Dakshin Bharat Yatra
: Padmanabhaswamy Temple
Suchindram temple
Kovalam Light house Beach
दक्षिण भारत का सुहाना और धार्मिक सफर
दक्षिण भारत यात्रा :
पदमनाभास्वामी मंदिर
सुचिन्द्रम मंदिर
कोवलम लाइट हाऊस बीच
[ [ 31-03-2016 ] ]
सुबह जल्दी उठकर सूर्योदय देखने के लिये निकल पड़े। हमें तो होटल कि छत पर ही जाना था। सूर्योदय देखने के लिए परन्तु बादलों कि वजह सूर्योदय ठीक से नहीं दिखा। सब काफी निराशा हुए फिर सोचा इस बार ना सही फिर कभी सही। फिर सब कमरे में आ गये। हमने जल्दी जल्दी समान पैक किया। पदमनाभास्वामी मंदिर और कोवलम बीच जाने के लिए रात को ही जीप बुक कर ली थी। जिस जीप से सूर्यास्त देखने गाये थे क्योंकि जीप भी सही थी। और ड्राइवर से ही पता चल कि सुचिन्द्रम मंदिर जो काफी प्रसिद्ध व भव्य मंदिर है। इस मंदिर के बारे में मुझे कुछ भी जानकारी नहीं थी। जल्दी ही सब जीप में बैठ गये ।
सूर्योदय
जीप चल दी सुचिन्द्रम मंदिर के लिए तकरीबन 30 मिनट में हम मंदिर पहुंचे जब जब मंदिर देखा तो ऐसा लगा कि प्रभु से मिलन हो गया मैंने अपने जीवन पहली बार इतना विशाल और भव्य मंदिर देखा था.
सुचिन्द्रम मंदिर :
कन्याकुमारी से 13 किलोमीटर की दूरी पर है। रस्ते के दोनों तरफ नारियल के पेड़ नजर आएंगे। बीच-बीच में बड़ी बड़ी चट्टानों के पहाड़ नजर आते रहेंगे। बाहर से ही मंदिर के भव्यता का पता चलता है।अति प्राचीन मंदिर है। पत्थर से बने स्तभ के विशाल मंडप से गुजर कर मंदिर के भीतर प्रवेश करना होता है। मंदिर में ब्रम्हा,विष्णु ,महेश त्रिमूर्ति लिंग के रूप में विराजमान है। अनेको देव देवता की प्रतिमा यहाँ बनाई गई है। भगवान विष्णु की अस्ष्टधातु की प्रतिमा विराजमान है। यहां मुस्कुराते हनुमान जी की 18 फीट ऊंची प्रतिमा है। आपने अभी तक इस तरह की भव्य हनुमान जी की प्रतिमा देखी नहीं होगी। हनुमान जी का दर्शन कर लीजिए। 700 वर्ष पुरानी विशाल नंदी की प्रतिमा विशेष दर्शनीय है।
दर्शन करके हम मंदिर से बाहर आ गए जीप वाले को फोन किया वो भी जल्द ही आ गया अब हमें कोवलम बीच जाना था गर्मी से सब परेशान थे रस्ते में नारियल पानी वाले पर रुकें वहां बेगंनी कलर का नारियल देखा जिसे वहां कोई शर्बत बनता है पर मुझे उसका स्वाद अच्छा नहीं लगा परन्तु वहां के लोग उसे बड़े स्वाद से पी रहे थे।
हम चल दिए जल्द हि अपने अगले पड़ाव पर पहुंच जीप रूकी जीप वाले ने बोला कि यह एक टूरिस्ट प्लेस है जो काफी अच्छा है हमने सोचा चलो चल कर देख लेते हैं । Arjuna Back Waters - Service Provider of Boat Service & Waters Tour का बोर्ड लगा था। अंदर जा कर बात करी तो पता चला कि एक नाव का किराया 4500 रुपये हैं। वो भी 2 :30 धंटे के लिए फिर मन में विचार आया कि रहने देते है किराया बहुत ज्यादा है और वैसे भी हमें तो दो नाव बुक करनी पड़ती हम चल दिये वापस अपनी जीप कि तरफ। जीप वाले ने कहा बहुत ही अच्छी जगह और बहुत लोकप्रिय जगह है। काफी लोग आते हैं यहां। मैंने सोचा शायद इसकी कमिशन है यहां इसलिए काफी पीछे पड़ रहा है फिर मन में ख्याल आया कि इतना ज्यादा किराया कुछ अच्छी जगह ही होगी। हमने दो नाव बुक कर ली। नाव चल दी नारियल के पेड़ों के बीच में से एक सुहावने सफर के लिए। ऐसा लग रहा था जैसे किसी फिल्म कि शुटिंग चल रही हो नाव वाले ने बताया कि यहां एनाकोंडा फिल्म का कुछ हिस्सा यहां शूट हुआ है पता नहीं सच बोल रहा था या झुठ परन्तु जगह काफी मनमोहक थी।
हम चलते जा रहे और नारियल के पेड़ हमारा स्वागत कर रहे थे गर्मी भी बहुत थी परन्तु फिर भी काफी अच्छा लगा रहा था। जल्द हि नाव गोल्डन सैंड बीच पहुंची वहां संमुद्र की विशाल लहरों ने हमारा जोरदार स्वागत किया। कुछ देर रूक कर हम वापस चल दिये जाने का मन नहीं कर रहा था परन्तु मजबुरी थी समय कम था सो चल दिए नाव कि तरफ
कोवलम बीच
जल्द ही हम कोवलम बीच पर पहुंच गये जीप वाले ने जीप बस स्टैंड खड़ी कर दी उसने कहा मैं आपको यही मिलूंगा सामने ही कोवलम बीच है कोवलम प्रकृति की गोद में विलासिता कोवलम, केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम (जिसे पहले त्रिवेंद्रम कहा जाता था) के पास समुद्र के तट पर स्थित एक जाना-माना शहर है। यह शहर शक्तिशाली अरब सागर का सामना करता हुआ जैसे कश्मीर को इस ‘धरती का स्वर्ग’ कहा जाता है उसी तरह को कोवलम को भी दक्षिण भारत के स्वर्ग के रूप में जाना जाता है
कोवलम में तीन मुख्य बीच हैं, ये तीन बीच हैं- लाइटहाउस बीच हवाह बीच और समुद्र बीच। कोवालम के बीच विश्व के सबसे दर्शनीय बीचों में गिना जाता हैं। सुनहरी रेत को चूमती नीली सागर की लहरें देखने के लिए दूर-दूर से पर्यटक खीचें चले आते हैं। यहां की खूबसूरत प्राकृतिक दृश्यावली और वाटर स्पोट्र्स की गतिविधियां भी बड़ी संख्या में सैलानियों को लुभाती हैं। बीच जाते ही स्पीड बोट वाले ने हमें धेर लिया हमने कहा अभी हम थोड़ी देर पहले बोट का सफर कर के आ रहे हैं उन्होंने कहा भाई या यह स्पीड बोट इसकि बात अलग है मैंने सोचा जहां इतना खर्च हुआ है ये भी सही किराया पुछा एक बोट का किराया 900 रुपए 30 मिनट के हम लगा किराया ज्यादा है इसलिए हम वहां से चल दिए उन्होंने कहा कुछ कम दे देना पर मैं भी ठहरा व्यापारी व्यक्ति मोल भाव करके बात 1200 मैं तय हुई सब स्पीड बोट बैठ गाऐ जब स्पीड बोट चली तो काफी मजा आया जब जब वो बोट लहरों पर उछलती थी तो ऐसा लगता था कि बोट गिर जायेगी हमारे सारे पैसे वसूल हो गये थे स्पीड बोट बैठ कर अब अपना सामान किनारे रख हम समुन्द्र में नहाने के लिये पानी में कूद पड़े। फिर हम जल्द ही वहां से चल दिए। जीवन में कभी कोवलम आने का मौका मिले तो स्पीड बोट में जरूर बैठे
पद्मनाभस्वामी मंदिर
31-03-2016 केरल राज्य की राजधानी तिरुवनंतपुरम में पूर्वी किले के किनारे स्थित भगवान विष्णु को समर्पित श्री पद्मनाभ स्वामी मंदिर है। यह मंदिर वास्तुकला की केरल और द्रविड़ियन शैलियों का मिश्रण है। ऐसा माना जाता है कि यह दुनिया का सबसे अमीर मंदिर है पद्मनाभस्वामी मंदिर का इतिहास 8 वीं शताब्दी में है। यह भारत में 108 पवित्र विष्णु मंदिरों में से एक है श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर में एक पत्थर की मुख्य मूर्ति है, जो लगभग 18 फुट लंबे है, तीन अलग-अलग दरवाजों के माध्यम से देखा जा सकता है। सिर और छाती को पहले दरवाजे के माध्यम से देखा जाता है; जबकि हाथों को द्वितीय द्वार और पैरों के माध्यम से तीसरे द्वार के माध्यम से देखा जा सकता है विष्णु भगवान के इस रूप के दर्शनों को करने के लिए विश्व भर से लोग यहाँ पहुँचते हैं। मंदिर में पद्मनाभ स्वामी की मूर्ति की स्थापना कब और किसने की, इसकी कहीं कोई ठोस जानकारी नहीं है। त्रावनकोर के इतिहासकार डॉ एल. ए. रवि वर्मा के अनुसार ये रहस्यमय मंदिर 5000 साल पहले कलियुग के पहले दिन स्थापित हुआ था।इस मंदिर के गर्भ-गृह खजाने में 2 लाख करोड़ का सोना है, पर इतिहासकारों के अनुसार वास्तविकता में इसकी ये अनुमानित राशि इससे कहीं दस गुना ज्यादा होगी। इस खजाने में सोने-चांदी के महंगे चेन, हीरा, पन्ना, रूबी, दूसरे कीमती पत्थर, सोने की मूर्तियां, रूबी जैसी कई बेशकीमती चीजें हैं जिनकी असली कीमत आंकना बेहद मुश्किल है। यह मंदिर जब सुर्खियों में जब आया जब मंदिर के तहखाने खोले। मंदिर में 7 तहखाने हैं, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट की निगरानी खोले गए थे, जिसमें एक लाख करोड़ रुपये के हीरे और जूलरी निकली थी। इसके बाद जैसे ही टीम ने वॉल्ट-बी यानी की सातवां दरवाजे के खोलने की शुरुआत की, तो दरवाजे पर बने कोबरा सांप के चित्र को देखकर काम रोक दिया गया। कई लोगों की मान्यता थी कि इस दरवाजे को खोलना अशुभ होगा। सातवां दरवाजा आज भी रहस्य बन हुआ है पद्मनाभ स्वामी मंदिर में पुरुष सिले हुए वस्त्र पहन कर प्रवेश नहीं करते। शास्त्रों में कहा गया है कि वस्त्र सिलने के बाद शुद्ध नहीं रहता इसलिए पूजन के समय बिना सिला हुआ कपड़ा पहना जाता है। हिंदू धर्म में पूजा के समय धोती पहनी जाती है। पद्मनाभ मंदिर भी पुरुष धोती जिसे मंडु कहा जाता है धारण करके मंदिर में प्रवेश करते हैं और पद्मनाभ स्वामी के दर्शन पाते हैं। इस मंदिर में भगवान के दर्शन करने के लिए स्त्रियों को भी मुंडु अर्थात एक प्रकार की धोती पहननी पड़ती है। सलवार कमीज पहनकर आने वाली स्त्रियां अपने ऊपर धोती लपेटकर ही मंदिर में प्रवेश करती हैं और भगवान के दर्शन करती हैं। यहां धोती के बिना पुरुष या स्त्री मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकते हैं। मंदिर के दर्शन करें फिर जीप वाले ने हमें तिरुवनंतपुरम रेलवे स्टेशन छोड़ दिया जहां से हमें मदुरै जाना