#लिटल_रण_आफ_कच्छ_यात्रा
#घर_से_जिंजूवाड़ा_कैंप_साईट_तक
नमस्कार दोस्तों
जैसे मेरी गुजरात की अलग अलग जगहों की यात्रा होती रहती हैं तो 27 नवंबर 2021 को घर से लिटल रण आफ कच्छ की यात्रा शुरू हुई । गुजरात में दो रण हैं
1. ग्रेट रण आफ कच्छ जिसे बड़ा रण कहा जाता हैं।
2. लिटल रण आफ कच्छ जिसे अंग्रेजी में ( LRK ) कहते है । यह छोटा रण है कच्छ का ।
दोस्तों मेरी यात्रा घर से शाम के चार बजे शुरू हुई। सारा सामान लेकर मैं बाघापुराना के बस स्टैंड से बस लेकर 28 किमी दूर कोटकपूरा पहुंच गया । जहां से मैंने 5.30 बजे जम्मू तवी-अहमदाबाद एक्सप्रेस ट्रेन पकड़ ली गुजरात के मेहसाणा शहर के लिए। बठिंडा में ट्रेन आधा घंटा रुकी जहां मैंने डिनर कर लिया। रात को नौ बजे के बाद राजस्थान का हनुमानगढ़ रेलवे स्टेशन आया जहां से 32 लोगों का ग्रुप ट्रेन में चढ़ गया। यह ग्रुप बारात के लिए हनुमानगढ़ से पाली मारवाड़ जा रहा था। गाड़ी का सलीपर डिब्बा पूरा बारात वाले ग्रुप से भर गया। सारी रात बाराती राजस्थानी गाने पर नाचते रहे। ट्रेन में पहली बार बारात देखी मैंने। मजा आ गया बारात के साथ सफर करके। बारातियों ने कहा हनुमानगढ़ से पाली मारवाड़ कोई दस घंटे का सफर है इसलिए बारात ट्रेन से जा रही हैं और कल पाली मारवाड़ पहुंच कर , फेरे लेकर दूल्हा दुल्हन को लेकर बारात कल शाम को पाली मारवाड़ से दुबारा ट्रेन लेकर हनुमानगढ़ वापिस आ जाऐगी। ट्रेन सूरतगढ़, बीकानेर होती हुई सुबह पांच बजे के बाद जोधपुर पहुंच गई। सात बजे के आसपास पाली मारवाड़ आ गया जहां 32 लोगों का बारातियों का ग्रुप उतर गया। अब डिब्बा बिल्कुल खाली लगने लगा। साढे़ नौ बजे आबू रोड़ रेलवे स्टेशन आया जहां मैंने आबू की मशहूर रबड़ी का सवाद लिया । फिर ट्रेन पालनपुर होते हुए मेहसाणा 12.30 बजे तक पहुंच गई। जहां मैं उतर गया। मेहसाणा रेलवे स्टेशन से आटो लेकर मैं मेहसाणा के बस स्टैंड पहुंच गया। जहां से मैंने जिंजूवाड़ा पहुंचना था। आधे घंटे बाद मुझे मेहसाणा से बेचड़ा जी की बस मिल गई जो मेहसाणा से 40 किमी दूर हैं। बेचड़ा जी में बुहचर माता का प्राचीन मंदिर हैं जो बस स्टैंड के पास है उसके दर्शन करके मैं बेचड़ा जी से दसांदा तक शेयर टैक्सी में बैठ कर चला गया। बेचड़ा जी से दसांदा कोई 35 किमी दूर हैं। दसांदा से आटो में बैठकर आठ किलोमीटर दूर जैनाबाद पहुंच गया। जैनाबाद में कड़क गुजराती चाय पीकर फिर आटो में बैठ कर चार बजे तक 15 किमी दूर जिंजूवाड़ा पहुंच गया। जहां मैंने शाम को चार बजे से सात बजे तक लिटल रण आफ कच्छ की सफारी करनी थी जिसकी जानकारी अगली पोस्ट में दूंगा।
धन्यवाद।