सफर खूबसूरत है मंज़िल से भी, यह लाइन वैसे तो हम सभी लोग गाते रहते है पर इसके सही मायने मुझे इस ट्रिप पर जाकर पता लगे जिसकी कहानी में आपको सुनाने जा रहा हूँ । उस जगह का नाम है गोरम घाट । यह हमारी ट्रैवल सिरीज़ The Hidden Colours Of Rajasthan Part – 3 का दूसरा ट्रिप था ।
जब से मैंने ट्रैवल करना शुरू किया था तब से ही मैं गोरम घाट जाने का मन बनाए बैठा था क्योंकि मुझे बताया गया था की वहाँ पर चलने वाली ट्रेन की यात्रा अगर आपने नहीं की तो आप राजस्थान के कुछ रंग तो देख ही नहीं पाएँगे । तो जब ट्रिप की बारी आई तो चल दिए हम भी अपने सफर पर और यह आर्टिकल गोरम घाट में की गयी मेरे दो सफर का सारांश है ।
गोरम घाट के बारे में पता करने के बाद पता चला की यहाँ पर जाने के लिए आज भी मीटर गेज ट्रेन चलती है जिसमे सफर करना अपने आप में ही एक मजे की बात है, और अब मीटर गेज़ ट्रेन सिर्फ कुछ ही रुट्स पर चल रही है, तो इसका मतलब यह था की हम गोरम घाट सिर्फ और सिर्फ ट्रेन से ही जा सकते है, यहाँ किसी भी प्रकार की बस, बाइक, या कार से जाने का यहाँ कोई साधन या रास्ता नहीं है क्योंकि यह पहाड़ियों की बीच मे घिरा हुआ है और यहाँ सिर्फ ट्रेन से ही जाया जा सकता था ।
जब हम इसकी प्री विसिट पर गए तो करन लड्ढा मेरे साथ गया जिसने ट्रिप के दौरान और बाद में इस ट्रिप का वीडियो बनाने मे काफी हेल्प की । हम यहाँ से उदयपुर के लिए बस से निकले और बस में बैठने के बाद में देखता हूँ की सामने के गेट से वरुण आ रहा है जो की मेरा भाई ज्यादा दोस्त कम है और वह उदयपुर मे रहकर अभी पढ़ रहा है तो उसे देखकर इतनी खुशी हुई की बस मज़ा आ गया। हम तीनों ही सोते जागते, बाते करते हुए उदयपुर पहुँचे जहाँ से हमें वरुण ने अपने दोस्त की कार से हमें स्टेशन छोड़ दिया । यहाँ से करन और मैंने मावली जाने के लिए ट्रेन से निकले क्योंकि गोरम घाट जाने वाली ट्रेन हमे मावली से ही मिलनी थी। और उसके बाद जो हमने देखा वह हमारे आँखो के सामने आज भी ताज़ा है । यह ट्रिप हमारी सबसे खूबसूरत ट्रिप में से एक थी क्योकि यहाँ पर एक तो सिर्फ मीटर गेज ट्रेन से ही जाया जा सकता था जो की आपको अरावली के सबसे बेहतरीन नज़ारे दिखाते हुए ले जाएगी, साथ ही साथ यह ट्रेन अनगिनत मोड़ लेती है और आपको ट्रेन इंजन बिलकुल सामने ही दिखता है, इसके ही साथ यह ट्रेन बड़े बड़े घुमावदार पुलों पर से होती हुई गुज़रती है। जब यह ट्रेन उन बड़ी 2 सुरंगो मे से निकलती है जिसके दोनों तरफ पानी बह रहा होता है तो उसे शब्दो मे बयां करना थोड़ा मुश्किल है ।
और जब हम गोरम घाट स्टेशन पर पहुँचे तो वहाँ पूछने पर पता लगा की वाटरफॉल तक पहुँचने के लिए आपके पास दो रास्ते हैं या तो आपको ट्रेन की पटरी के पर चलते हुए 2 बड़े घुमावदार पुलों को पार करके नीचे वाटरफॉल के पास जाना होगा या फिर आप स्टेशन के सामने बनी हुई एक पगडंडी पकड़ लें जो आपको जंगल से होती हुई फॉल के पास पहुँचा देगी । तो हमने यह सोचा की जाते तो पटरी वाले रास्ते से जाते है और वापसी मे जंगल से होते हुए आ जाएँगे। एक घंटे के बाद हम लोग वाटरफॉल पहुँंचे और कूद पड़े झरने में, वैसे यहाँ बहुत से झरने हैं और सभी नहाने के लिए सेफ है ।
जब हम ट्रिप लेकर गए थे तब हमने झरने से लौट आने के बाद रेल्वे स्टेशन पर दाल बाटी खायी और उस दिन हमारी ट्रेन 1.30 घंटा लेट तो थी ही सीज़न का समय होने के कारण गोरम घाट पर भीड़ भी बहुत थी तो हमने सोच लिया था की अब तो ट्रेन के ऊपर ही बैठ कर ही जाएँगे । जैसे ही ट्रेन आयी हम लोग पीछे ही पीछे के डब्बे की तरफ भागे और ट्रेन के ऊपर चड़ गए हमारी ही तरह सैकड़ो लोग ट्रेन के ऊपर ही थे क्योंकि नीचे डिब्बो मे जगह नहीं थी और यह मीटर गेज़ ट्रेन थी तो हमारे ऊपर कोई भी बिजली का तार या कोई खतरनाक चीज़ नहीं थी । जब हम ऊपर बैठे थे और चलती हुई ट्रेन में से गोरम घाट की खूबसूरती को निहार रहे थे तो सबके मन मे बस चल छैया छैया वाला गाना ही चल रहा था तो मैंने भी अपने स्पीकर पर यही गाना चला दिया और लूप मे यह गाना तब तक चलता रहा जब तक हम फुलाद मे ट्रेन से नीचे उतार गए ।
वहाँ से हम सभी लोग उदयपुर पहुँचे, ट्रेन लेट हो चुकी थी तो सभी ने जल्दी से अपना खाना खाया और कोटा की तरफ निकल पड़े ।
अब हम सभी लोग फिर से गोरामघाट जा रहे हैं पर हम इस बार बाइक से जाएँगे क्योंकि हमने वहाँ पर एक कच्चा रास्ता खोजा है जो की हमे पहाड़ों और बिहडों में से होता हुआ गोरम घाट तक पहुँचा देगा हालांकि पूरा ऑफरोड होगा पर खुद के बनाए रास्तों पर चलने का मज़ा कुछ और ही है ।