
जीवन में कुछ अनुभव ऐसे होते हैं जो हमेशा के लिए याद रह जाते हैं। इनमे से कुछ अनुभव अच्छे होते हैं तो कुछ को याद करके दुख होता है। इन्हीं खट्टे-मीठे अनुभवों का नाम ही तो जिंदगी है। जीवन में अगर ये अनुभव ना हों तो ज़िन्दगी भी बोरिंग ही लगेगी। घुमक्कड़ी के समय भी कुछ ऐसे अनुभावों का होना बहुत ज़रूरी है।
इन सबसे बहुत कुछ सीखने को मिलता है। वो बातें जो शायद घर में बैठकर या किताबें पढ़कर नहीं सीखी जा सकती हैं। किसी नई जगह पर घूमना या अकेले घूमने निकल जाना, किसी अनजान शहर में नए लोगों से मिलना, साथ बैठकर एक थाली में खाना खाना और उनके किस्से कहानियाँ सुनना। ये सब वो चीज़ें हैं जिनके लिए आपको अपने घर से बाहर निकलना ही होगा और एक कड़ी जो इन सबमें कॉमन है वो है सफ़र। मेरे हिसाब से रोड ट्रिप एक ऐसी चीज है जो घुमक्कड़ी के इन सभी पहलुओं को जोड़ देती है तो आज हम आपको ऐसी ही एक सदाबहार रोड ट्रिप पर लिए चलते हैं।
1. चेन्नई से महाबलीपुरम
इस रोड ट्रिप की शुरुआत चेन्नई से होती है। इस रोड ट्रिप में आपको सबसे पहले चेन्नई से शुरू होकर महाबलीपुरम तक जाना है। चेन्नई जो ऐतिहासिक और मॉडर्न दोनों ही कल्चर का खूबसूरत मिश्रण है और घूमने के लिए भी अच्छा ऑप्शन है। चेन्नई में घूमने के लिए मरीन बीच, अष्टलक्ष्मी मंदिर और सेंट जॉर्ज चर्च जैसी कई जगहें है जिनको देख लेना चाहिए। चेन्नई से चलकर महाबलीपुरम आइए। महाबलीपुरम, जिसे पहले मामल्लपुरम के नाम से जाना जाता था, प्राचीन भारत का एक ख़ास बंदरगाह रहा है। इस जगह का आज भी उतना महत्व है जितना पहले था। आज भी यहाँ पुराने ज़माने से जुड़ी कुछ ऐसी जगहों का संग्रह है जिन्हे देखना बनता है।
दूरी: 56 किमी. (चेन्नई से)
रास्ता: ईस्ट कोस्ट रोड
2. महाबलीपुरम से पॉन्डिचेरी
पॉन्डिचेरी को कौन नहीं जानता? भारत ही नहीं पूरी दुनिया में इस जगह की एक अलग पहचान है। अपने फ्रेंच कल्चर और कॉलोनी के लिए मशहूर इस जगह की हवा में जैसे कुछ जादू है जो हर किसी को दीवाना बना देता है। आम भाषा में पोंडी के नाम से फेमस इस जगह पर बीच, कैफे, होटल सब कुछ टॉप क्वॉलिटी का मिलेंगे। पैराडाइस बीच, औरोविल, साधना फॉरेस्ट पॉन्डिचेरी की सबसे खास जगहें हैं। पॉन्डिचेरी की एक बात और है जो इससे सबसे अलग बनाती है। केंद्र शासित राज्य होने की वजह से यहां शराब काफी सस्ती मिलती है। इसलिए भी ये जगह टूरिस्टों को खूब पसंद आती है।
दूरी: 96 किमी (महाबलीपुरम से)
रास्ता: ईस्ट कोस्ट रोड
3. पॉन्डिचेरी से कराइकुडी
रोड ट्रिप के तीसरे पड़ाव में पॉन्डिचेरी से बढ़कर कराइकुडी आइए। ये वो जगह है जो साउथ इंडियन मूवीज की पहचान है। यहाँ बहुत सारी फिल्मों की शूटिंग होती रहती है। पुराने मंदिरों वाली ये जगह खाना बनाने के तरीके के लिए भी फेमस है। यहाँ पर खाना एक विशेष तरीके से बनाया जाता है और उसे अची समयाल नाम के बर्तन में खाया जाता है। यहाँ मिलने वाला खाना टेस्टी के साथ सेहत के लिए भी बहुत अच्छा होता है। त्रिचि और रामेश्वरम को जोड़ने वाली ये जगह आपकी इस रोड ट्रिप का मजबूत हिस्सा है।
दूरी: 289 किमी. ( पॉन्डिचेरी से)
रास्ता: नेशनल हाईवे 38
4. कराइकुडी से रामेश्वरम
चार धाम यात्रा का एक हिस्सा रामेश्वरम है। हिन्दुओं के सबसे पवित्र तीर्थ स्थानों में से एक है। ऐसा माना जाता है रामेश्वरम वो जगह है जहाँ भगवान राम ने अपने पापों का प्रायश्चित किया था। इसके अलावा ये व्यापार के नज़रिए से भी प्राचीन भारत का बेहद महत्वपूर्ण भाग रहा है। कहते हैं श्रीलंका से होने वाला व्यापार रामेश्वरम होकर ही गुजरता था। क्योंकि रामेश्वरम को एक पवित्र स्थान के तौर पर देखा जाता है। यहाँ पर मंदिर बहुत सारे हैं। यहाँ से धनुषकोडी भी नज़दीक है। धनुषकोडी एक तरह से भारत का दक्षिणी छोर है और इसे घोस्ट टाउन भी कहा जाता है।
दूरी: 141 किमी. (कराइकुडी से)
रास्ता: नेशनल हाईवे 87
5. रामेश्वरम से थिरूचेंदुर
रोड ट्रिप का पाँचवा हिस्सा थिरुचेंदुर भगवान मुरुगन को समर्पित मंदिर के लिए जाना जाता है। ये कोई आम मंदिर नहीं है। ये भगवान मुरुगन का इकलौता ऐसा मंदिर को समुद्र के किनारे स्थित है। यहाँ से समुद्र की दूरी सिर्फ 50 मीटर ही है। द्रविड़ काल का आर्किटेक्चर लिए इस मंदिर के आसपास पिकनिक करने का भी ऑप्शन हैं। इसके अलावा थिरूचेंदुर में प्लैनेट यानी ग्रहों का मंदिर भी हैं। यहाँ सूरज, चांद से लेकर जुपिटर और सैटर्न तक हर ग्रह के लिए एक मंदिर है। क्यों है ना ये जगह ख़ास?
दूरी: 223 किमी. ( रामेश्वरम से)
रास्ता: नेशनल हाईवे 32
6. थिरूचेंदुर से तिरुवनंतपुरम
केरल की राजधानी अपनी खुशनुमा बीच और रिच कल्चर के लिए जानी जाती है और यही वजह से इसे देखने के लिए देश भर से लोग आते हैं। भारत की सबसे साफ शहरों में शुमार तिरुवनंतपुरम बाकी महानगरों से बिल्कुल अलग है। शांत वातावरण और सुंदर माहौल वाले इस शहर में हिल स्टेशन से लेकर बीच तक सब कुछ है। यहाँ पर वनस्पतियों की भी कई वरायटी है और अगर आपको आयुर्वेद में रुचि है फिर तो ये जगह आपको बहुत रास आएगी। कुल मिलाकर ये जगह पहाड़, बीच और मंदिर का बढ़िया पैकेज है।
दूरी: 170 किमी. ( थिरूचेंदुर से)
रास्ता: नेशनल हाईवे 66
दक्षिण भारत की संस्कृति को समझने का सबसे अच्छा तरीका है बैग उठाइए और निकल जाइए एक लंबी रोड ट्रिप पर। यकीन मानिए आप बिल्कुल बोर नहीं होंगे।
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