इतिहास के स्वर्णिम पन्ने पर बिहार की गाथा मिलती है जो कि आज से बिल्कुल ही उलट तस्वीर पेश करती है। ज्ञान-विज्ञान के प्रमुख स्थलों के साथ ही प्रतापी राजवंशों की धरती रही है। एक समय इनका पताका लगभग पूरे भारतखंड में लहराता था। आज भी बिहार में जानने और देखने को इतना कुछ है कि आप हैरान हो जाएँगे। आमतौर पर घुमक्कड़ों की लिस्ट में बिहार नहीं ही होता है लेकिन हम आपको ऐसी जगह के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे 'बिहार का कश्मीर' कहा जाता है। ये चौंकने वाली बात है कि आखिर मैदानी इलाकों से भरे बिहार में कश्मीर कैसे हो सकता है! जानकारी के लिए बता दूँ कि बिहार में राजगीर ही ऐसी जगह है जहाँ पहाड़ियाँ मिलती हैं।
कभी प्राचीन मगध की राजधानी रही राजगीर का पुराना नाम राजगृह है जो कि नालंदा जिले में पड़ता है। यहाँ की शीतल हवा और खूबसूरत पहाड़ियाँ आपका मन मोह लेंगी। इतना ही नहीं, ये जगह हिन्दू, बौद्ध और जैन धर्म के मानने वालों के लिए किसी तीर्थ से कम नहीं है। यहाँ टूरिस्टों के लिए एक से बढ़कर एक दर्शनीय स्थल हैं, लिहाजा देश ही नहीं, बल्कि विदेशों से भी पर्यटक खींचे चले आते हैं।
अपनी खूबसूरती की वजह से राजगीर अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो चुका है। सात पहाड़ियों छठगिरि, रत्नागिरी, शैलगिरि, सोनगिरि, उदयगिरि, वैभरगिरि और विपुलगिरि से घिरा राजगीर देखने में शेष बिहार से एकदम जुदा है। राजवंशों के इतिहास के अलावे राजगीर खुद में अनेक धार्मिक, सामाजिक कहानियों को संजोए हुए है।
राजगीर में क्या सब देखें
इस खूबसूरत शहर में पहुँचकर आप टमटम पर सवार होते हैं तो ऐसे लगता है कि पूरा शहर आकर्षक है। यहाँ कुछ समय बिताकर घूमें तो बहुत सारी जगहों पर जा सकते हैं। उनके बारे में जानकारी इकठ्ठा कर सकते हैं। यहाँ के कुछ ख़ास जगहों के बारे में यहाँ आपको बता देता हूँ।
प्रसिद्ध सोने का भंडार
कहा जाता है कि 'सोन भंडार' में मगध सम्राट बिम्बिसार ने अपना सोने का खजाना छुपा रखा है। ये एक लॉक्ड गुफा है जिसे आजतक कोई भी खोल नहीं पाया है। गुफा के शुरू में एक कमरा है जिससे होकर खजाने तक जा सकते हैं लेकिन उस रास्ते को चट्टान से बंद किया गया है। स्थानीय लोगों की मानें तो कमरे की दीवार पर शंख लिपि में खजाने को खोलने का पूरा ब्यौरा लिखा है। लेकिन आजतक इस लीपि को कोई पढ़ नहीं सका है। जानकारी के लिए बता दूँ कि पहले से शासकों ने भी इस खज़ाने को खोलने की कोशिश की लेकिन किसी ना किसी वजह से वे सफल ना हो सके।
गर्म जलकुंड
ब्रह्म कुंड और मखदूम कुंड दो ऐसे जलकुण्ड हैं जिसका पानी गर्म होता है। ये जलकुंड अपने गर्म पानी के लिए फेमस है जहाँ लोग विशेष तौर पर नहाने आते हैं। बताया जाता है कि इस कुंड में नहाकर लोगों को सुकून मिलता है। जानकर हैरानी होगी कि यहाँ के पानी का ताप 45 डिग्री सेल्सियस तक होता है। राजगीर के जलकुण्डों के आसपास आपको कोई ना कोई मंदिर ज़रूर मिलेगा।
विश्व शांति स्तूप
पहाड़ी पर स्थित विश्व शांति स्तूप बौद्ध धर्म को मानने वालों के लिए बहुत ही पावन स्थान है। धुंधले से सफेद रंग के इस स्तूप पर भगवान बुद्ध की स्वर्णिम प्रतिमाएँ स्थापित हैं। ये प्रतिमाएँ भगवान बुद्ध की विविध मुद्राओं को दर्शाती है। बताया जाता है कि भगवान बुद्ध ने यहीं से पूरे विश्व को शांति का सन्देश दिया था। जानकारी हो कि स्तूप का निर्माण वर्ष 1978 में गौतम बुद्ध की 2600 जयंती के अवसर पर किया गया था। स्तूप शांति शिवालय के नाम से फेमस इस स्तूप के गुंबद की ऊँचाई 72 फुट है। आस्था का यह मुख्य केंद्र राजगीर घाटी की खूबसूरती में चार चांद लगाती है।
अखाड़ा और जेल
राजगीर के इतिहास में गोते लगाने के लिए सोन भंडार से करीब एक कि.मी. की दूरी पर मगध सम्राट जरासंध का अखाड़ा देख आएँ। बताया जाता है कि मगध सम्राट जरासंध इसी अखाड़े में अपना अभ्यास करते थे। फिलहाल इस दुर्लभ अखाड़े के अवशेष ही बचे हुए हैं। इस अखाड़े का जिक्र धर्मग्रंथों में भी मिलता है। वहीं इतिहास की पुस्तकों में दर्ज बिम्बिसार जेल देखने ज़रूर जाएँ, जहाँ उनके पुत्र अजातशत्रु ने उन्हें बंदी बनाकर रखा था। यहाँ आज भी चट्टानों का घेरा मौजूद है।
घोड़ाकटोरा डैम
ये डैम घोड़े के आकार का है, जो कि रोपवे के पास से जंगल होते हुए 6.5 कि.मी. पर स्थित है। बताया जाता है कि अजातशत्रु के सैन्य महत्व के घोड़े यहाँ रखे जाते थे। साथ ही, युद्ध के समय सैनिक अपने घोड़े के साथ यहाँ जमा होते और यहीं से कुछ करते थे। यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता आपको आकर्षित करती है। घने जंगलों, पहाड़ियों के बीच छोटा सा डैम है। निर्मल पानी में बोटिंग का आनंद लेना भूलें। जानकारी हो कि घोड़ाकटोरा जाने के लिए सुबह 8 बजे से लेकर शाम के 3 बजे तक ही अनुमति मिलती है। शाम 5 बजे तक वहाँ से वापस आने का सिलसिला शुरू हो जाता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि वहाँ ठहरने की कोई व्यवस्था नहीं है।
नालंदा विश्वविद्यालय के भग्नावशेष
राजगीर में एक नया कैंपस तैयार कर नई नालंदा यूनिवर्सिटी चालू है लेकिन खंडहर बन चुके पुराने विश्वविद्यालय को देखने लोगों का हुजूम जाता है। यहाँ से लगभग 13 कि.मी. दूर पुराने नालंदा विश्वविद्यालय के भग्नावशेष स्थित है। नालंदा के मुख्य सड़क से टमटम या फिर ऑटो की मदद से आप विश्वविद्यालय के खंडहर तक पहुँचते हैं। यहां लाल रंग के ईंटों वाले नालंदा के बचे-खुचे हिस्से देख सकेंगे जो आज भी भारत के ज्ञान-विज्ञान की पुरानी परम्परा की गवाही देते हैं।
मलमास मेला
धार्मिक मान्यता है कि मलमास की अवधि में सभी देवी-देवता राजगीर आकर ही निवास करते हैं। लगभग तीन साल के अंतराल पर मलमास के महीने में मगध की पौराणिक नगरी राजगीर में विराट मेला लगता है। यहाँ आने वाले लाखों श्रद्धालु पवित्र नदियों प्राची, सरस्वती और वैतरणी के अलावा गर्म जलकुंडों में नहाकर पूजापाठ करते हैं। यहाँ देश-विदेश से लोग आकर इस ऐतिहासिक और पौराणिक नगरी को देखते हैं।
कब और कैसे पहुँचें
यूं तो आप कभी भी यहाँ आ सकते हैं लेकिन दिसंबर व जनवरी का महीना राजगीर यात्रा के लिए सबसे बेस्ट समय है। रेल, सड़क और हवाई मार्ग से राजगीर कनेक्टेड है। पटना निकटतम हवाई अड्डा है जो कि लगभग 90 कि.मी. दूर है। हालांकि रेलवे स्टेशन राजगीर में मौजूद है लेकिन सुविधाजनक यात्रा के लिए गया और पटना रेलवे स्टेशन आना बेहतर ऑप्शन है। वहाँ से राजगीर तक बस या टैक्सी से आसानी से पहुँचा जा सकता है।