
छत्तीसगढ़ से लद्दाख के सफर का चौथा दिन - पानीपत से जम्मू - 510 km
आज के दिन मैं और मम्मी उठे सवेरे सुबह 6:00 बजे पिछले दिन के सफर की थकान अभी तक उतरी नहीं थी क्योंकि किसान आंदोलन और भारी बारिश की वजह से हम काफी देर से अपने होटल पहुंचे थे लेकिन सफर लंबा था इसीलिए हमने बिना देर किए 6:30 बजे अपना सफर चालू कर दिया|
आज का टारगेट हमने रखा था पठानकोट और अगर सब कुछ ठीक रहता तो शायद हम जम्मू पहुंचने के बारे में सोच सकते थे | कल की तरह आज के सफर में कोई भी दिक्कत नहीं आई और हम सिर्फ 2 घंटे के अंदर पानीपत से अंबाला पहुंच गए अंबाला को पार करते ही हमने प्रवेश किया पंजाब में|
पंजाब से गुजरते नेशनल हाईवे 44 के किनारे लगे यूकेलिप्टस के पेड़ और हाईवे के आसपास लहराते हुए हरे भरे खेत ने रास्ते के मजे में चार चांद लगा दिए थे | अपनी गाड़ी से सफर करने का असली मजा यही रहता है की हम अपनी मनमर्जी से जब चाहे जहां चाहे रोक पाए और पंजाब के शानदार रास्तों पर हमने जी भर के इस आजादी का लुफ्त उठाया||कई जगह रुक के हमने फोटोग्राफी कि और कुछ ड्रोन शॉट्स लिए जो आप इस वीडियो में देख सकते हैं|
पंजाब में पठानकोट को क्रॉस करने के बाद कश्मीर का बॉर्डर आ गया और और हमारी लद्दाख यात्रा के चौथे दिन हमने जम्मू और कश्मीर में प्रवेश किया | बॉर्डर पार करते ही हम लोग पहाड़ी रास्तों पर पहुंच चुके थे और जम्मू तक का सफर हमने तकरीबन 7:00 बजे तक खत्म किया |
आसान रास्ते अब खत्म हो चुके थे और आगे पूरे लद्दाख का सफर अब दुर्गम रास्तों पर ही होने वाला था पर हम इसके लिए पूरी तरह से तैयार थे| इन 4 दिनों में आज हमने सबसे ज्यादा 510 किलोमीटर का सफर तय किया |
पानीपत - करनाल - अंबाला - लुधियाना - जालंधर - पठानकोट - जम्मू
कल का प्लान था कि हम जम्मू से निकले और श्रीनगर पहुंचे |