गुजरात में मेहसाणा के पास सरस्वती नदी के किनारे पर बसा हुआ सिद्धपुर एक प्राचीन तीर्थ है जो पांच पवित्र सरोवरों में से एक बिंदु सरोवर के लिए प्रसिद्ध है| मैं जब भी पंजाब से राजकोट गुजरात के लिए जाता हूँ तो सिद्धपुर रेलवे स्टेशन से गुजरता था| काफी बार मन में आया किसी दिन सिद्धपुर को देखा जाए| फिर एक बार घर से अहमदाबाद रेलगाड़ी से जाते समय मैं अचानक सिद्धपुर उतर गया हालांकि टिकट मेरी अहमदाबाद की थी| सिद्धपुर रेलवे स्टेशन पर उतर फ्रैशहोकर नहा धोकर मैंने सिद्धपुर घूमने के लिए रिकशा बुक कर लिया जिसने मुझे तीन सौ रूपये में सिद्धपुर घुमा दिया|
बिंदु सरोवर का नाम पंच सरोवरों में आता है| इस जगह को मातृ गया भी कहते हैं| इस जगह का प्राचीन नाम श्रीस्थल है| इस सरोवर के पास ही सरस्वती नदी बहती है| आटो वाले ने मुझे बिंदु सरोवर के गेट के बाहर उतार दिया| फिर मैं दर्शन करने के लिए बिंदु सरोवर के पास पहुंच गया| पंच सरोवरों के नाम इस प्रकार है |
1. मानसरोवर (चीन)
2. पुष्कर सरोवर (राजस्थान)
3 बिंदु सरोवर सिद्धपुर (गुजरात)
4. नारायण सरोवर (गुजरात)
5 पंपा सरोवर (कर्नाटक)
जैसे गया धाम पितृश्राद्ध के लिए प्रसिद्ध है वैसे ही मातृश्राद्ध के लिए सिद्धपुर प्रसिद्ध है| यहाँ शुद्ध मन से जो भी कामना की जाती है वह पूरी हो जाती है| बिंदु सरोवर 40 फीट चौड़ा एक कुंड है| इसके चारों ओर पक्के बांध बने हुए हैं| इस पवित्र सरोवर में स्नान करने के बाद यहाँ मातृश्राद्ध करते हैं| बिंदु सरोवर सरस्वती नदी से दो किलोमीटर दूर है| सरस्वती नदी का संगम किसी भी सागर में नहीं होता है| सरस्वती नदी की धारा गुजरात के कच्छ में लुप्त हो जाती है| इसलिए सरस्वती नदी को कुमारी नदी भी कहते हैं| बिंदु सरोवर के पास महा ऋषि कर्दम, माता देवहूति, महा ऋषि कपिल आदि की प्रतिमाएँ बनी हुई है|
बिंदु सरोवर का ईतिहास
ऐसा माना जाता है कि पहले यहाँ सागर था और समुद्र मंथन भी यहीं हुआ था| यहाँ पर लक्षमी जी प्रकट हुई थी| इस वजह से इसको पहले श्री स्थल भी कहा जाता है| यहाँ बहने वाली पवित्र सरस्वती नदी के तट पर महा ऋषि कर्दम का आश्रम था जिन्होंने भगवान विष्णु की घोर तपस्या की| अपने भक्त की भक्ति से भगवान विष्णु बहुत प्रसंन हुए और उनके नेत्र सेजल हुए| भगवान विष्णु के नेत्र से कुछ बूंदे धरती पर गिरी| यहीं जगह बिंदु सरोवर बन गई| इसी आश्रम में मनु ने अपनी दिव्य कंन्या देवहूति को कर्दम की सेवा में अर्पण किया| जिससे कपिल मुनि का जन्म हुआ|
रुद्रमहल - सिद्धपुर गुजरात में चालुक्य राजाओं ने 10 वीं शताब्दी में रुद्र महल मंदिर का निर्माण किया था जिसको पहले दिल्ली के सुलतान अलाऊदीन खिल्जी और बाद में गुजरात के सुलतान अहमद शाह ने तबाह कर दिया| आज भी यह मंदिर खंडित है| मैं आटो से रुद्र महल देखने के लिए पहुंचा था लेकिन इसके अंदर जाने की मनाही है शायद मुरम्मत का काम चल रहा हो | मैं बाहर से ही इस खूबसूरत जगह की तस्वीर खींच कर वापस आ गया|
सिद्धपुर सरस्वती नदी के किनारे पर बसा हुआ है| आटो वाला ड्राइवर मुझे सरस्वती नदी के किनारे पर बने हुए गोगा जी के मंदिर में ले गया| मंदिर के सामने सरस्वती नदी का खाली पाट दिखाई देगा| नदी बिलकुल सूखी हुई थी | किनारे पर ही गोगा जी का मंदिर बना हुआ है| मैंने भी इस मंदिर के दर्शन किए और आगे बढ़ गया|
सिद्धपुर कैसे पहुंचे- सिद्धपुर गुजरात के मेहसाणा से 40 किमी, अहमदाबाद से 115 किमी दूर है| सिद्धपुर में रेलवे स्टेशन भी है आप रेलवे मार्ग से भी सिद्धपुर पहुँच सकते हो| बस मार्ग से आप अहमदाबाद, गांधीनगर, मेहसाणा, पालनपुर आदि शहरों से सिद्धपुर आ सकते हो| रहने के लिए आपको सिद्धपुर में हर बजट के होटल आदि मिल जाऐंगे|