वैसे तो हम सब को घूमना बहुत पसंद है। हर सफर में हम अच्छे-बुरे , बड़े-छोटे किस्सों से गुजरते भी हैं जो हमे पता तो हैं, मगर हम उन पर ध्यान नहीं देते। मेरा ये किस्सों का शगूफा उन्ही छोटे मोटे लम्हो को एक बार फिरसे ताज़ा करने का एक प्रयास है। आशा करता हूँ आपको पसंद आएँगी।
1. "कहीं लिबास बदले,कहीं अलफ़ाज़ बदले,
सफर हिंदुस्तान का जो था,न जाने कितने ही अंदाज़ बदले"

2. ट्रेन की बोगी, और असल ज़िन्दगी की नींद में क्या एक सा है?
ज़िन्दगी और ट्रैन दोनों बढ़ती रहती है और तुम बेखबर रहते हो।

3. ज़िन्दगी का सफर और ज़िन्दगी में सफर,
दोनों में सिर्फ एक फर्क है, एक में तुम रुक सकते हो।

4. फ्लाइट की खिड़की से जब अपना शहर गुज़रते दिखता हो,
तो आप कितने भी बड़े क्यों न हों, अपना घर जरूर ढूँढ़ते हैं।

5. सफर पर साथ ना जाने वाला दोस्त अजनबी बन जाता है,
मगर सफर पर मिला अजनबी दोस्त बन जाता है,
दोनों किस्सों में सफर की भूमिका अहम है।

6. ट्रेन की धुंदली खिड़की से दिखते अलविदा करते अपने,
और ट्रेन का धीमे से आगे बढ़ जाना और उनका पीछे छूटना,
उससे ज्यादा क्या चाहिए दिल भरने को।

7.चैत, बैसाख, जेठ, असाढ़,
मुसाफिरों के क्या लहर और क्या पहाड़।

8. "ट्रेन काफी लेट है नहीं ?"
ये काफी पुराना तरीका है ट्रेन में बातें शुरू करने का।

9.ट्रेन की गेट से , ना जाने कितने ही ट्रेन फाटकों पर खड़े लोगो को
हाथ हिला कर दोस्त बनाया है।

10. "अजनबी स्टेशनों पर उतर कर खाना ढूँढ़ना,
किसी विज्ञान के खोज से काम थोड़ी है।"

11. बोगी में एक चप्पल हो तो उसे सामाजिक बनते देर नहीं लगती।

12 . ना जाने कैसी बचकानी बातें सोचता हूँ,
" टी टी को दोस्त बना कर फ्री में घूमूँगा "
ऐसा भी मन करता है।
