पिठोरिया के टूटे हुए शापित किले के अंदर कई कहानियाँ दफ्न हैं, और जो बाहर है वो हैं दंत कथाएँ और राजा के क्रूरता की कहानियाँ। रांची से लगभग 17 किमी की दूरी पर यह किला आज भी मौजूद है। 30 एकड़ में फैले हुए इस किले में 100 कमरे थे। इस विशाल किले का रंग लाल था। मुगलकालीन कला के कुछ नमूने आज भी यहाँ नजर आते हैं। किले में जहरीले सांप हैं।
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हर साल इस किले पर बिजली गिरती है और किले का कुछ हिस्सा टूट जाता है। इस किले के आस-पास रहने वाले लोग सुरक्षित हैं लेकिन इस किले पर लगे शाप ने राजा का वंश खत्म कर दिया था।
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किले के शापित होने के पिछे की कहानी
मान्यताएँ और कहानियाँ कई हैं, लेकिन शाप की कहानी सबके पास है। कोई कहता है ठाकुर विश्वानाथ सिंह ने अंग्रेजों द्वारा पकड़े जाने के बाद राजा को शाप दिया, इसके बाद उन्हें फांसी हो गयी, तो कोई कहता है विश्वनाथ जी के शहीद होने के बाद उनकी माँ ने राजा को शाप दिया। किसी के पास राजा द्वारा साधु का अपमान किये जाने के बाद शाप देने की कहानी है, तो किसी के पास नई नवेली दुल्हन जिसे राजा पहले अपने पास रखता, उसके बाद उसे घर जाने देते था; इस कुकर्म के कारण उसे शाप देने की। कुछ लोग कारीगर को शाप देने वाला बताते हैं क्योंकि राजा ने महल बनवाने के बाद उनके हाथ काट दिये थे। कहानियों कई हैं।
इतिहास क्या कहता है
पिठोरिया शुरुआत से ही नागवंशी राजा और मुंडाओं का केंद्र रहा है। 1831 ईसवी में यहाँ हुआ कोल विद्रोह भारत के इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। जमीदार रियासतों से भारी कर वसूलने लगे थे। इससे कोलों का अंसतोष बढ़ने लगा। छोटा नागपुर के महाराज हरनाथ सिंह ने कोलों से जमीन छिन कर अपने पसंद के लोगों में बांट दी जिससे विद्रोह हो गया। इस विद्रोह में लगभग 1000 लोग मारे गये थे। अंग्रेज इस विद्रोह का दबा नहीं पा रहे थे। अंग्रेज अधिकारी विल्किनसन ने राजा जगतपाल सिंह( जिनका किला आज शापित है) से मदद की अपील की, जगतपाल तैयार हो गए।
तात्कालिन गर्वनर जनरल लॉर्ड विलियम बैन्टिक ने इस मदद के लिए उन्हें 313 रूपये आजीवन पेंशन के रूप में देते रहे। 1857 की क्रांति में भी इन्होंने अंग्रेजों की मदद की थी। क्रांतिकारियों को रोकने के लिए राजा जगतपाल सिंह ने घेराबंदी की थी। राजा जगतपाल सिंह क्रांतिकारियों की हर जानकारी अंग्रेजों तक पहुंचाते थे। ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव की गिरफ्तारी के पीछे भी राजा जगतपाल सिंह की अहम भूमिका थी। राजा जगतपाल की गवाही के कारण ही 16 अप्रैल 1858 को रांची के जिला स्कूल के पास कदम के पेड़ पर शाहदेव को फांदी दे दी गई।
इसी किले के पास रहता है परिवार
इस किले में प्रवेश करने के लिए आपको इजाजत लेनी होगी। इसी किले के आगे 1960 से एक परिवार रह रहा है। इस किले में हर साल बिजली गिरती है लेकिन इस किले से सटे इस घर में नहीं। दिवार आपस में सटी होने के बावजूद बिजली सिर्फ किले पर ही गिरती है। इस घर में रहने वाले बताते हैं कि उन्होंने कई बार किले में अजीब चीजें देखी। कभी खाने की खुशबू तो कभी कुछ लेकिन उनके साथ कभी कुछ गलत नहीं हुआ। उनके दादा ने यह जमीन खरीदी और घर बनवा लिया, किले की इन्होंने 100 साल के लिए लीज में ले रखी है। अगर कोई किला देखने आता है तो ये परिवार उसे अंदर जाने देता है।
राजा का बनवाया सूर्य मंदिर भी टूट गया
किले के किनारे एक तालाब है जिसका इस्तेमाल आज भी इस गाँव में रहने वाले लोग करते हैं। इस तालाब के किनारे एक मंदिर है जो विशाल पेड़ के नीचे छिपा है। इस मंदिर की तरफ कोई नहीं जाता। एक पुजारी पहले पूजा पाठ करते थे लेकिन उनके मरने के बाद अब कोई नहीं आता। मंदिर को पेड़ ने मजबूती से पकड़ रखा है मानों कह रहा हो कि तुम्हें टूटने नहीं दूंगा।
कैसी-कैसी कहानियाँ सुनी मैंने
मैंने कई लोगों से बातचीत की और कहानियाँ सुनी। जैसे ये:
एक लकड़हारे को अपार धन मिला। इस धन का इस्तेमाल करके उसने किला बनवाया। पैसे के नशे में वो इतना चूर हो गया कि अच्छाई-बुराई का फर्क भी नजर आना बंद हो गया। देश से गद्दारी की और बदले में उसके पूरे वंश का नाश हो गया।
इसी कहानी को मैंने अलग – अलग किरदार और अलग – अलग कहानियों के माध्यम से सुना है।
मेरी बात- इस यात्रा का अनुभव कमाल का था। जब मैंने यहाँ जाने की योजना बनाई तब से रोमांचित था लेकिन पहुंच कर महसूस हुआ कि इतिहास ही तो सीखाता है, घमंड और गलत रास्ते का नतीजा हमेशा बुरा होता है। राजा की गलतियों ने उसके पूरे वंश को खत्म कर दिया लेकिन कहानियों ने उसे इस मरते खंडर की तरह जिंदा रखा है। राजा के चरित्र को लेकर कई कहानियाँ हैं, देश से गद्दारी को लेकर कहानियाँ हैं, उसकी क्रूरता की कहानियाँ हैं। वंश भले ही खत्म हो गया लेकिन आज भी राजा को इन कहानियों के कारण आम लोगों की गालियाँ और शाप तो मिल ही रहा है.....
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