मैं अपनी राजस्थान की यात्रा में पहाड़ों की नगरी डूंगरपुर सौ द्वीपों का शहर बांसवाड़ा राजस्थान का सबसे नवीनतम जिला प्रतापगढ़ पहुंचा मैंने अपनी यात्रा की शुरुआत डूंगरपुर बांसवाड़ा की बॉर्डर पर स्थित आदिवासियों के कुंभ के नाम से पहचाने जाने वाले बेणेश्वर धाम से की जो कि तीन पवित्र नदियों सोम माही जाखम का संगम स्थान है इस स्थान का धार्मिक महत्व होने के साथ-साथ देश की आजादी के स्वतंत्रता संग्राम में भी बड़ा महत्वपूर्ण योगदान रहा बारिश के दिनों में यह स्थान चारों ओर से पानी से गिर जाता है हमारी यात्रा के पहले दिन जब हम यहां पहुंचे भारी बारिश के कारण हमें भी यहां पहुंचने में बड़ी दिक्कत हुई यहां पहुंचने के बाद हमें जो नजारा देखने को मिला वह शायद हमने जिंदगी में पहले कभी नहीं देखा था हमें पानी के बीच में केवल एक मंदिर दिखाई दे रहा था जो एक छोटी सी पहाड़ी पर था हमारी यात्रा के अगले पड़ाव में हम माही डैम पहुंचे आप जब भी माही डैम जाए मानसून के दिनों में ही पहुंचे क्योंकि माही डैम के निकलने वाले पानी का विकराल रूप मानो ऐसा लगता है जैसे पानी नीचे गिरने के बाद फिर से बादलों में जा रहा है यह पल जीवन भर ना भूलने वाला पल था इस यात्रा के दौरान हमने बांसवाड़ा डूंगरपुर प्रतापगढ़ के बहुत सारे छोटे बड़े पर्यटक स्थलों की शेर की और हमने यह भी देखा कि आज भी आदिवासी लोग अपनी पुरानी वेशभूषा संस्कृतिक विरासत प्रकृति का संरक्षण पुरानी जीवनशैली संजोए रखा है यह राजस्थान के कुछ अनछुए स्थानों मे से एक है हमारी यात्रा के अंतिम पड़ाव में हम त्रिपुरा सुंदरी पहुंचे यह राजस्थान की प्रमुख देवियों में से एक हैं चारों तरफ हरे-भरे पहाड़ों से घिरा यह स्थान काफी सुंदर हो रमणीय स्थान है त्रिपुरा सुंदरी के दर्शन करने के बाद एक नई उर्जा का अनुभव हुआ और हमारी यात्रा का समापन भी मां देवी के दर्शन के पश्चात हुआ और हम हमारे साथ राजस्थान यात्रा की बहुत सारी यादें हमारे कैमरे में कैद करके लौटे