#19_सितंबर_2019
पहाड़ो का ख्याल और प्रभु के दर्शन की सोच ने रात भर सोने नहीं दिया, फिर भी सोते वक़्त सुबह जल्दी उठने का अलार्म लगा दिया और सोने चला गया, लेकिन सुबह अलार्म के बजने से पहले ही बिस्तर को छोड़ चुका था ।
उठते ही मैं जल्दी-जल्दी तैयार होने लगा तो माँ ने बड़े प्यार से पूछा कि कही जा रहे हो क्या ? - मैनें भी सिर हिलाते हुए कहा कि हाँ माँ मैं उत्तराखण्ड जा रहा हूँ प्रभु केदारनाथ के दर्शन के लिए 🙏
माँ को थोड़ा आश्चर्य हुआ लेकिन बोली ठीक है, अच्छे से जाना और मेरे लिए चाय नाश्ता बनाने लगी और इधर मैं अपना बैग पैक करने में व्यस्त हो गया, अपने जरूरी सामान जैसे गर्म कपड़े, मोबाइल चार्जर, पावर बैंक, रेन कोट, दवाई एवं अन्य जरूरी सामान इत्यादि रख लिया ।
इसी बीच मैनें जल्दी से अपना फोन उठाया और अपनी ट्रेन को चेक किया कि ट्रेन समय से आ रही है या नहीं, मेरी ट्रेन सोनपुर से ही थी और अपने निर्धारित समय से ही चल रही थी, देख कर अच्छा भी लगा की रेलवे अपने सही समय से चल रही है ।
आपको बताता चलूँ कि रेलवे द्वारा यात्रा करना सबसे आरामदायक, सुविधाजनक, सुरक्षित और किफायती होता है, मैं कोशिश करता हूँ कि ज़्यादा से ज़्यादा सफर ट्रेन से किया जाये ।
इतने में माँ चाय और नाश्ता लेकर आई और मैनें फटाफट से चट किया नाश्ते को और फिर जल्दी से अपना बैग उठाया और अपने गाँव के ही एक पड़ोसी को फोन किया कि मुझे रेलवे स्टेशन तक छोड़ दे, घर से 10 मिनट की दूरी पर ही सोनपुर रेलवे स्टेशन है ।
मैं ठीक 08.45 AM स्टेशन पहुँच गया और अपनी ट्रेन का इंतजार करने लगा, ट्रेन ठीक अपने समय से 09.00 AM बजे आ गई । मेरे पास स्लीपर क्लास का टिकट था, अंदर जाकर अपनी सीट पर अपना सामान रखा और बैठ गया, 02 मिनट के ठहराव के बाद ट्रेन चल पड़ी ।
यात्रा के दौरान मैं अपने फोन का उपयोग बहुत अधिक करता हूँ, वैसे भी मैं फोन का प्रयोग अधिक ही करता हूँ 😜
यात्रा के दौरान मैं यह भी कोशिश करता हूँ कि नये लोगों से बातचीत करुँ ताकि सफर ज़्यादा थकाऊ या उबाऊ ना लगे और इस कला में हम धुरंधर है । पास ही की सीट पर कुछ लोग बैठे थे जो कि अम्बाला जा रहे थे तो उन्हीं लोगों के साथ इधर उधर की बातें होने लगीं और इस बीच ट्रेन अपनी मस्त चाल में चले जा रही थी ।
दोपहर हुआ, 03.00 PM बज रहा था और मुझे भूख लगी - सोचा कुछ खा लिया जाये, बैग में देखा तो माँ ने आलू के परांठे पैक कर रखे थे, मैनें उनको निकाला और अपनी भूख को शांत किया और अपनी सीट थोड़ी देर के लिए सो गया ।
थोड़ी देर आराम करने के बाद उठा तब तक शाम हो चुकी थी, सामने से आवाज़ आई - गर्म चाय गर्म चाय ☕ मैनें आवाज़ दिया और एक कप चाय के लिए कहा, चाय वाले को दस रुपये देते हुए कहा कि चाय बढ़िया तो है ना, वैसे पहले से अब ट्रेन में मिलने वाली चाय के स्वाद में थोड़ा फर्क लगा ।
मैनें अपनी चाय खत्म की और थोडी देर अपने मोबाइल फोन में लगा रहा, ट्रेन अपनी चाल में सही समय से चल रही थी, मुझे सुबह 05.00 AM लक्सर रेलवे स्टेशन पर उतरना था, इन्ही सब बातों को सोच रहा था ।
रात भी होने लगी, समय कुछ 07.40 PM हो रहा था कि मेरा फोन बजने लगा तो देखा मेरे दूर के मित्र का फोन आ रहा था, देख कर बड़ी खुशी, मैनें जल्दी से फोन उठाया और मित्र को राम राम किया ।
मित्र ने पूछा कि ट्रेन कहाँ तक पहुँची ? मैनें कहा तुम्हें कैसे पता चला कि मैं ट्रेन में हूँ ? मित्र ने कहा कि तुम्हारी फ़ेसबुक पोस्ट देखी कि तुम केदारनाथ की यात्रा पर जा रहे हो, मैनें भी कहा - हाँ ट्रेन में हूँ और केदारनाथ की यात्रा पर जा रहा हूँ ।
मित्र थोड़ा उत्सुक (गुस्से में) होकर बोला कि मुझे क्यूँ नहीं बताया साथ में चलने को, खैर छोड़ो ये बताओ कैसे जाने का प्लान है ? मैनें कहा मेरी ट्रेन लक्सर जँ0 तक जायेगी वहाँ से हरिद्वार की लोकल ट्रेन लूँगा और आगे का सफर बस या शेयर टैक्सी से करूँगा ।
मित्र ने कहा कि मैं भी आ रहा हूँ और तुम्हारे साथ ही यात्रा पर चलूँगा, ये बात सुनते ही मैं थोड़ा आश्चर्य चकित हुआ और कहा कि अचानक से तुम्हारा प्लान कैसे बना, तो बोलने लगा कि तुम्हारी फेसबुक पोस्ट को देखने के बाद ही मन बना लिया कि तुम्हारे साथ चलना है ।
फोन रखते हुए मित्र ने कहा कि तुम हरिद्वार पहुँचो मैं तुम्हें वही मिलूँगा, मैनें भी अपनी सहमति जताई और फोन रख दिया । आपको बता दूँ कि अपने इस दोस्त से लगभग 07 साल के बाद मिलने वाला था । मैं बड़ा खुश था और इसी खुशी के साथ रात्रि विश्राम यानी सोने की तैयारी होने लगी ।
आगे की यात्रा क्रमशः जारी है 😊