कहते हैं बढ़िया खाना खराब से खराब मूड को ठीक कर देता है। बात जब भारत की हो तो खाने के मामले में तरह तरह के पकवान देखे जा सकते हैं। भारत हर हिस्से की कुछ खासियत है जो वहाँ के खाने में साफ दिखाई देती है।यहाँ खाना खाने से लेकर बनाने तक में विविधता शामिल है। लेकिन आखिर खाने का दौर शुरू कैसे हुआ? और वो कौन सी जगहें हैं जिन्हें बरसों पुराने तरीकों से खाना पकाने में महारथ हासिल है? इन सभी सवालों का जवाब आपको भारत के चुनिंदा रेस्त्रां में जाकर आसानी से मिल जाएगा। 100 साल से भी ज्यादा पुराने इन रेस्त्रां में पुराने के साथ साथ नए युग का बढ़िया तालमेल देखा जा सकता है। यदि आपको खाने से लगाव है तो इन 10 रेस्त्रां में जरूर जाना चाहिए।
1. करीम, पुरानी दिल्ली
पुरानी दिल्ली का ये रेस्त्रां आपको इतिहास के गलियारों में ले जाएगा। जामा मस्जिद से थोड़ी दूरी पर स्थित इस रेस्त्रां की स्थापना 1913 में की गई थी। हाजी करीमुद्दीन द्वारा शुरू किया गया ये रेस्त्रां एक समय पर गुमनाम हुआ करता था। लेकिन समय के साथ कुछ ऐसा हुआ कि आज ये रेस्त्रां दिल्ली के हर चटोरे व्यक्ति की पसंद बन चुका है। इस रेस्त्रां ने शुरू से ही अपने ग्राहकों को बढ़िया क्वालिटी का राजसी खाना परोसा है। जिसकी वजह सालों बाद भी ये जगह आज सबकी फेवरेट है। कोरमा और कोफ्ता से लेकर इनकी फेमस बिरयानी तक सभी चीजों का स्वाद एकदम टॉप क्लास होता है। अगर आपको भी खाने का शौक है तो दिल्ली की लाजवाब वैरायटी वाली जगह पर जरूर जाना चाहिए।
2. टुंडे कबाबी, लखनऊ
खाने की बात हो और नवाबों के शहर लखनऊ का जिक्र ना किया जाए ऐसा एकदम मुमकिन नहीं है। शहर के सबसे फेमस रेस्त्रां टुंडे कबाबी की पहचान केवल लखनऊ तक नहीं सीमित है। लोग खास यहाँ के कबाब खाने दूर-दूर से आते हैं। इस रेस्त्रां का नाम हाजी मुराद अली से लिया गया है जिन्होंने 1905 में लखनऊ के गोल दरवाजे पर एक पराठा कबाब वाली दुकान की शुरुआत की थी। रेस्त्रां का खाना इतना लाजवाब होता है कि चौक पहुँचते ही आपको इसकी खुशबू दूर से आने लगती है। मसालों में लपेटा हुआ चिकन हर फूडी का दिल खुश कर देता है। आज टुंडे कबाबी के गलौटी कबाब जगह जगह फेमस हैं। जिसको बनाने में कुछ 125 चीजों का इस्तेमाल किया जाता है। खाने की दुनिया में एक नया कीर्तिमान स्थापित करने वाले इस रेस्त्रां में एक बार जाना तो बनता है।
3. ग्लेनरी, दार्जिलिंग
अंग्रेजों के दौर से चले आ रहे दार्जिलिंग के इस फेमस रेस्त्रां का केवल नाम ही काफी है। ग्लेनरी की पहचान यहाँ मिलने वाले ब्रेकफास्ट से की जाती है जो टूरिस्टों और स्थानीय लोगों दोनों के बीच फेमस है। वादो नाम के इतलियाई व्यक्ति द्वारा शुरू किए गए इस रेस्त्रां और बेकरी को आज दार्जिलिंग की माल रोड पर एक प्रसिद्ध लैंडमार्क के रूप में देखा जाता है। शानदार छत और फ्रेंच खिड़कियों से लैस इस रेस्त्रां से आपको दार्जिलिंग के कुछ बेहद खूबसूरत नजारे भी दिखाई देते हैं। जिन्हें आप खाना खाते हुए एन्जॉय कर सकते हैं। खास बात ये है कि यहाँ मिलने वाला ज्यादातर खाना पुराने और पारंपरिक तकनीकों से बनाया जाता है। खाने की रेसिपी में भी कोई बदलाव नहीं किया गया है। जिसकी वजह से स्वाद के मामले में इस रेस्त्रां का जवाब नहीं है। केवल खाना ही नहीं बल्कि रेस्त्रां की सजावट भी अंग्रेजों के समय के मुताबिक की गई है। कुल मिलाकर ये सभी चीजें रेस्त्रां को कीमती बनाती हैं।
4. शेख ब्रदर्स बेकरी, गुवाहाटी
अंग्रेज़ अधिकारियों से लेकर आजादी के समय फेमस हुए राजनीतिक नेताओं तक सभी में इस बेकरी की जमकर तारीफ की है। इस बेकरी की शुरुआत वेस्टर्न देशों के कल्चर को नजदीकी से जानने के मकसद से की गई थी। केक, पेस्ट्री और ताजी बनी हुई ब्रेड के बड़े पैकेट इस बेकरी की शान बढ़ाते हैं। दोपहर के बाद तो इस बेकरी में जैसे लोगों का मेला लग जाता है। आधुनिकता का युग और लोगों की डिमांड के चलते अब इस बेकरी में और भी बहुत सारी चीजें बनाई जाने लगी हैं। केक और पेस्ट्री के अलावा अब यहाँ के हॉटडॉग और बर्गर भी खूब चर्चा होती है। समय के साथ-साथ इस बेकरी ने भी तेजी से अपना रूप बदला है। अब यहाँ बेकरी आइटमों के साथ साथ और भी काफी साड़ी चीजें मिलती हैं।
5. लेपर्ड कैफे, मुंबई
मुंबई के इस कैफे ने सही मायनों में समय को जाते देखा है। अगर आप नहीं जानते हैं तो बता दें मुंबई में हुई 16/11 के आतंकी हमले में लेपर्ड कैफे को भी शिकार बनाया गया था। इस कैफे की दीवारों और शीशों पर आज भी गोलियों के निशान देखे जा सकते हैं। इस वजह से ये कैफे अब और भी ज्यादा लोकप्रिय हो गया है। फिर चाहे वो टूरिस्ट हों या मुंबई में रहने वाले लोग, सबके पास इस कैफे के बारे में तारीफ के अलावा और कुछ नहीं है। इस कैफे का खाना और मेनू तो लाजवाब है ही लेकिन यहाँ का स्टाफ भी अच्छे स्वभाव का है। आप दिन के किसी भी समय इस कैफे में आ सकते हैं। खाने के अलावा आप यहाँ बियर पीने का भी मजा उठा सकते हैं।
6. डोरब्जी एंड सन्स, पुणे
लगभग 138 सालों पहले डोराब्जी ने चाय की टपरी से शुरुआत की थी जिसको बाद में उन्होंने एक बेहतरीन रेस्त्रां में तब्दील कर दिया था। आज उस रेस्त्रां की देखभाल डोरब्जी के प्रपौत्र के द्वारा की जा रही है। जो इस रेस्त्रां के मालिक भी हैं। इस रेस्त्रां में आपको कोई बहुत महान सजावट या बैठने का इंतेजाम नहीं मिलेगा। मालिकों ने रेस्त्रां की असली पहचान को जिंदा रखने के लिए ज्यादा बदलाव भी नहीं किए हैं। इस रेस्त्रां के आपको आरामदायक माहौल की कोई कमी नहीं होगी। रेस्त्रां की खासियत है यहाँ मिलने वाले पारसी और ईरानी क्विजीन जिसको आज भी कोयले के ऊपर पकाया जाता है। रेस्त्रां में आप पुराने समय का मेनू भी देख सकते हैं जिसमें चीजों के दाम आनों में लिखे हुए हैं।
7. हरिराम एंड सन्स, प्रयागराज
इस ऐतिहासिक दुकान का केवल नाम ही काफी है। आपको शायद की कोई ऐसा इलाहाबादी मिलेगा जिसने हरिराम के समोसे नहीं खाए होंगे। इस दुकान के समोसे, पकोड़े और पालक भजिया कि चर्चे दूर-दूर तक होते आए हैं। जो इस दुकान की पहचान भी हैं। इलाहाबाद के चौक में स्थित इस दुकान को देखकर लगेगा ही नहीं कि ये इतनी खास है। हरिराम में इसके अलावा भी आपको तमाम तरह के नमकीन मिल जाएंगे और सभी का स्वाद शानदार होता है। इनके नमकीन शुद्ध देशी घी में बनाए जाते हैं जो खाने को अलग स्वाद देता है। दुकान के नजदीक पहुँचते ही आपको चटपटी नमकीन चीजों की खुशबू आने लगेगी। ये दुकान दिखने में जितनी सादी है यहाँ मिलने वाला नमकीन उतना ही टेस्टी होता है।
8. एलेन किचन, कोलकाता
कोलकाता का ये छोटा-सा रेस्त्रां स्कॉटलैंड के एक व्यक्ति ने शुरू किया था। रेस्त्रां का नाम उसी व्यक्ति के नाम पर रखा गया है। लेकिन आज ये रेस्त्रां बंगाल के लोगों द्वारा चलाया जा रहा है। इस रेस्त्रां का मेनू छोटा जरूर है लेकिन खाने का स्वाद बेहद लाजवाब है। लगभग 132 साल पुराने इस रेस्त्रां की लोकप्रियता केवल बंगाली लोगों तक ही नहीं सीमित है। बल्कि इस रेस्त्रां में खाना खाने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। इस रेस्त्रां की सबसे फेमस डिश है प्रॉन कटलेट जो लोगों की खूब डिमांड में रहता है। इस छोटे लेकिन बेहद लाजवाब रेस्त्रां में खाना खाने का सुख हर फूडलवर को जरूर लेना चाहिए।
क्या आपने इनमें से किसी रेस्त्रां में खाना खाया है? अपने अनुभव को शेयर करने के लिए यहाँ क्लिक करें।
बांग्ला और गुजराती में सफ़रनामे पढ़ने और साझा करने के लिए Tripoto বাংলা और Tripoto ગુજરાતી फॉलो करें।
रोज़ाना टेलीग्राम पर यात्रा की प्रेरणा के लिए यहाँ क्लिक करें।