रामगया मंदिर, लोनार सरोवर, बुलढाणा
लोनार झील के बारे में तो सुना ही होगा । लेकिन लोनार झील के आसपास कई प्राचीन मंदिर हैं, जिनमें से एक बहुत सुंदर मंदिर है। इस मंदिर को राम गया मंदिर के रूप में जाना जाता है क्योंकि भगवान श्रीराम वनवास के दौरान यहां से रुके थे। पश्चिम की ओर स्थित इस मंदिर में केवल राम की एक मूर्ति है। मंदिर के मुख्य दरवाजे के सामने एक मारुति वाला गुंबद है। इसके बगल में एक और प्राचीन मंदिर खंडहर में है। रामगया मंदिर तीन तरफ से एक उच्च स्थान पर स्थित है। वीरासना में हनुमान अपने गर्भगृह में हैं। मंदिर के अंदर राम, लक्ष्मण और सीता की मूर्तियों को निज़ाम के शासन के दौरान नष्ट कर दिया गया था। इसके बजाय, आज एक और लकड़ी की मूर्ति लगाई की गई है।
यहां खुदाई से एक चतुष्कोणीय बैरो का पता चला। उसे रामकुंड या पुष्कर तीर्थ के रूप में जाना जाता है। कहा जाता है कि भगवान श्रीराम ने अपने बाणों की सहायता से इस कुंड में गौतमी गंगा का पता लगाया था। यह इस कुंड में था कि राम ने अपने पिता दशरथ राजा को श्रद्धांजलि दी। इसलिए आज भी, कई जनजातियों के लोग लोनार घाट पर सदियों से दस (तेरह) पिंड दान कर रहे हैं।
में हमेशा से देखा गया है। श्री राम के मंदिर में हमेशा से लक्ष्मण जी और सीता जी की भी मुर्तिया होती है। लेकिन इस मंदिर में राम जी की ही मूर्ति है । लेकिन 11 वी सदी में यादवो ने इस मंदिर की ऐसी रचना की है कि आप इस मूर्ति के सामने खड़े होते ही तीन परछाईया तैयार होती है. और वो राम जी के बाजू में लक्ष्मण और सीता मैया खड़ी है ऐसा भास तयार करती है।
वैसे वो भगवान हमारे अंदर ही होते है। लेकिन इस मंदिर के संरचना से वो हमारे परछाईया स्वरूप बाहर आकर हमे राम जी के मूर्ति में ही दिखाई देते है। हम कितने भी आगे बढ़ जाये लेकिन हमारे पूर्वोजोने ऐसी कुछ रचनाये छोड़ गए है। कि हम सोच भी नही सकते। या हमे सोचने पर मजबूर करते है कि हमे करना क्या है।
राम तो घर-घर में हैं, राम हर आंगन में हैं
मन से रावण जो निकाले, राम उसके मन में हैं
-रामनवमी की शुभकामनाएं!