बिना किसी पूर्व योजना के ज्यादातर मैंने यात्रा की है आज भी कुछ ऐसा ही था 4:30 बजे प्लेटफार्म पर ट्रेन आ चुकी थी. जैसा कि ज्यादातर भारतीय करते हैं मैं भी उनसे भिन्न नहीं हूं जनरल टिकट लेकर मैं स्लीपर कोच में प्रवेश कर गया. ऐसा पहली बार नहीं था जब मैं इस तरह यात्रा कर रहा हूं मै जब कोटा रहता था 2011 में तब मैंने कोटा से लेकर गंगापुर तक की यात्रा कई बार ऐसे ही की है। एक्स्ट्रा ₹100 ही तो देने होते हैं टी सी को, खैर मौसम साफ था हल्की गुलाबी ठंड थी निश्चित ही यात्रा करने के लिए सबसे बेहतर समय होता है। लेकिन जब आपकी यात्रा इतनी लंबी हो तो अपना महत्वपूर्ण सामान ले जाना कभी नहीं भूले।
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सर्दियों के कपड़े
इनरवियर
पानी गर्म करने के लिए या चाय गरम करने के लिए इलेक्ट्रिक हीटर
हाथों के दस्ताने
एक मुलायम ब्लैंकेट,
स्नैक्स
और एक बेहतर
1. जयपुर
रात 11:00 बजे में जयपुर जंक्शन पर उतर गया और मैंने पहले से ही जो होटल बुक किया हुआ था मैं वहां पर पहुंच गया। सिंधी कैंप पर आपको काफी सारे होटल चीप प्राइस में मिल जाएंगे। होटल की खास बात यह थी कि इसमें स्विमिंग पूल भी था लेकिन सर्दी काफी थी इसलिए मैंने स्विमिंग पूल का मजा तो नहीं लिया। रात को खाना खाकर मैं सो गया क्योंकि मैं काफी थका हुआ था। सुबह ब्रेकफास्ट करने के बाद मैंने ओला बुक की और आमेर फोर्ट पहुंच गया।
आमेर
अरावली की पहाड़ियों के बीच एक सुंदर किला।आमेर फोर्ट के पास ही है "जलमहल " अगर आपने "शुद्ध देसी रोमांस" फिल्म जो के जयपुर में ही फिल्माई गई है देखी हो तो आपको ज़रूर याद होगा।आमेर को मुख्यतः मीणाओं के द्वारा बसाया गया था जिस पर राज कछवाहा वंश के शासक मानसिंह प्रथम ने किया। आमेर फोर्ट के खुलने का समय प्रातः 10:00 से 5:00 बजे तक रहता है। रात 8:00 बजे तक लो फ्लोर बसें जो कि गवर्नमेंट के द्वारा चलाई गई है चालू रहती हैं। अगर आप स्टूडेंट हैं तो आपको निश्चित ही टिकट में भारी छूट मिल जाएगी। भगवान श्री राम के पुत्र कुश से संबंधित होने के कारण इस राजपूत वंश का नाम कछवाहा वंश पड़ा। मुगलों से दोस्ताना व्यवहार होने की वजह से आमेर रियासत को कभी भी मुगलों की दुश्मनी का सामना नहीं करना पड़ा था इसलिए आमेर रियासत सदैव संपन्न रियासतों में गिना जाता है।आमिर को देखने के लिए पूरे विश्व से सैलानी आते हैं और इसे यूनेस्को की विश्व धरोहर में शामिल किया गया है।हाथी की सवारी कर आप अपनी यात्रा को और भी आनंददायक बना सकते हैं। जब भी आप आमेर जाएं तो मावठा सरोवर में मछलियों के लिए दाना डालना ना भूलें।
जल महल
एक तरफ अरावली पर्वतमाला, दूसरी तरफ पूरा के पूरा शहर और बीच में सरोवर, कुछ ऐसा है जल महल। सरोवर के बीच में महल होने की वजह से इसका नाम जल महल पड़ा। महल तक जाने की इजाजत किसी को नहीं है।कुछ समय पहले तक यहां पर नौका विहार हुआ करती थी लेकिन गवर्नमेंट ने बाद में इसको बंद करवा दिया।अगर आप जल महल की सुंदरता को देखना चाहते हैं तो एक बार शुद्ध देसी रोमांस मूवी का वह गाना गुलाबी है गुलाबी जरूर सुनिए उसमें आपको जल महल की खूबसूरती साफ दिखाई देगी। सुंदर-सुंदर तस्वीरें खिंचवाने के लिए एक बेहतर जगह। युवा प्रेमी और कॉलेज के स्टूडेंट्स आपको यहां पर घूमते हुए मिल जाएंगे। जब भी आप जल महल जाएं तो कबूतरों को दाना डालना ना भूलें और हो सके तो मछलियों के लिए भी आटा जरूर डालें।
शाम हो चुकी थी मैंने ओला बुक की और रिटर्न अपने होटल आ गया।
होटल आने के बाद मैंने थोड़ा आराम किया और उसके बाद गरमा गरम पानी से नहाया। इसके बाद मैंने यहां की मार्केट का भ्रमण किया। एमआई रोड का इलाका और इसके आसपास की जगह सामान खरीदने के लिए सबसे उपयुक्त जगह है। यह इलाका विदेशी सैलानियों का आकर्षण का केंद्र है। विश्व प्रसिद्ध राज मंदिर सिनेमा भी यहां से बिल्कुल नजदीक में ही है जहां पर आप फिल्म देखने का आनंद ले सकते हैं। यहां के बाजार में आपको हस्तकला के उत्कृष्ट नमूने देखने को मिल जाएंगे। यह बाजार विदेशी पर्यटकों का मुख्य आकर्षण का केंद्र है। अब जयपुर आए और लक्ष्मी मिष्ठान भंडार से खाना नहीं खाया तो सब बेकार है। आपकी जानकारी लिखिए लिए बता दूं कि लक्ष्मी मिष्ठान भंडार अर्थात एल एम बी 200 साल पुरानी दुकान है। सिंधी कैंप से इसकी दूरी करीब 4 किलोमीटर है। खाना खाने के बाद में वापस अपने होटल आ गया और थोड़ी देर आराम किया और उसके बाद होटल की रूफटॉप पर जाकर जयपुर के नाइट व्यू का आनंद लिया। और वहां पर पहले से मौजूद विदेशी सैलानियों के साथ थोड़ी गुफ्तगू की।
और निश्चित ही अब सोने का समय हो गया।
यह मेरा जयपुर में पहला दिन।
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