उदयपुर, जिसे झीलों का शहर के नाम से भी जाना जाता है, राजस्थान के बेहद खूबसूरत शहर में से एक है | एतिहासिक महलों के साथ साथ झीलें और हरे भरे पहाड़ की सुन्दरता यहाँ देखते ही बनती है | मैं यहाँ कई बार आया पर हर बार एक अलग अनुभव लेकर लौटा, कुछ ऐसा ही है ये शहर |
हमने अपनी इस यात्रा की शुरुआत की यहाँ की स्थानीय जगहों से, सबसे पहले मैं आपको बता दू की आप अपना होटेल पिचोला झील के पास ही बुक करें, क्योंकि आस पास के 4 पर्यटन स्थल आप महज़ चल के भी जा सकते हो, पिचोला झील, सिटी पैलेस, जगदीश मंदिर और बागोर की हवेली |
सबसे पहले आप जाइए जगदीश मंदिर, जो बहुत पुराना और खूबसूरत मंदिर है। यहाँ दर्शन करके आप इसके ठीक सामने एक छोटी दुकान पर नाश्ता कर सकते हैं। यहाँ का पोहा, समोसा और कचोड़ी, जो की बेहद स्वादिष्ट और मशहूर है, फ़िर आप यहाँ से सिटी पैलेस जाइए।
यहाँ से आप दोपहर का खाना खाने के बाद जाइए पिचोला झील, यहाँ कुछ देर आराम करके आप इस झील का नाव द्वारा आनंद भी ले सकते है, इसके बाद आप अपने होटेल जा कर आराम करने के बाद आ जाएँ बागोर की हवेली, यहाँ हर शाम राजस्थानी धरोहर कार्यक्रम होता है जो की बहुत शानदार और खूबसूरत है, इसका लुत्फ उठाने के बाद आप पहले दिन की यात्रा समाप्त कर सकते हैं |
दूसरे दिन की शुरुआत करिए बगोर की हवेली संग्रहालय के साथ, जहाँ आप पिचोला झील और उसके साथ सटे पहाड़ी घाटी के नज़ारों का आनंद ले सकते हैं। इसके बाद रुख करें फतेह सागर झील और यहाँ नाव द्वारा इस झील की सुन्दरता का आनंद लीजिए| यहाँ लंच के बाद सज्जनगढ़ किले की ओर प्रस्थान करें। पहाड़ की चोटी पर बने इस किले को मॉनसून महल के नाम से भी जाना जाता है, चारों ओर पहाड़ी ईलाके और उदयपुर के शहर का नज़ारा यहाँ देखते ही बनता है | इसके बाद आप वहाँ चिड़ीयाघर भी जा सकते है, इसके बाद आप जाइए सहेलियों की बाड़ी, जो एक बहुत हरा भरा और सुन्दर बाग है | इसी के साथ दूसरे दिन की यात्रा समाप्त करिए |
तीसरे दिन की यात्रा का आगाज़ करिए चित्तौरगढ़ की ओर, चूँकि ये उदयपुर से थोड़ा दूर है तो आज आप बस चित्तौरगढ़ ही घूम पाएँगे | चित्तौरगढ़ के साथ बेहद दुर्लभ इतिहास जुड़ा है, जिसका एक रूप पद्मावत फ़िल्म में भी दर्शाया गया है, यहाँ की धरोहर, सुन्दर मंदिर और महल एवं आस पास के पहाड़ी घाटी, आपको उस समय में ले जाएगी जब यहाँ के राजा रहते थे, आज भी वहाँ के मंदिर के कई हिस्सों पर दरारें दिखाई देती है, जो युद्ध के समय क्षतिग्रस्त हुई थी| तीसरे दिन की यात्रा यहीं पर समाप्त होती है |
चौथे दिन की यात्रा का आगाज़ करिए मांऊट आबू की ओर, उदयपुर से लगभग तीन घंटे की दूरी पर स्थित यह एक बेहद खूबसूरत हिल स्टेशन है| सनसेट पॉइन्ट, हनीमून पॉइन्ट, दिलवाड़ा मंदिर, नक्की झील, अधरा देवी मंदिर, श्री रघुनाथ मंदिर यहाँ के सबसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थलो में से एक है | राजस्थान के एकलौते हिल स्टेशन का लुत्फ़ उठाए और आज की यात्रा का इसके साथ समापन करिए|
पाँचवे दिन की यात्रा का आगाज करिए कुम्भलगढ़ एवं रनकपुर की ओर, कुम्भलगढ़ किला ना सिर्फ़ एक महल बल्कि दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी दीवार वाला किला है, लगभग 38 कि.मी. की दीवारों से बना यह किला महाराना कुम्भा ने अपने शत्रुओं से बचने के लिए बनाया था | किले के सबसे ऊपर जाने के बाद बेहद ठंडी हवाओं के बीच, आपको किले के चारों ओर का भव्य नज़ारा दिखाई देगा | इसके बाद आप जाइए रनकपुर की ओर, जहाँ 2000 साल पुराना मंदिर है जिसका नाम है रनकपुर जैन मंदिर, जिसे महाराणा कुम्भा ने बनवाया था | पहाड़ो के बीच बना यह मंदिर बेहद खूबसूरत और शान्त वातावरण में बना हुआ है | इतने पुराने मंदिर को देख कर आप दंग रह जाएँगे के कैसे यह मंदिर आज भी बेहद सुन्दर, शान्त और खूबसूरत है, यकीन मानिए इसकी नक्काशी की तारीफ़ करते आप थकेंगे नहीं | इसी के साथ उदयपुर की यात्रा समाप्त करिए, और अपने साथ इस शहर और राजस्थान की कुछ अच्छी यादें संजो कर ले जाइये |
तो आप कब निकल रहे हैं इस सफर पर? यहाँ क्लिक करें और अपने सफरनामें लिखना शुरू करें।