किसी भी देश में मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारा इन सभी जगहों को सबसे पवित्र माना गया है। जाहिर सी बात है इन सभी जगहों पर आप भगवान से सीधे जुड़ाव महसूस कर सकते हैं। एक और जगह है जहाँ आप ईश्वर के बेहद नजदीक आ सकते हैं। वो जगह है मोनास्ट्री। हर साल विश्व के कोने-कोने से हजारों लोग इन मठों का दीदार करने के लिए आते हैं। खास बात ये भी है मोनास्ट्री में आपको बौद्ध धर्म के बारे में जानने को तो मिलता ही है लेकिन साथ में इनकी बेहद सुंदर बनावट आपके दिल को खुश कर देती है। भारत में अधिकांश मोनास्ट्री नॉर्थ और उत्तर पूर्वी हिस्सों में स्थित हैं। इनमें से कुछ मठ सफेद और सुनहरे रंगों में बने हुए हैं तो कुछ में चटख रंगों का इस्तेमाल किया गया है। इन सभी मोनास्ट्रीज को आपको जरूर देखना चाहिए।
1. हेमिस मोनास्ट्री, लद्दाख
लद्दाख के हेमिस में स्थित ये मठ भारत के सबसे सुंदर मठों में से एक है। ये मोनास्ट्री लेह घाटी से लगभग 44 किमी. की दूरी पर स्थित है। हेमिस मोनास्ट्री का इतिहास आपको सीधे 11वीं शताब्दी में ले जाएगा। लेकिन उसके बाद लद्दाख के राजा सेंग्गे नमज्ञाल ने 1672 में इस मोनास्ट्री का पुनः निर्माण का कार्य शुरू किया था। हेमिस मठ लद्दाख का सबसे बड़ा मठ होने के साथ-साथ सबसे धनवान मठ भी है। माना जाता है हेमिस मोनास्ट्री का रिश्ता बौद्ध धर्म के प्रचारक नारोपा से भी है जिन्होंने इसी मठ में शिक्षा प्राप्त की थी। हेमिस मोनास्ट्री देखने के लिए सबसे अच्छा समय जून और जुलाई का होता है। इस समय आप मठ में मनाया जाने वाला हेमिस फेस्टिवल भी देख सकते हैं।
2. नामद्रोलिंग न्यिंगमापा मोनास्ट्री, कुर्ग, कर्नाटक
कर्नाटक के मैसूर जिले के अंदरुनी हिस्से में बनी इस मोनास्ट्री की स्थापना पेमा नोरबू रिनपोचे द्वारा की गई थी। यदि आप बौद्ध धर्म मे रुचि है और आप उससे जुड़ी चीजों के बारे में अच्छे से जानना चाहते हैं तो ये मोनास्ट्री आपके लिए परफेक्ट जगह है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस मठ में आज भी शिष्यों को बौद्ध धर्म की शिक्षा पेमा नोरबू खुद देते हैं। इस मठ में शिक्षा लेने वाले ज्यादातर लामा पल्युल संस्कृति से तालुक रखते हैं। ये मठ बाहर से देखने में जितना रंगीन है, अंदर से भी इसकी खूबसूरती देखते बनती है। खासतौर से तिब्बती नए साल के मौके पर इस मठ में बड़ी संख्या में लामा इकठ्ठा होते हैं जो विश्व के हर कोने से यहाँ आते हैं। यदि आप इस मोनास्ट्री के सबसे मोहक दृश्यों को देखना चाहते हैं तो आपको फरवरी और मार्च के समय यहाँ आने का प्लान बनाना चाहिए।
3. फुग्ताल मोनास्ट्री, जंस्कार, लद्दाख
जंस्कार में ट्रेकिंग करते हुए अक्सर घुमक्कड़ों की नजर कुछ झोपड़ियों के झुंड पर जरूर जाती है। असल में यही झोपड़ीनुमा आकार मशहूर फुग्ताल मोनास्ट्री है। दूर से देखने पर ये मठ किसी मधुमक्खी के छत्ते जैसी दिखता है। लेकिन असल में ये बेहद खूबसूरत है। ये मठ एक गुफा के छोर पर बना हुआ है जिसकी वजह से इसका नाम फुग्ताल रखा गया है। स्थानीय भाषा में फुग्ताल का मतलब होता है गुफा के आर-पार और इस मठ की इसपर एकदम सटीक बैठती है। इस मठ तक पहुँचने के लिए आपको एक झूलते हुए पुल को पार करना होता है जो खास रोमांच प्रेमियों को खूब पसंद आता है। बरसात के मौसम में गुफा के अंदर जमा हुआ पानी मठ के पास से गिरता है जो इस पूरे दृश्य को और भी खूबसूरत बना देता है। लाइब्रेरी और प्रार्थना करने के लिए तमाम कमरों वाली इस मोनास्ट्री को आपको जरूर देखना चाहिए।
4. घूम मोनास्ट्री, दार्जिलिंग, पश्चिम बंगाल
दार्जिलिंग के मुख्य शहर से महज 6 किमी. की दूरी पर बनी ये मोनास्ट्री घूम रेलवे स्टेशन के पास है। यदि आप कलिंपोंग के रास्ते दार्जिलिंग जाएंगे तो ये मठ आपको रास्ते में दिख जाएगा। समुद्र तल से 7,470 फीट की ऊँचाई पर स्थित ये मठ इस इलाके के सबसे पुराने और खूबसूरत मठों में से है। इस मठ में भगवान बुद्ध की 15 फीट ऊँची प्रतिमा स्थापित है। इस मूर्ति को सोने और तरह तरह के अन्य कीमती पत्थरों से सजाया गया है। मूर्ति के ठीक सामने दो विशाल दिए रखे गए हैं जो सालभर जलते रहते हैं। ये मोनास्ट्री कुल 60 लमाओं का घर भी है जो यहाँ रहने के साथ-साथ इस मठ की देखभाल भी करते हैं। तिब्बती संस्कृति का प्रभाव इस मठ पर साफ देखा जा सकता है। हालांकि यदि आप इस मोनास्ट्री में फोटोग्राफी करना चाहते हैं तो उसके लिए आपको अलग से पैसे देने पड़ते हैं।
5. एंचेय गोंपा, गंगतोक, सिक्किम
भारत के उत्तर पूर्वी हिस्से में कुछ ऐसे मठ हैं जिनको देखकर आप हैरान रह जाएंगे। गंगतोक के कंचनजंगा पहाड़ों की गोद में बना एंचेय गोंपा इन्हीं बेहतरीन जगहों में से है। एंचेय गोंपा के आसपास इलाके घने जंगलों से भरे हुए हैं जो इसकी सुन्दरता को दोगुना कर देते हैं। हरे-भरे लंडस्केप के बीच शान से खड़ा ये गोंपा अपने गौरवशाली इतिहास का परिचय देता है। ये गोंपा एक चट्टान के ऊपर बना हुआ है। जहाँ दिन के समय शांति और सुकून की कोई कमी नहीं होती है। यहाँ तक कि यदि आप ध्यान लगाना चाहते हैं तो आप आराम से मठ के आसपास बैठ सकते हैं। इस रंग-बिरंगी मोनास्ट्री में कुल 90 बौद्ध श्रद्धालु रहते हैं। हर साल तिब्बती कैलेंडर की 18, 19 और 20 तारीख को छाम फेस्टिवल का आयोजन किया जाता है। गंगतोक के स्थानीय लोग इस फेस्टिवल में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं। यहाँ तक कि इसको देखने के लिए विश्व भर से घुमक्कड़ों का मेला लग जाता है।
6. मिंड्रोलिंग मोनास्ट्री, देहरादून
1676 में बनी ये मोनास्ट्री देहरादून में स्थित है। मिंड्रोलिंग मोमास्ट्री का नाम यहाँ दी जाने वाली बौद्ध धर्म की शिक्षा के लिए जाना जाता है। इस मठ ने तिब्बती औषधि बनाने और उसके उपयोग करने के पारंपरिक तरीकों के बारे में भी सिखाया जाता है। मठ के आसपास का लैंडस्केप बेहद खूबसूरत है जिसके वजह से हर साल हजारों टूरिस्ट इस मोनास्ट्री को देखने आते हैं। मठ में एक बागीचा भी है जहाँ बैठकर रिलैक्स महसूस करा जा सकते है। ये मोनास्ट्री महान स्तूप का घर भी है। 185 फीट ऊँचे और 100 स्क्वेयर फीट चौड़े स्तूप को विश्व का सबसे विशाल स्तूप होने का खिताब मिला हुआ है। मोनास्ट्री के अंदर की सभी चीजें खास बौद्ध धर्म और उससे मिलने वाली सीख को याद करते हुए की लगाईं गईं हैं। इस मठ में सालभर त्योहारों और उत्सवों की धूम रहती है। इसलिए आप साल के किसी भी समय यहाँ आ सकते हैं।
7. तवांग मोनास्ट्री, बोंडिला, अरूणाचल प्रदेश
भारत का उत्तर पूर्वी राज्य अरुणाचल प्रदेश, जिसको घुमक्कड़ी के लिए भी सबसे खास जगहों में से एक माना जाता है, तवांग मठ के लिए भी जाना जाता है। बर्फीले पहाड़ों से घिरी इस मोनास्ट्री को देखने हर साल हजारों लोग आते हैं। ये मठ लगभग 35,000 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है जिसकी वजह से मठ के आसपास दिखाई देने वाला नजारा बेहद शानदार होता है। मोनास्ट्री का शांत और सुकून वाला माहौल किसी के भी मन को रिलैक्स कर देने के लिए काफी है। इस मोनास्ट्री की बनावट और डिजाइन पर भी काफी ध्यान दिया गया है। मठ में जगह जगह पर बौद्ध धर्म से जुड़ी चीजें और पेंटिंग लगाई गईं हैं। मोनास्ट्री की मुख्य बिल्डिंग में 3 मंजिलें हैं जिनमें ध्यान लगाने और प्रार्थना करने के लिए अलग अलग कमरे हैं। देश के सबसे महत्वपूर्ण मठों में से एक होने की वजह से ये मोनास्ट्री अपने क्राफ्ट के लिए भी अरुणाचल में फेमस है। इस मोनास्ट्री के क्राफ्ट सेंटर में बेहतरीन क्वालिटी के ऊनी कार्पेट बनाए जाते हैं जो केवल भारत ही नहीं बल्कि विश्वभर में प्रसिद्ध हैं। यदि आप तवांग मठ देखना चाहते हैं तो आपको जून से अक्टूबर के बीच आना चाहिए।
7. ट्सुग्लगखंग कॉम्प्लेक्स, धर्मशाला
धर्मशाला के जंगलों के बीच से इस मठ के प्रेयर फ्लैग साफ दिखाई देते हैं। जंगलों से होते हुए इस कॉम्प्लेक्स तक पहुँचना वाकई में बहुत सुंदर सफर होता है। ये कॉम्प्लेक्स बौद्ध गुरु दलाई लामा का आधिकारिक निवास है। ये कॉम्प्लेक्स हिमाचल के मैकलोडगंज के नजदीक स्थित है और आसपास देवदार के पेड़ों से घिरा हुआ है। यदि आप हिमाचल की भीड़ से दूर किसी शांत जगह पर समय बिताना चाहते हैं तो ये कॉम्प्लेक्स बढ़िया ऑप्शन है। दलाई लामा की मौजूदगी में आप बौद्ध धर्म से जुड़ी तमाम रोचक चीजें जान सकते हैं और उनके जिंदगी जीने के सरल तरीके को भी देख सकते हैं। अच्छी बात ये है कि पर्यटकों को मठ के किसी भी हिस्से में जाने की आजादी है। आप आराम से मोनास्ट्री घूम सकते हैं और वहाँ रखी चीजों को देख सकते हैं।
8. रुमटेक मोनास्ट्री, सिक्किम
सिक्किम के लगभग 200 मठों में रुमटेक मोनास्ट्री सबसे इस हिस्से की सबसे ज्यादा देखी जाने वाली जगह है। रोचक बात ये भी है कि रुमटेक मोनास्ट्री सिक्किम की सबसे बड़ी मोनास्ट्री भी है। तमाम विवादों की वजह से रुमटेक भारत की सबसे अधिक सुरक्षाबलों वाली मोनास्ट्री भी है। मई और जून के समय इस मठ में तिब्बती कैलेंडर के मुताबिक नया साल मनाया जाता है। साल के इस समय मोनास्ट्री रंग-बिरंगी सजावट और लोगों की भीड़ से झूम उठती है। इस समय मोनास्ट्री में किसी उत्सव जैसा माहौल हो जाता है। तिब्बत के इस पर्व को मनाने के लिए खास प्रार्थनाओं का आयोजन किया जाता है और तरह तरह के नृत्य भी किए जाते हैं। रुमटेक मोनास्ट्री का शांत माहौल और सुंदर नजारे आपको जरूर पसंद आएंगे।
9. दिस्कित गोंपा, लेह
14वीं शताब्दी में बनी ये मोनास्ट्री लेह की सबसे मशहूर जगह है जिसको देखने हर साल हजारों की संख्या में लोग आते हैं। मठ के अंदर की दीवारों और छत पर तमाम तरह की पेंटिंग लगाई गईं हैं। जो बौद्ध धर्म से जुड़ी जानकारी प्राप्त करने का बढ़िया तरीका हैं। इस मठ तक पहुँचने के लिए आपको कुछ सीढ़ियों से होकर गुजरना होता है। ये सीढ़ियाँ खास पत्थरों को तराश कर बनाई गई हैं जो मोनास्ट्री की सुंदरता को और भी बढ़ा देती हैं। दिस्कित मठ पर मंगोल मान्यताओं को खास प्रभाव देखा जा सकता है। यदि आप नुब्रा घाटी देखने जाना चाहते हैं तो आपको इस मठ के पास से होकर गुजरना पड़ता है। वैसे तो ये मोनास्ट्री पहले ही बेहद खूबसूरत है लेकिन यहाँ लगी जमपा बुद्ध की विशाल प्रतिमा इस जगह को कुछ अलग ही दुनिया में ले जाती है। इस मठ को देखने का सबसे सही समय फरवरी में होता है जब मठ में उत्सव जैसा माहौल होता है।
10. की मोनास्ट्री, स्पीति, हिमाचल प्रदेश
की मोनास्ट्री स्पीति घाटी में मिलने वाले सबसे सबसे पुराने मठों में से है। यहाँ तक कि साल 2000 में इस मोनास्ट्री ने अपनी 1000वीं वर्षगांठ मनाई थी। काजा से कुछ 12 किमी. की दूरी पर बनी ये मोनास्ट्री समुद्र तक से 4,116 मीटर की ऊँचाई पर है। बार बार हुए विस्तार के चलते आज ये मठ दूर से देखने में किसी किले से कम नहीं लगता है। साल दर साल हुए बदलावों के चलते इस मोनास्ट्री के मूल रूप में काफी अंतर आया है। लेकिन उसके बावजूद इस मठ की सुंदरता में कोई कमी नहीं आई है। इस मोनास्ट्री के ढांचे पर चीनी आर्किटेक्चर का प्रभाव साफ देखा जा सकता है। बौद्ध साहित्य के मामले में ये मठ काफी रिच है। यदि आप पहाड़ों की गोद में बसी इस मोनास्ट्री को देखना चाहते हैं तो आपको मार्च से अप्रैल के बीच आना चाहिए।
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