर्य की चमक तेज हो तभी इसके दर्शनों का अनुभव अविस्मरणीय होगा।
• बच्चों के ज्ञानवर्धन एवं मनोरंजन हेतु यह स्थल अत्यंत उपयुक्त है।
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