दार्जिलिंग और सिक्किम यात्रा - भाग 7
रहस्यमयी "बाबा मन्दिर" का रहस्य
इस अमर शहीद की आत्मा आज भी करती है देश की रक्षा
"पंजाब रेजिमेंट के जवान हरभजनसिंह की आत्मा पिछले 50 सालों से लगातार देश की सीमा की रक्षा कर रही है।"
सैनिकों का कहना है की हरभजन सिंह की आत्मा, चीनी सेना की गतिविधियों की जानकारी अपने मित्रों को सपनों में देते रहे, जो हमेशा सच साबित होती थीं। और यदि भारतीय सैनिको को चीन के सैनिको का कोई भी मूवमेंट पसंद नहीं आता है तो उसके बारे में वो चीन के सैनिको को भी पहले ही बता देते हैं, ताकि बात ज्यादा नहीं बिगड़े और मिल जुल कर बातचीत से उसका हल निकाल लिया जाए। और इसी तथ्य के आधार पर उनको मरणोपरांत भी भारतीय सेना की सेवा में रखा गया। आप चाहे इस पर यकीं करें या ना करें पर खुद चीनी सैनिक भी इस पर विश्वास करते हैं। इसलिए भारत और चीन के बीच होने वाली हर फ्लैग मीटिंग में बाबा हरभजन सिंह के लिए एक खाली कुर्सी लगाईं जाती है, ताकि वो मीटिंग अटेंड कर सके। इन्हीं वजहों से हरभजन सिंह को नाथुला का हीरो कहा जाता हैं।
हरभजन सिंह का जन्म 30 अगस्त 1946 को, जिला गुजरावाला जो कि वर्तमान में पाकिस्तान में है, हुआ था। हरभजन सिंह 24वीं पंजाब रेजिमेंट के जवान थे, जो की 9 फरवरी, 1966 में आर्मी में भर्ती हुए थे। पर मात्र 2 साल की नौकरी करके 4 अक्टूबर 1968 को खच्चरों का काफिला ले जाते वक्त पूर्वी सिक्किम के नाथूला दर्रे के पास उनका पांव फिसल गया और घाटी में गिरने से उनकी मृत्यु हो गई। पानी का तेज बहाव उनके शरीर को बहाकर 2 किलोमीटर दूर ले गया। दो दिन की तलाशी के बाद भी जब उनका शव नहीं मिला तो उन्होंने खुद अपने एक साथी सैनिक के सपने में आकर अपनी शव की जगह बताई, खोजबीन करने पर तीन दिन बाद भारतीय सेना को बाबा हरभजन सिंह का पार्थिव शरीर उसी जगह मिल गया, जो उन्होंने अपने साथी को सपने में बताया था। हरभजन सिंह का पुरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कर दिया गया। उसके बाद दिन-ब-दिन उनके चमत्कार बढ़ते गए, हरभजन सिंह के चमत्कारों के कारण साथी सैनिकों की उनमें आस्था बढ़ती गई और उन्होंने उनके बंकर को एक मंदिर का रूप दे दिया। बाबा हरभजन सिंह के चमत्कार बढ़ते-बढ़ते विशाल जन समूह की आस्था का केंद्र हो गए, तो उनके लिए एक नए मंदिर का निर्माण किया गया जो की 'बाबा हरभजन सिंह मंदिर' के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर छांगू लेक के आगे और नाथुला दर्रे के पास, 13000 फ़ीट की ऊंचाई पर स्थित है। बाबा का बंकर वाला मंदिर इससे भी 1000 फ़ीट ऊपर है। मंदिर के अंदर बाबा हरभजन सिंह की एक फोटो और पास ही उनके सोने का कमरा भी बना है। जिसमें सोने के लिए बिस्तर के साथ उनका अन्य सामान, जूते और ड्यूटी की वर्दी रखी है।
बाबा हरभजन सिंह अपनी मृत्यु के बाद से लगातार ही अपनी ड्यूटी देते आ रहे है। इनके लिए उन्हें बाकायदा तनख्वाह भी दी जाती है, उनकी सेना में एक रेंक है, नियमानुसार उनका प्रमोशन भी किया जाता है। यहां तक की उन्हें कुछ साल पहले तक अन्य सिपाहियों की तरह ही 2 महीने की छुट्टी पर गाँव भी भेजा जाता था। इसके लिए ट्रेन में सीट रिज़र्व की जाती थी, तीन सैनिको के साथ उनका सारा सामान उनके गाँव भेजा जाता था तथा दो महीने की छुट्टी पुरे होने पर फिर बाबा हरभजन सिंह को वापस सिक्किम लाया जाता था। जिन दो महीने बाबा छुट्टी पर रहते थे उस दरमियान पूरा बॉर्डर हाई अलर्ट पर रहता था, क्योकि उस वक़्त सैनिको को बाबा की मदद नहीं मिल पाती। लेकिन बाबा का सिक्किम से जाना और वापस आना एक धार्मिक आयोजन का रूप लेता जा रहा था, जिसमें बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ जमा होने लगी थी। कुछ लोगों ने इस आयोजन को अंधविश्वास को बढ़ावा देने वाला मान अदालत का दरवाज़ा खटखटाया। क्योंकि सेना में किसी भी प्रकार के अंधविश्वास की मनाही होती है, लिहाज़ा सेना ने बाबा को छुट्टी पर भेजना बंद कर दिया। अब बाबा साल के बारह महीने ड्यूटी पर रहते है। मंदिर में बाबा का एक कमरा भी है। जिसमें प्रतिदिन सफाई करके बिस्तर लगाए जाते है। बाबा की सेना की वर्दी और जुते रखे जाते हैं। कहते है की रोज़ पुनः सफाई करने पर उनके जूतों में कीचड़ और चद्दर पर सीलवटे पाई जाती है।
बाबा का बंकर, जो 14000 फीट पर स्थित है, लाल और पीले रंगों से सजा है। सीढ़िया लाल रंग की और पिलर पीले रंग के। सीढ़ियों के दोनों साइड रेलिंग पर नीचे से ऊपर तक घंटिया बंधी है। बाबा के बंकर में कॉपियाँ रखी हैं। इन कॉपियों में लोग अपनी मुरादे लिखते है, ऐसा कहा जाता है की इनमें लिखी गई हर मुराद पूरी होती है। बंकर में एक ऐसी जगह है जहाँ लोग सिक्के गिराते हैं, यदि वो सिक्का उन्हें वापस मिला जाता है तो वो अपने को भाग्यशाली मानते हैं। फिर उसे हमेशा के लिए अपने पर्स या तिजोरी में रखते हैं। दोनों जगहों का सम्पूर्ण संचालन आर्मी के द्वारा ही किया जाता है।
लोगों की आस्था का केंद्र है बाबा मंदिर :
बाबा हरभजन सिंह का मंदिर सैनिको और लोगो दोनों की ही आस्थाओ का केंद्र है। इस इलाके में आने वाला हर नया सैनिक सबसे पहले बाबा के मन्दिर में हाजरी देता हैं।इस मंदिर को लेकर यहाँ के लोगो में एक अजीब सी मान्यता है। इस मंदिर में बोतल में पानी भरकर तीन दिन के लिए रख दिया जाए तो उस पानी में चमत्कारिक औषधीय गुण आ जाते है।इस पानी को पीने से लोगों के रोग मिट जाते हैं। इसलिए इस मंदिर में नाम लिखी हुई बोतलों का अम्बार लगा रहता है। यह पानी 21 दिन के अंदर प्रयोग में लाया जाता है, इस दौरान मांसाहार और शराब का सेवन निषेध होता है।
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