चित्तौड़गढ़: एतिहासिक कहानियों से भरा पर्यटक स्थल

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जब तक भारत में मुग़ल नहीं आए थे, तब तक भारत राजे रजवाड़ों के हाथ में था। चित्तौड़गढ़ उन सबसे पहले किलों में से एक है जिस पर मुग़लों ने अपनी नज़रें डालीं। 700 एकड़ में फैला यह इलाक़ा अपने भीतर चित्तौड़गढ़ का इतिहास समेटे हुए है।

श्रेय :अमित रावत

Photo of चित्तौड़गढ़, Rajasthan, India by Manglam Bhaarat

चित्तौड़गढ़ का इतिहास और उसकी लड़ाईयाँ

चित्तौड़गढ़ का इतिहास ढेर सारी लड़ाइयों का गवाह है। अपने आत्मसम्मान की रक्षा के लिए रानी पद्मिनी के साथ सैकड़ों राजपूत वीरानियों ने इसी चित्तौड़गढ़ में जौहर किया था।

चित्तौड़ का किला मौर्य वंश के शासक चितरंगा के समय में बनाया गया था और 728 ईसवीं में इस पर गहलोत वंश का शासन हो गया।

सन् 1303 में अलाउद्दीन खिलजी ने गहलोत वंश के राजा रतनसिंह को हराकर इस पर कब्ज़ा कर लिया था। बाद में सिसोदिया वंश के राजा हमीर सिंह ने इसे जीत लिया।

2013 में यूनेस्को ने भी इसे विश्व पर्यटक स्थलों की सूची में जगह दी। ऐतिहासिक जगहों के शौक़ीन हैं तो आने वाली छुट्टियों में आप चित्तौड़ का किला घूमने का प्लान बना सकते हैं।

चित्तौड़गढ़ किला: घूमने का सही समय

राजस्थान भारत के सबसे गर्म इलाक़ों में आता है, इसलिए यहाँ पर ठंड के मौसम में जाना ही बेहतर रहेगा। सितम्बर से फरवरी चित्तौड़गढ़ घूमने का सबसे सही समय है।

चित्तौड़गढ़: घूमने के लिए बेस्ट जगहें

चित्तौड़गढ़ घूमने का प्लान बनाया है आपने तो किले के साथ ही आस-पास की ये जगहें देखना बिल्कुल ना भूलें।

1. चित्तौड़गढ़ का किला

692 एकड़ में फैला हुआ इस किले की ऊँचाई 590 फ़ीट है। संस्कृति के सहेजे हुए यह किला राजपूती वास्तु कला का सबसे बड़ा उदाहरण है। विजय स्तम्भ और कीर्ति स्तम्भ यहाँ पर मुख्य आकर्षण के केन्द्र हैं। ख़ूबसूरत लाइटों के बीच अपनी छटा को बिखेरता यह किला शाम के वक़्त तो मानो स्वर्ग ही लगने लगता है।

2. विजय स्तम्भ

राजपूती शान और उनकी विजय कीर्ति को अगर कोई भी चीज़ ढंग से बयाँ करती है, तो उसका नाम है विजय स्तम्भ। महमूद खिलजी को 1448 में हराने के बाद राजा राणा कुंभ ने इस जीत को यादगार बनाने के लिए विजय स्तम्भ बनवाया।

राजस्थानी वास्तु कला के इस उदाहरण पर जिधर नज़र दौड़ाएँगे, भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी के दर्शन हो जाएँगे। जबकि अन्दर वाले हिस्से में उस दौर के वाद्य यंत्र, लड़ाई के सामान की नक्काशी मिलेगी। चित्तौड़गढ़ किले के इस विजय स्तम्भ को देखने विदेशी सैलानी भी दूर-दूर से आते हैं।

3. कीर्ति स्तम्भ

राजा रवल कुमार सिंह के समय जैन व्यापारी जीजा भागरवाला ने जैनियों के प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव के सम्मान में इसे बनवाया था। राजपूती शान के बीच जैनियों का 22 मीटर ऊँचाई वाला यह स्तम्भ चित्तौड़गढ़ की सांस्कृतिक विविधता को प्रदर्शित करता है।

4. कालिका माता मंदिर

कालिका माता मंदिर में अगर कुछ देखने लायक है, वो है यहाँ पर बनी हुई मूर्तियाँ। आज के दौर में जब मूर्तिकला ख़त्म हो रही है, वहाँ पर यह जगह छोटे बच्चों के लिए देखने लायक होगी।

Photo of कालिका माता मन्दिर, चित्तौड़गढ़ दुर्ग, Chittorgarh, Rajasthan, India by Manglam Bhaarat

5. रानी पद्मिनी पैलेस

जब दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी ने चित्तौड़गढ़ पर हमला किया था, तो रानी पद्मिनी समेत सैकड़ों राजपूतानी स्त्रियों के जौहर का गवाह बना था रानी पद्मिनी पैलेस। अलाउद्दीन खिलजी को यहाँ से ही रानी पद्मिनी की परछाई दिखाई गई थी। ऐतिहासिक दृष्टि से रानी पद्मिनी महल का बहुत महत्त्व है।

6. मीरा पैलेस

भगवान कृष्ण और मीरा की प्रेम कथा के अवशेषों की तलाश में सैलानी मीरा पैलेस को देखने आते हैं। माँ मीरा, उनका कृष्ण से प्रेम और चित्तौड़गढ़ का इतिहास इसी मीरा पैलेस के इर्द गिर्द घूमता मिलता है। एक बात याद रखिए, कोई भी चित्तौड़गढ़ ट्रिप बिना मीरा पैलेस दर्शन के पूरा नहीं होता।

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क्या खाएँ चित्तौड़गढ़ में

हर जगह हर प्रदेश की खाने को लेकर अपनी संस्कृति होती है। वहाँ पर उस प्रकार का खाना लोग दिल से बनाते हैं और चाव से खाते हैं।

चित्तौड़गढ़ अपने भारतीय खाने के लिए बहुत प्रसिद्ध है। चित्तौड़गढ़ किला घूमते समय आप मुग़लई खाने पर भी अपनी नज़रें तरेर सकते हैं। ये दोनों ही किस्म का खाना आपको मीरा होटल में मिल जाएगा।

राजस्थान में ठेठ राजस्थानी ज़ायके वाला खाना आपको बस्सी फोर्ट पैलेस और प्रताप पैलेस में बहुत आसानी से उपलब्ध है।

कैसे पहुँचें चित्तौड़गढ़

राजस्थान के पास अपना रेलवे स्टेशन भी है, एयरपोर्ट भी है और सड़क के रास्ते तो आप आ ही सकते हैं।

बस के रास्ते : दिल्ली से चित्तौड़गढ़ के लिए लगातार बसें चलती रहती हैं। आप किसी भी समय वहाँ से बस पकड़ सकते हैं। बस का किराया लगभग ₹450 के आसपास रहेगा।

ट्रेन के रास्ते : चित्तौड़गढ़ के लिए ट्रेन का सफ़र बहुत सुविधाजनक रहेगा। यह सफ़र लगभग 9:30 घंटे में आप पूरा कर सकते हैं। किराया लगभगव ₹400 तक रहेगा।

फ़्लाइट के रास्ते: दिल्ली से उदयपुर के रास्ते आप चित्तौड़गढ़ पहुँच सकते हैं जिसका किराया लगभग ₹2000 तक लगेगा।

चित्तौड़गढ़ में कहाँ ठहरें

चित्तौड़गढ़ में आपके रुकने के लिए कई सारे होटल मौजूद हैं। आपको आसानी से चेतक होटल, भगवती होटल, होटल प्रताप पैलेस में रहने के लिए जगह मिल जाएगी।

तो आप कब चित्तौड़ के इतिहास को अपनी यात्रा का हिस्सा बनाने वाले हैं? अपना अनुभव Tripoto पर लिखा ना भूलें। अपना सफरनामा लिखने के लिए यहाँ क्लिक करें

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