आखिरकार वो दिन आ ही गया|
एक रात पहले मुझे बिल्कुल नींद नही आई| शायद डर था या फिर अपने सपने पूरे करने की उत्सुकता पर मैं पूरी रात करवटें ही बदलता रहा| मुझे इस बात का भी डर था की पिछले पाँच दिन से चल रही बारिश की वजह से शायद मैं कल भी ना निकल पाऊँ|
5 अगस्त 2018 , वो दिन जब मैं अपने सारे सपने पूरे करने की ओर एक बड़ा कदम लेने वाला था|
लेकिन जब मैं अगले दिन उठा तो ना ही कोई डर था ना ही कोई उत्सुकता थी|
मैं जानता था कि मैं एक ऐसी रोमांचक यात्रा पर जा रहा हूँ जो मेरी यादों में हमेशा बसी रहने वाली है पर पता नहीं क्यों मैं ना तो उत्सुक था और न ही चिंतित|
बस मैं शांत था|
लेकिन ये शांति सिर्फ ग्यारह बजे तक थी, जबतक मेरे निकलने का वक्त नहीं आया| हर बाइकर की तरह, मेरी हर काम को अंत तक टालने की आदत, आफत बन कर आई| मैंने बाइक पर सामान बाँधने का अभ्यास नहीं किया था, तो उस दिन जल्दी – जल्दी करने के चक्कर में, मेरे एक बैग का वेल्क्रो की सिलाई खुल गयी|
फ़िर क्या था? बैग ख़ाली किया गया और माँ उसे सिलने लगीं| पापा और मेरा एक दोस्त मिलकर सारा सामान बाइक पर बाँधने में मेरी मदद कर रहे थे| 45 मिनट और तीन लोगों के अथक प्रयास क बाद बाइक निकलने क लिए तैयार हो पायी|
इस समय मेरे दिमाग में एक बात आई- आज तो मुझे मदद मिल गयी, लेकिन अगले 105 दिन ये काम अकेले ही करना पड़ेगा मुझे| मुझे इस बात का डर भी था कि क्या मैं ये अकेले कर पाउँगा?
दिमाग में इतनी सारी चिंताए लेकर, मैंने माँ से आशीर्वाद लिया | पापा अपनी गाड़ी से मुझे और ईव (मेरी बाइक) को हाईवे तक छोड़ने गए| वहाँ से मेरे दो दोस्त अपनी डोमिनार बाइक्स पर मुझे पहले टोल नाके तक छोड़ कर आए| वो दोनों काफी उत्सुक थे क्योंकि अगले 40 कि.मी. तक उन्होंने मुझे आगे की यात्रा के बारे में हर एक जानकारी दी| टोल से एक कि.मी. पहले, हम लोग चाय पीने के लिए रुके| वहाँ पर कुछ तसवीरें खींची और वो दोनों मुझे शुभकामनाएँ देते हुए कानपुर की तरफ निकल लिए|
जब अकेले बाइक चला रहा था, तब बहुत सारी चीज़ें चल रही थी दिमाग में| उत्सुकता बहुत थोड़ी सी ही थी क्यूंकि आगरा तक का रास्ता ज्यादा लम्बा नहीं था और ट्रिप जैसा फील नहीं आ रहा था|
और ट्रिप शुरू हो गयी|
20 किलोमीटर बाद मैं रुका और अपना फ़ोन चेक किया| देखा की लगभग 50 लोगो ने मुझे शुभकामनाएं तभा बधाई दी थी| अबतक जो उत्सुकता कही खोई हुई थी, वो न जाने कैसे, अचानक से वापस आ गयी|
मैंने सोच रखा था कि जैसे जैसे यात्रा आगे बढ़ेगी, मैं अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर हर एक जानकारी तथा यात्रा से जुडी हर एक गतिविधि को भी शेयर करूंगा| ऐसा करने से कई नए लोगों से मुलाकात करने का मौका मिलेगा और ज्यादा से ज्यादा लोगों तक मेरी इस यात्रा की जानकारी जाएगी|
मौसम काफी ही गर्म था और क्यूंकि मेरी उतने भारी राइडिंग गियर की आदत नहीं थी, तो वजह से मुझे थोड़ी दिक्कत का भी सामना करनापड़ रहा था| लेकिन थोड़ी ही देर बाद बारिश ने मौसम को सुहाना क्र दिया था|
मैं 4 घंटे बाद आगरा पहुँच गया और वहां कुछ ख़ास नहीं, बस इतना ही सोचा था कि ताज के पीछे, ईव के साथ सूरज को ढलते हुए देखना है|
वहा पहुंचा तो लगभग 30 लोगो ने घेर लिया और मुझसे बहुत ही उत्सुकता से मेरी यात्रा के बारे में पूछने लगे| कुछ बच्चें भी उसी भीड़ में खड़े थे और मुझे देख रहे थे|
तो पहले दिन हुआ यूँ कि मैं ताज महल के सामने था और मेरी ईव मेरे सामने थी तो ढलती हुई खूबसूरत शाम को साक्षी मानकर मैंने अपनी ईव को प्रपोज़ किया
और मैं पहले से ही बुक कराए हुए अपने oyo की ओर निकल लिया| रस्ते में मेरी यात्रा का पहला पंचर हुआ|
240 किलो की बाइक और बाकी सारे गियर को घसीट क ले जाना एक बहुत ही डरावना अनुभव tha, खुशकिस्मती से 100 मीटर चलने क बाद ही पंक्चर वाला मिल गया और मैं बाइक को ठीक करा होटल पहुँच गया| वहा पहुँच क्र मैंने खाना खाया, कुछ कॉल्स करी तथा विडियो एडिट करके सो गया|
मुझे उस रात कोई सपना नहीं आया, क्यूंकि मुझे पता थी की मई अपने सारे सपने खुली आँखों से देख रहा था|
पहले दिन के लिए इतना ही, कल मिलते है!!
यदि आप मेरी पूरी यात्रा का अनुसरण करना चाहते हैं तो मेरी जाँच करें
इंस्टाग्राम - https://www.instagram.com/khiskabanda/
youtube -https: //www.youtube.com/channel/UC5Rm2QlCWahf_7t-hl6kpPQ
https://www.instagram.com/eatwriteclick._/- द्वारा संपादित यात्रा