शिरडी साईं बाबा यात्रा का पूर्ण विवरण:-
शिरडी साईं बाबा की यात्रा मेरे लिए बहुत ही रोमांचक रही। करीब ३ महीने पहले मैंने अपनी टिकट लखनऊ से मनमाड(नजदीकी स्टेशन साई बाबा) के लिए बुक कर के ऱखी थी। मै अपनी इस यात्रा के लिए बहुत ही एक्ससाइटेड(उत्साहित ) था। अपनी पूरी तैयारी करने के बाद मै सीधे अपनी नजदीकी स्टेशन चारबाग़ पंहुचा। मेरी ट्रैन पुष्पक जो की रात में करीब ७: ४५ की थी। मेरा यह सफर स्लीपर क्लास का था. मै स्टेशन जैसे ही पंहुचा सबसे पहले पुलिस ने रोक के पूछा टिकट है। मैंने बोला हा है,फिर पुलिस वाले ने कहा न हो तो बताओ मै जनरल डिब्बा में तुम्हे शिफ्ट कर दू, एक्स्ट्रा पैसा ले के , खैर उनसे छूटने के बाद मै अपनी सीट के पास मे पंहुचा तो वहा पर पहले से कुछ लोग कब्ज़ा किये बैठे थे।मैंने बोला अंकल यह सीट हमारी है, बोले टिकट दिखाओ जैसे वोह खुद ट्रैन के टिकट चेक करने वाले टी टी है। खैर मैंने उनको टिकट जब दिया तो वोह मुस्कुराये, बोले बेटा मुछे तो अगले स्टेशन तक जाना है। बैठे रहने दो मै आधे रास्ते में उतर जाऊंगा, जब तक एक आवाज़ सुनाई देती है "चाय चाय गरम चाय" चाय चाय गरम चाय " समोसे गरम समोसे समोसे गरम समोसे , मै अपनी सीट धीरे-धीरे कब्ज़ा करने लगा, सबसे पहले मैंने अपना बैक पैक सीट के नीचे ढाल दिया ,और सीट पर बैठ गया। तब तक लखनऊ जंक्शन से ट्रैन छूट चुकी थी। विंडो सीट पे मै बैठ के थोड़ा बाहर के तरफ देखने लगा , मौसम बड़ा ही खूबसूरत लग रहा था। हलकी-हलकी बारिश हो रहीं थी। मैंने सोचा की चलो गेट पे चल के बाहर का मज़ा लेते है।जैसे ही मै सीट से उठा वैसे हे एक अंकल जी ने अपना पिछवाड़ा हमारी सीट पे टिका दिया बोले बेटा मै थोड़ी देर बैठा हूँ। जब तक आप आओ , मैंने बोला ठीक अंकल। फिर मै गेट की तरफ निकलने लगा । लोग सीट के बीच वाली जगह में पेपर ढाल के अपना सोने का इंतिज़ाम कर रहे थे।क्योकि उनका रिजर्वेशन नही था ट्रैन में। उनको क्रॉस करके जैसे मै गेट पर पंहुचा थोड़ा मौसम का मज़ा लेने के लिए बाहर सर निकाला,वैसे ही एक ट्रांस्जेंडर चलती ट्रैन पे चढने की कोसिस करने लगा और चढ़ गया, और बोला ऐ चिकने चल बाजू हट किनारे हट , मै डर गया, बोला चल निकाल बक्सीस-- मैंने बोला नही है ,बोला चल चिकने निकल यहाँ से , मै डर के अपनी सीट पर आके बैठ गया फिर से एक दूशरा किन्नर आके बोलता है मेरे बगल वाले यात्री से चल निकाल पैसे, उसने पैसा नही दिया तो तो उसकी गोद में बैठ गया फिर सब लोगो ने पैसे निकाल के दे दिए , तब तक रात हो चुकी थी। जो लोग अपना डिनर /खाना घर से ले कर के आये थे। सब अपनी टिफ़िन खोल के खा रहे थे। कुछ लोग कैंटीन से आर्डर कर रहे थे, सब लोग डिनर करके सोने की तैयारी कर रहे थे , तभी मैंने देखा टी - टी आके टिकट और पेनालिटी काट रहा था जो लोग ट्रैन की फर्श पे सो रहे थे पेपर बिछाके। रात हो चुकी थी सब लोग सो गए। मुछे भी नींद आ रही थी हम भी सो गए।आधी रात जगने के बाद मै सो गया था
सुबह करीब ४ बजे से फिर आवाज़ आनी शुरू हो गई। चाय गरम चाय।समोसा गरम समोसा ,चिप्स आदि , फिर मेरी नींद खुल गई लेकिन मै दुबारा फिर सो गया करीब 9 बजे मेरी नींद खुलती है। मै उड़ के सीधे बाथरूम के तरफ जा रहा था। देखा के बाथरूम में लम्बी लाइन लगी हुई है। पांच छह लोगो के बाद मेरा नंबर आया। जैसे ही मै बैठा बाहर से किसी ने कुंडी खटखटा दी। फिर मै उड़ के वापस आ गया बाहर। बाहर वाशबेसिन भी पूरा भरा हुआ था। फिर मै दूशरे डिब्बे में जाकर ब्रश किया उधर कम भीड़ थी। ब्रश करके वापस अपनी सीट पे बैठ गया। सभी लोग सीट पे बैठ के अपनी पंचायत कर रहे थे, इधर उधर की बाते मुछे नींद आ रही थी । मै फिर सो गया ऊपर वाली सीट पे जाकर,करीब 12 :30 दोपहर में नींद खुली तो देखा जिन लोगो को मनमाड उतरना था । सब अपना बैग सही कर रहे थे।मेरा तो सब पैक था करीब 1 :00 बजे ट्रैन मनमाड स्टेशन पहुंच गई , काफी तादाद में लोग ट्रैन से उतरे और बस अड्डा की तरफ जाने लगे। जैसे ही बाहर निकले सामने बस अड्डा और टैक्सी स्टैंड था। टैक्सी वाले चिल्ला रहे थे शिरडी -शिरडी -शिरडी। टैक्सी से करीब 300 रुपए ले रहे थे। बारिश भी स्टार्ट हो गई थे काफी लोग बस अड्डा के तरफ जा रहे थे। मैंने भी बस अड्डा के तरफ रुख किया , तब तक एक प्राइवेट बस वाला चिल्लाता है शिरडी साई बाबा सिर्फ 150 रुपए मे।मैंने सोचा यह तो हिसाब सही है चलो बैठ लेते है। जैसे ही बस के गेट की तरफ बड़ा एक करीब 20 लोगो का ग्रुप उसमे चढने लगा , भैया मुछे चढ़ जाने दो प्लीज , मैंने बोला ठीक है चढ़ जाओ। बस मै 2 मिनट लेट हुआ की बाहर से लोगो ने अपने बैग सीट पर खिड़की से रख दिए थे। जब अंदर गया तो सभी सीटों पर कब्ज़ा था बैग का न की इंसान का , धीरे धीरे लोग अंदर आते गए अपना बैग हटाते गए और सीट पर बैठते गए ,मुछे जब सीट नही मिली तो ड्राइवर ने अपने पास वाली सीट पे बोला बैठ जाओ। सभी सीट पैक हो जाने के बाद बस चली शिरडी के तरफ , बारिश झमाझम हो रही थे मौसम बहुत ही सुहाना था , जमीन से मिटटी खुसबू आ रही थी जैसे पहली बारिश में अक्सर आती है। बस से बाहर देखने पर नज़ारा बहुत ही खूबसूरत लग रहा था , रोड के दोनों तरफ खेत और पेड़ पौधे और चारो तरफ हरियाली बहुत ही सुखमय वातावरण था , जैसे लग रहा था की हम किसी पहाड़ी पर आ गए थे , धीरे धीरे करीब एक घंटे के बाद हम शिरडी साईं बाबा के मंदिर के निकट पहुंचे बेड, वही पर बस ने हमें उतार दिया। मैंने ट्रस्ट की डॉरमिटरी बुक कर के रखी थी जिसकी एक की कॉस्ट करीब 150 रुपए थी।
मेरी बस ने हमें शिरडी बस स्टॉप पे छोड़ दिया। उसके बाद जैसे ही मै ट्रस्ट की धर्मशाला की ओर बड़ा मैंने देखा एक ट्रस्ट के बस लगी हुई थी जो की धर्मशाला तक जाती। एक आदमी से पूछ कर मै बस पर बैठ गया और 10 मिनट में बस ने धर्मशाला छोड़ दिया। उसके बाद काउंटर पर जा के मैंने अपना रूम नंबर और बेड नंबर लिया। और जा कर के शो गया। शाम के करीब 6 बजे मेरी नींद खुलती है। देखा खिड़की से तो काफी लोग भीड़ लगा कर के खड़े थे। पूछने पर पता चला की,जो वोह फ्री में जो खाना मिलता है उसके लिए खड़े है। मैंने भी थोड़ी देर में जाकर के लाइन मे लग के प्रशाद के रूम में खाना खाया।और फिर ट्रस्ट की बस पे बैठ के मंदिर की तरफ निकल गया। ट्रस्ट की बस से फ्री सेवा होती है मंदिर से धर्मशाला और धर्मशाला से मंदिर तक। जब मै मंदिर दर्शन के लिए गया तो वहा बहुत बड़ी लाइन लगी थी और बहुत जायद भीड़ लगी हुई थी। सिक्योरिटी चेक के बाद मै लाइन में लग गया।साप की तरफ लम्बी लाइन लगी थी। थोड़ी देर चलने पर पता चला कुछ लोग शॉटकट तरीके से मंदिर के अंदर सीधे जा रहे थे और जल्दी निकल रहे थे। पता चला की वोह वी. वि.आई. पी पास वाले लोग है। जो 500 रुपए देकर के जल्दी से दर्शन कर लेते है। मै तो काम पैसे वाला आदमी ,देर हो जाये लेकिन पैसा कम लगे. करीब २ घंटे लाइन में लगे उसके बाद में हम मंदिर के स्थान जहा पर साई बाबा की मूर्ति रखी है और नीचे कब्र है। जब तक मै वहा पर पंहुचा तब तक आरती का समय हो गया था। बहुत सारे लोगो ने आरती की और आशीर्वाद प्राप्त किया। आरती होने और दर्शन के बाद में हम मंदिर से बाहर निकल के आये तो पता चला की फ्री में साई की रसोई में खाना मिल रहा है। मै साई की रसोई की तरफ भागा क्योकि उसके बंद होने का टाइम हो गया था। हमारे हिसाब से सबसे बाद में मै ही वहा पर पंहुचा। और शायद ही मैंने इतनी बड़ी रसोई देखी हो कही , सब कुछ आटोमेटिक है , और बड़ी ही साफ सफाई के साथ खाना का इन्तिज़ामा किया जाता है , और बहुत साफ सफाई से खाना खिलाया जाता है , वह भोजन करने के बाद सीधे धर्मशाला आ गया और सो गया ,
सुबह करीब ६ बजे फिर से फ्री की चाय और खाना खाया और चेक आउट करके शिरडी से मनमाड के लिए निकल आया और अगले दिन लखनऊ आ गया।
कैसे जाये :-
रेलवे स्टेशन :- मनमाड सबसे नजदीक में बड़ा रेलवे स्टेशन है जहा से हर जगह के लिए ट्रैन उपलब्ध है
एयरपोर्ट :- साई बाबा इंटरनेशनल एयरपोर्ट शिरडी से करीब २५ किलोमीटर बाहर है मुंबई से डायरेक्ट फ्लाइट मिल सकती है
बस अड्डा :- शिरडी मंदिर के करीब और धर्मशाला के पास में प्राइवेट और गोवेर्मेंट दोनों की बसे चलती है। गोवा ,अहमदाबाद ,मुंबई,सूरत,आदि प्रसिद्ध जगहों के लिए बसे मिलती है
लोकल टैक्सी :- यहाँ पर आस पास में घुमने के लिए प्राइवेट टैम्पो और कार मिल जाती है और बसे भी चलती है
आस पास घूमने की प्रशिद्ध जगह
१. शिरडी साई बाबा मंदिर
२. शनि शिगनापुर
३. त्रम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग
४. भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग
५. गृष्णेष्वर ज्योतिर्लिंग
६ . एलोरा की गुफाये
७.औरंगाबाद फोर्ट
८. बीबी का मक़बरा