पहाड़ों वाली मैगी तो बहुत खाई होगी पर क्या देखी है पहाड़ों वाली होली अगर नही तो चले आइए सांगला

Tripoto
10th Mar 2024
Photo of पहाड़ों वाली मैगी तो बहुत खाई होगी पर क्या देखी है पहाड़ों वाली होली अगर नही तो चले आइए सांगला by Priya Yadav


         भारत विभिन्न संस्कृतियों का देश है जहां अलग अलग तरह के लोग और उनके रीति रिवाज है, सबके अपने तीज त्यौहार है। लेकिन कुछ त्यौहार ऐसे भी जो पूरे भारत में मनाई जाती और सभी भारतवासियों को एकता के सूत्र में बधने का कार्य करती है।ऐसा ही त्यौहार है होली।रंगो के इस त्यौहार को पूरा देश अपने अपने ढंग से मनाता है।कहीं पर इसे लठमार होली के रूप में मनाया जाता है तो वही बनारस के मारीकार्णिका घाट पर भस्म की होली मनाई जाती है।इस रंगो के त्यौहार को सभी अपने ही ढंग से मनाते है। आज हम आपको होली के इस त्यौहार का एक अलग अंदाज दिखाएंगे।तो चलिए चलते है पहाड़ों में ,मैगी खाने नही बल्कि होली खेलने।जी हां पहाड़ो की मैगी तो अपने बहुत खाई होगी लेकिन क्या आपने पहाड़ों की होली खेली है अगर नही तो इस होली जरूर प्लान करे हिमाचल के सांगला की जहां होली का कुछ अलग ही होता है रंग।तो आइए जानते क्या खास है सांगला के होली में।पर उससे पहले हम जानते है सांगला के विषय में।

Photo of पहाड़ों वाली मैगी तो बहुत खाई होगी पर क्या देखी है पहाड़ों वाली होली अगर नही तो चले आइए सांगला by Priya Yadav

सांगला

सांगला घाटी हिमाचल प्रदेश के किन्नौर में स्थित एक बहुत ही खूबसूरत घाटी है जो अपने प्राकृतिक सौंदर्य,सुरम्य वातावरण, सेब के बागान और अपनी किन्नौरी पारंपरिक पहाड़ी संस्कृति के लिए जानी जाती है।समुंद्र तल से लगभग 2,700 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह घाटी अपने शांत वातावरण के लिए जाना जाता है,लेकिन मार्च के माह में यह एक अलग ही हर्ष और उल्लास का माहौल होता है।इस उल्लास के माहौल में शामिल होने के लिए सांगला के आस पास ही नहीं बल्कि दूर दूर से लोग आते है।आखिर क्या  सांगला ही होली में ख़ास जो दूर दूर से लोगो को अपनी तरफ आकर्षित करती है आइए जानते है।

सांगला में कैसे मनाई जाती है होली

सांगला में लोग का मानना है कि वे देवताओं के साथ होली मनाते है।यहां पर होली का त्यौहार होली के दो दिन पहले ही शुरू हो जाता है और दो दिन बाद तक चलता है।इस त्यौहार को शुरुआत वहां के प्रसिद्ध नाग मंदिर से जो की एक लकड़ी से निर्मित खूबसूरत नक्काशी वाला मंदिर है वहां से की जाती है।इस दौरान यहां के लोग रामायण के पात्रों की तरह वेशभूषा और श्रृंगार करके एक गांव से दूसरे गांव तक जुलूस का नेतृत्व करते हैं। उपस्थित लोगों को मिठाई और फसूर, एक स्थानीय शराब परोसी जाती है।जुलूस लय और भक्ति से भरा होता है।सभी एक दूसरे को रंग लगाते है।पूरी घाटी रंग और जश्न के माहौल में डूबी होती है।जिसमे शिरकत होने के लिए पर्यटक भी दूर दूर से यहां आते है।पालकी, गीत और नृत्य से घाटी का माहौल और भी अधिक सुरम्य हो जाता है,और जब बात पहाड़ी त्योहारों की तो हम सभी जानते है की उनका कोई भी त्योहार नाटी नृत्य के बिना पूरा नहीं होता।

Photo of Sangla by Priya Yadav
Photo of Sangla by Priya Yadav

        इसके अलावा महिलाएं मंदिर में घेरा बनाकर नृत्य करती है।बच्चो से बूढ़ों तक सबमें इस त्यौहार का एक अलग ही उत्साह आपको देखने को मिलेगा।अगर आप भी किन्नौर की संस्कृति और सभ्यता को नजदीक से जानना चाहते है तो आपको एक बार जरूर इस होली में शामिल होना चाहिए।

कैसे पहुँचें?

हवाई मार्ग से: अगर आप सांगला हवाई मार्ग से जाना चाहते है तो आपको बता दें कि यहां का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा शिमला हवाई अड्डा है।इसके अलावा आप चाहे तो चंडीगढ़ हवाई अड्डे पर भी जा सकते है।यहां से आप टैक्सी या कैब की सहायता से सांगला पहुंच सकते है।

ट्रेन द्वारा: सांगला वैली का निकटतम रेलवे स्टेशन शिमला में है, जो भारत के प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।

सड़क मार्ग द्वारा: सांगला घाटी तक पहुंचने का सबसे सुविधाजनक तरीका सड़क मार्ग है।शिमला और रामपुर जैसे प्रमुख शहरों से नियमित बसें और टैक्सियाँ उपलब्ध हैं । शिमला से सांगला घाटी की दूरी लगभग 230 किमी है और इसे तय करने में लगभग 8-9 घंटे लगते हैं।

Photo of पहाड़ों वाली मैगी तो बहुत खाई होगी पर क्या देखी है पहाड़ों वाली होली अगर नही तो चले आइए सांगला by Priya Yadav
Photo of पहाड़ों वाली मैगी तो बहुत खाई होगी पर क्या देखी है पहाड़ों वाली होली अगर नही तो चले आइए सांगला by Priya Yadav

Further Reads