आपने गाड़ियों के डैशबोर्ड पर देवताओं की तस्वीरें लगी देखी होंगी |
कोई रियर व्यू मिरर पर देवी की लाल चुन्नी बांधता है |
कई ड्राइवर लंबे रूट पर गाड़ी चलाने से पहले गाड़ी मे कुछ देर भजन चलाते हैं |
ऐसा इसलिए क्योंकि गाड़ी चलाना रिस्की काम है | हर साल लगभग 2 लाख लोग रोड एक्सीडेंट में मारे जाते हैं |
सन् 1991 में हुए ऐसे ही एक जानलेवा एक्सीडेंट में राजस्थान के पाली जिले के ओम सिंह राठौड़ की मौत हो गयी थी |
जहाँ ओम का एक्सीडेंट हुआ था, वहाँ आज उनका एक छोटा सा मंदिर है | मंदिर में ओम की तस्वीरों के पास ही उनकी बुलेट रखी हुई है, जिस पर हज़ारों लोग मन्नत के लाल धागे बाँध कर जाते है |
आज उनकी आत्मा लोगों को हाइवे पर होने वाले एक्सीडेंट से बचाती है | कई लोगों ने रात में ओम सिंह राठौड़ के मंदिर के पास से जाते हुए उनकी परछाई देखने की बात कही है |
कहाँ है ये मंदिर
पाली-जोधपुर हाइवे पर चोटिला गाँव में सड़क किनारे एक पेड़ के पास पत्थर का चबूतरा बना है |
चबूतरे पर ओम सिंह राठौड़ की तस्वीरें रखी हैं | तस्वीरों के पास उनकी बुलेट भी है, जिसे ओम का ही रूप समझा जाता है |
ये मंदिर जोधपुर से 53 कि.मी. दूर है |
कौन है ओम सिंह राठौड़
ओम सिंह राठौड़ को लोग इज़्ज़त से 'ओम बन्ना' भी कहते हैं | राजपूतों में जवान लड़के को बन्ना कहा जाता है |
ओम बन्ना पाली जिले के चोटिला गाँव के ठाकुर जोग सिंह जी राठौड़ का बेटा था | बन्ना के पास 350 सीसी की एक बुलेट थी |
करामाती मोटरसाइकिल की कहानी
चोटिला के आस-पास मोटरसाइकिल से कहीं जाते हुए ओम बन्ना सड़क किनारे उगे पेड़ से जा टकराए और उनकी मौके पर ही मौत हो गई। शिनाख्त करने के लिए पुलिस वाले उनकी मोटरसाइकिल थाने में ले गए| मगर रात को मोटरसाइकिल अपने आप उसी पेड़ के पास पहुँच गयी, जहाँ ओम बन्ना का एक्सीडेंट हुआ था | पुलिस वाले इस बात से काफ़ी हैरान हुए | मोटर साइकिल को फिर से थाने लाया गया और इस बार ज़ंजीर से बाँधा गया | कहते हैं कि ज़ंजीर के रहते मोटरसाइकिल कहीं जा तो नहीं पाई, मगर रात को अपने आप ही स्टार्ट हो गयी |
मंदिर कैसे बना?
करामाती मोटरसाइकिल के किस्से आस-पास के गाँवों में आग की तरह फैल गए | उसी दौरान ओम बन्ना की माँ ने कहा कि उन्होनें सपने में ओम बन्ना को देव स्वरूप में देखा है | इन घटनाओं के चलते सड़क किनारे पेड़ के पास ही ओम बन्ना की याद में एक चबूतरा बनवा दिया गया, जहाँ उनकी बुलेट रख दी गयी |
ओम बन्ना की आत्मा
मंदिर के पास से जाने वाले कई लोगों ने ओम बन्ना की परछाई देखने की बात कही है | इसके अलावा आस-पास के गाँव वाले बताते हैं कि बन्ना ने उनकी काफ़ी मदद की है | कईयों को एक्सीडेंट से भी बचाया है |
बन्ना की मौत के वक़्त चोटिला की इस सड़क पर खूब एक्सीडेंट होते थे | अब यहाँ एक्सीडेंट्स ना के बराबर हो गये हैं |
मंदिर की मान्यता
मंदिर के आस-पास के गाँव वाले तो बन्ना को ही अपना भगवान समझते हैं | मगर इनके अलावा राजस्थान के दूर-दराज के इलाक़ों से भी लोग यहाँ आकर बुलेट की पूजा करते हैं और बाइक पर मन्नत का लाल धागा बाँधते हैं | लोग कहते हैं कि यहाँ माँगी हुई मन्नतें ज़रूर पूरी होती हैं |
पास के थाने में जब भी नयी भर्ती होती है, तो पुलिस वाले इस मंदिर में धोक लगाने (प्रार्थना करने) ज़रूर आते हैं |
मंदिर के रास्ते निकलने वाले वाहन यहाँ रुक कर सिर झुकाते हैं | ऐसा नहीं करने पर माना जाता है कि वाहन के रास्ते में जानलेवा रुकावटें आ सकती हैं |
मंदिर में बुलेट की आरती करने के लिए बन्ना के परिवार वालों के अलावा एक पुजारी भी है | मंदिर के आस-पास पूजा के सामान, प्रसाद और ओम बन्ना को समर्पित लोक गीतों की दुकानें लगी हैं |
तो अगली बार जोधपुर घूमने जाना हो तो इस अनोखे मंदिर में ज़रूर होकर आना, जहाँ बुलेट की पूजा होती है |