पूर्वोत्तर मध्य प्रदेश में स्थित रीवा के बारे में कम लोग ही जानते हैं पर इस सुन्दर नगरी में दर्शनीय स्थलों की कमी नहीं है। नर्मदा नदी का दूसरा नाम रीवा है जिससे इस जगह को अपना नाम मिला है। रीवा अपने क़िलों, संग्रहालयों, झरनों और ऐतिहासिक गाँवों को समेटे हुए एक अद्भुत जगह है जहाँ जाना तो बनता ही है। इतना ही नहीं, यहाँ के वन्य जीव भी अनोखे हैं। सफ़ेद बाघ आपको भारतवर्ष में सिर्फ़ इसी जगह देखने को मिलेंगे। तो क्यों ना कोरोना का आतंक ख़त्म होने पर चल पड़ें रीवा की सैर पर:
क्या देखें?
बघेल म्यूज़ियम
बघेल संग्रहालय रीवा के गौरवशाली इतिहास का प्रमाण है। रीवा के महाराजाओं की धरोहर यहाँ देखने को मिलती है। बांधवगढ़ में स्थित इस संग्रहालय में आपको रीवा के पहले सफ़ेद बाघ मोहन का भी संरक्षित शरीर मिल जाएगा।
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बिहर और बिछिया नदी के तट पर बने रीवा क़िले का निर्माण 1539 ईसवी में शेर शाह सूरी के पुत्र सलीम शाह ने किया था पर इसे 1617 ईसवी में पूरा बघेल राजा विक्रमादित्य ने किया। भारतीय शैली में बने इस क़िले का शिल्प भारत के अन्य क़िलों से बहुत ही अलग है।
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देऊर कोठार
रानी तालाब के चारों ओर छतरियों का सौंदर्य देखते बनता है। यहाँ पर सीताराम मंदिर में कलचुरी काल की तसवीरें और स्थानीय देवी-देवताओं के प्रारूप हैं।
भैरों बाबा मूर्ति
इस 33 फ़ीट ऊँची और 8 फ़ीट चौड़ी शिव जी की मूर्ति को एक एक ही पत्थर पर नक्काशी कर के बनाया गया था। ऐसा माना जाता है कि इसके पास स्थित तालाब में स्नान करने से चर्म रोग दूर हो जाते हैं।
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केओती झरना
तीसरी शताब्दी ईसापूर्व में महाराजा अशोक द्वारा बनवाए गए बौद्ध स्तूपों को मानो भारत के लोगों ने नज़र-अंदाज़ ही कर दिया है। देऊर कोठार इतिहास की ऐसी धरोहर है जिसे हमें ना सिर्फ़ देखना चाहिए बल्कि लोकप्रिय बनाना चाहिए।
रीवा से 22 कि.मी. दूर स्थित गोविंदगढ़ क़िले को मिनी वृन्दावन के नाम से भी जाना जाता है। क़िले के आस-पास कई मंदिर हैं जिनमें से प्रमुख हैं राम गोविन्द मंदिर, पंचमुखी मंदिर, छोवंडी मंदिर, शिव मंदिर और हनुमान मंदिर।
गोविंदगढ़ पैलेस
गोविंदगढ़ क़िले के पास ही झील के किनारे स्थित गोविंदगढ़ पैलेस को बघेल राजाओं के द्वारा वर्षों तक विस्तृत किया गया है।महल के अंदर राम गोविन्द मंदिर, राघव महल, बादल महल, उल्टा महल, आनंदगढ़ और दरिया महल ज़रूर देखें।
वेंकट पैलेस
सौ वर्ष पुराना वेंकट पैलेस सुन्दर मूर्तियों से सुसज्जित है। इस महल से रीवा क़िला एक सुरंग द्वारा जुड़ा हुआ है।
महानदी क़रीब 100 मीटर की ऊँचाई से रीवा पठार से केओंती झरने के रूप में गिरती है। फ़ोटोग्राफ़ी के लिए यह एक बढ़िया जगह है।
पुर्वा झरना
यह झरना तमसा नदी के रीवा पठार से 70 मीटर की ऊँचाई से गिरने से बना है।
चचाई झरना
यह रीवा से क़रीब 40 कि.मी. दूर है और इस क्षेत्र का सबसे ऊँचा जल-प्रपात है। यहाँ बीहड़ नदी 130 मीटर की ऊँचाई से रीवा पठार से गिरती है।
कैसे पहुँचें?
हवाई जहाज़ द्वारा- रीवा से निकटतम हवाई अड्डा प्रयागराज में है। दूरी है 110 कि.मी.। यहाँ से आप रीवा के लिए टैक्सी ले सकते हैं।
रेल द्वारा- रीवा रेल द्वारा सभी प्रमुख नगरों से जुड़ा है।
बस द्वारा- रीवा मध्य प्रदेश के सभी शहरों से बस सेवा द्वारा जुड़ा है। उत्तर प्रदेश के शहरों प्रयागराज और बनारस से भी यहाँ के लिए बसें मिल जाएँगी।