१ डे टूर दतिया रोड ट्रिप
स्टार्ट date--08/09/18
ट्रिप खर्च - 2 - person-- 2000
कैसे पहुँचे-------झांसी टू दतिया दूरी 28 किमी
ग्वालियर से दूरी ६७ किमी
पहुंचने के साधन - बस, टैक्सी , ट्रेन,
कहां रूकें - झांसी या ग्वालियर
क्या देखें 1-- पीतांबरा शक्ति पीठ
2--वीर सिंह पैलेस
3--धूमावती मन्दिर
हम लोगों ने पहले पीतांबरादेवी मां के दर्शन किए
१- श्री पीताम्बरा पीठ मध्य प्रदेश राज्य के दतिया शहर में स्थित एक हिंदू मंदिर परिसर (एक आश्रम सहित) है। यह कई पौराणिक कथाओं के साथ-साथ वास्तविक जीवन में लोगों की 'तपस्थली' (ध्यान का स्थान) है। यहाँ स्थित श्री वनखंडेश्वर शिव के शिवलिंग को महाभारत के समकालीन के रूप में अनुमोदित किया जाता है।[1] यह मुख्य रूप से शक्ति (देवी माँ को समर्पित) का आराधना स्थल है।
तथा वहां एक छोटा सा म्यूज़ियम है वो देखा तथा
पीतांबरा परिसर में माता धूमावती का मंदिर है। विश्व का यह एकलौता मंदिर है। जहां सौभाग्यशाली महिलाओं और अन्य गृहणियों पर माता के दर्शन करने पर रोक है।मंदिर प्रबंधक का कहना है कि मंदिर की ओर से धूमावती माई के दर्शन करने पर पूर्णत रोक है। केवल शनिवार को ही महिलाओं को माता धूमावती के दर्शन करने की अनुमति है, जबकि पुरुष सभी दिन दर्शन कर सकते हैं। मंदिर के पंडितों के मुताबिक इन छह दिन माता के तेज और रौद्र रूप के कारण महिलाओं को माता के दर्शन करने से वंचित रखा गया है। शनिवार को माता लक्ष्मी रूप में दर्शन देती हैं, इसलिए महिलाएं इस दिन दर्शन कर सकती हैं।
दिन में दो बार होते हैं दर्शनधूमावती माता के दर्शन दिन में दो बार किए जाते हैं। पहला दर्शन सुबह 8 बजे से आरती तक (लगभग आधे घंटे)और दूसरा दर्शन शाम को भी 8 बजे से आरती तक। यहां के मान्यता के अनुसार माता धूमावती ने भूख लगने पर अपने पति शंकर भगवान का भक्षण कर लिया था। पति का भक्षण कर लेने के कारण माता ने विधवा का रूप धारण कर लिया था।माता ने शंकर भगवान का भक्षण करने के बाद में उन्हें धुएं के रूप में बाहर निकाल दिया था। इस दौरान उन्होंने रौद्र रूप धारण कर लिया था, इसलिए उन्हें भक्षण माई व धूमावती माई के रूप में भी जाना जाता है। माता के दर्शन करने के लिए अचंल ही नहीं बल्कि दूसरे प्रांतों से लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं को तांता लगा रहता है
२- [मध्य प्रदेश, खूबसूरत पर्यटन स्थलों का ख़ज़ाना है!]
प्राचीन समय में दतिया, बुंदेलखंड क्षेत्र के अधीन राज्य हुआ करता था जो अब मध्यप्रदेश के जिले के रूप में तब्दील हो गया है। दतिया महल का निर्माण राजा बीर सिंह देव द्वारा विशेष तौर पर मुग़ल शासक जहांगीर के स्वागत के लिए किया गया था। ऐतिहासिक दस्तावेजों के अनुसार जहांगीर ने ही राजा बीर सिंह देव को दतिया का शासक बनाया था। इसलिए जीवन के अंतिम पड़ाव तक दोनों की दोस्ती मजबूत बनी रही।
दतिया के किले के गेट पर दो तीन आदमी थे और वहां पर कोई टिकट नही था बस एक बंदा रजिस्टर लिये बैठा था । उसमें एंट्री करने के बाद जब हमने महल में प्रवेश किया तो यहां हमारा सामना कबूतरो की और सीलन की बदबू से हुआ जो बहुत भयंकर थी । सीढीयो पर अंधेरा था और जब तक हम उपर नही पहुंचे भारी बना रहा । इस महल को बीर सिंह महल भी कहा जाता है । ये महल एक पहाडी के उपर बनाया गया है और ग्वालियर से 67 किलोमीटर दूर है । महल सात मंजिला है और वहीं पर खडे एक आदमी के अनुसार 11 मंजिला है जिसमें उपर की चार मंजिल भी बनी है जहां तक जाने का रास्ता नही था । इस महल की खास बात ये है कि इसका निर्माण लकडी या लोहे के बिना केवल पत्थर और इंटो से ही हुआ है । ये पूरा महल बिना किसी धातु के सहारे खडा हुआ है । इस महल में 440 कमरे हैं और उनका कभी इस्तेमाल इसके बनाने वाले ने भी नही किया । इस महल में कोई नही रहा क्योंकि ये महल वीर सिंह ने जहांगीर के लिये बनवाया था और वो इसमें एक बार भी नही आये तो ये महल खाली ही है बनने से लेकर । इस महल को बनने में 9 साल का समय लगा था और इसके अंदर चित्रकारी की गयी है वो भी फलो और सब्जियो के रंगो से । महल अपनी स्थापत्य कला में देश के कई सुंदर महलो से टक्कर लेता मिलेगा । यहां पर महल हैं , मंदिर हैं ,पहाडियां , तालाब , हस्तशिल्प सब कुछ है पर ये जगह उपेक्षित है और उसमें यहां की खराब सडको ,यातायात के साधनो और बेतरतीब ट्रैफिक का पूरा पूरा योगदान है । महल से चारो तरफ का नजारा बहुत बढिया दिखता है । महल के एक तरफ बडा तालाब है जो उपर से बढिया नजारे देता है