जब आप कोरोमंडल तट पर सुबह जॉगिंग करते हुए अपने होटल से थोड़ी दूर बढ़ जाते हैं तो अचानक ही आपके क़दम एक विशाल द्वार पर रुक जाते हैं। जी ये कोई तिलिस्म नहीं, न ही आप कोई सपना देखे रहे हैं। यह तमिलनाडु के पुरातन चोल शहर के 15 कि.मी दक्षिण में स्थित मछुआरों के गाँव ट्रंकबार का गेट है। दूसरी दुनिया को ले जाने वाले जैसा गेट, शाही डैनिश चिह्न के साथ, उस पर नक़्क़ाशीदार आकृतियाँ आपको एक अलग युग में वापस ले जाता है - जो कि डेनमार्क देश की एक पूर्व कॉलोनी है।
17वीं शताब्दी की शुरुआत तक, ट्रंकबार को थारंगंबदी के नाम से जाना जाता था जिसका मतलब 'गाते लहरों की भूमि' है। मुश्किल उच्चारण से परेशान होकर डैनिश लोगों ने इसका नाम ट्रंकबार में बदल दिया।
भारत के सबसे बड़े स्कॅन्डिनेवियन रहस्य का इतिहास
1618 में, एक डैनिश एडमिरल ओवे गिएडेड नाम का एक आदमी गाँव में आया और उसे थारंगंबदी के शांत वातावरण से प्यार हो गया। तंजौर के तत्कालीन महाराजा से व्यापार अधिकार हासिल करने के बाद उसने एक किला उनके मसाले व्यापार को चलाने के लिए बनाया।
1700 के दशक की शुरुआत में जर्मन लूथरन मिशनरी, बार्थोलोमास ज़िजेनबल्ग ने गाँव में एक प्रिंटिंग प्रेस स्थापित की और तमिल में महारत हासिल करने के बाद बाइबिल का अनुवाद किया। हाथ में एक बाइबिल के साथ, राजा-रानी सड़क के मोड़ पर उसकी एक शानदार सुनहरी मूर्ति भी है ।
1842 में व्यापारिक अधिकार ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को बेच दिए गए जब डेनमार्क विदेशी कॉलोनियों को बनाए रखने का जोखिम नहीं उठा सकता था।
2004 सुनामी ने ट्रंकबार की आबादी का लगभग दसवाँ हिस्सा मिटा दिया था। मछुआरों के प्रमुख परिवार, वर्तमान में गाँव के बाहरी इलाके में बड़े पैमाने पर सरकारी आवास पर बसाए गए हैं और यूरोपीय और भारतीय वास्तुकला को डैनिश बेस्टसेलर फाउंडेशन जैसे कुछ निजी संगठनों द्वारा बहाल किया जा रहा है।
हर तरह के यात्री के लिए कुछ
इतिहास प्रेमियों के लिए- टाउन गेट (लैंडपोर्टन, डेनिश में) से घूमना शुरू करें। सबसे पहले किंग स्ट्रीट (कॉंगेंसगैड) अपनी कोलोनियल इमारतों, स्टुको दीवारों, राजसी चर्चों, क़िले और कैरिज पोर्च के साथ आपको मिलेगा। सड़क के पश्चिमी छोर पर, तत्कालीन डैनिश गवर्नर से संबंधित रेहलिंग हाउस है। पड़ोस में वान वेलिंगेन हाउस है जिसमें एक छोटा समुद्री संग्रहालय है। दक्षिणी छोर पर, भारत के पहले प्रोटेस्टेंट चर्चों में से एक ज़ियोन चर्च है। रैमशैकल संरचना भारतीय और कोलोनियल वास्तुशिल्प शैलियों दोनों का एकीकरण है। बार्थोलोमास ज़िजेनबल्जिस मकबरे का घर न्यू जेरुसलम चर्च, सिय्योन के ठीक विपरीत स्थित है, जिसका निर्माण तब किया गया था जब जर्मन मिशनरी 1718 में यहाँ पहुँचे थे।
किंग स्ट्रीट के पूर्वी छोर पर समुद्र तट पर बसा फोर्ट डान्सबोर्ग है। सुंदर सरसों के रंग वाला ये स्कैंडिनेवियन क़िला खाद्य विक्रेताओं और आइसक्रीम स्टालों से घिरा हुआ है। क़िले में पत्थर की दीवारें हैं, और घुड़सवार तोप - यह पुराने सैन्य संरचनाओं से काफी प्रभावित हैं। एक बार राज्यपाल और अन्य राजनीतिकों के घर का काम कर चुका ये किला अब वस्तुओं की एक विषम श्रृंखला - व्हेल कंकाल, जीवाश्म और प्राचीन सिक्के इत्यादि प्रदर्शित करता है। 1305 में निर्मित प्राचीन मसिलामनी नाथार मंदिर, ट्रंकबार के दक्षिणी छोर पर समुद्र तट पर स्थित है। कमालमेटू स्ट्रीट पर पैदल चलें और डेनिश कब्रिस्तान के रास्ते से गुज़रे। आज भी, कई डैनिश कोलोनियल अधिकारियों और व्यापारियों के नाम कब्रों पे खुदे हुए पाए जा सकते हैं।
आध्यात्मिक जागृति की तलाश में यात्रियों के लिए- ट्रंकबार पूजा के कई सम्मानित स्थानों से घिरा हुआ है। तटीय शहर नागौर में संत हजरत मीरान दरगाह गाँव से केवल 40 मिनट दूर है। लोग मानते हैं कि पवित्र टैंक के पानी में औषधीय गुण हैं। 30 कि.मी. दूर तिरुक्कदैयूर में माना जाता है कि वह जगह है जहाँ यम, भगवान शिव द्वारा मृत्यु का देवता पराजित किया गया था। वेलंकन्नी में, 38 कि.मी. दूर लॉर्ड्स ऑफ़ द ईस्ट स्थित है जो एक ईसाई टाउन है जहाँ आवर लेडी ऑफ़ गुड हेल्थ का बेसिलिका है। लगभग 45 कि.मी. दूर चिदंबरम है जहाँ नृत्य के देवता नटराज का मंदिर हैं।
ट्रंकबार उन लोगों के लिए भी स्वर्ग है जो अजीबोगरीब इतिहास वाली चीज़ें ढूंढ रहे हो, जो कि समुद्री पक्षियों की चहचहाहट, हवाओं में झूमते ताड़ के पेड़ों के धीमे शोर और सुन्दर दिखती झोपड़ियों के बीच टहलने का आनंद लेते हों। अगर इन सभी चीज़ें आपको खास पसंद नहीं तो आप फोर्ट बीच से उपनार नदी तक नाव ले कर एक अलग द्वीप पर एक शांत पिकनिक के लिए भी जा सकते हैं।
यात्रा का सबसे अच्छा समय: अगस्त से मार्च
कहाँ रहें: ट्रंकबार में नीमराना के तीन होटेल्स हैं - द बंगलो ऑन द बीच, द गेट हाउस और द नायक हाउस। इसके अलावा तमिलनाडु पर्यटन, होटल तमिलनाडु द्वारा संचालित एक बजट गेस्ट हाउस, साफ और बुनियादी आवास प्रदान करता है।
कहाँ खाएँ: हर तरह का समुद्री भोजन मेनू पर है। ट्रंकबार गेटवे में प्रवेश करने से पहले थारंगंबदी के बाहर कुछ लोकप्रिय खाने के ठेले और मार्केट स्ट्रीट पर कुछ हैं। ट्रंकबार के अंदर रेस्तरां सीमित हैं, गाँव परिसर के अंदर केवल दो विकल्प हैं - भारतीय और कॉन्टिनेंटल के लिए द बंगलो ऑन द बीच और तमिल पारम्परिक भोजन के लिए होटल तमिलनाडु।
कैसे जाएँ
रेल द्वारा: नागपट्टिनम और चिदंबरम निकटतम स्टेशन हैं। चेन्नई से रातोंरात नागौर एक्सप्रेस थारंगंबदी पहुंचने के लिए सबसे अच्छा मार्ग है।
फ्लाईट द्वारा: दैनिक उड़ानें चेन्नई से त्रिची तक संचालित होती हैं, जो निकटतम हवाई अड्डा है। ट्रंकबार हवाई अड्डे से लगभग 4 घंटे दूर है और टैक्सी के माध्यम से पहुँचा जा सकता है।
सड़क से: चेन्नई से ट्रंकबार 6 घंटे दूर है। निजी बसों के अलावा सरकारी बसें चेन्नई के मोफसिल बस टर्मिनल से रोज़ाना चलती हैं।
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