यह चमत्कारी मंदिर हमारी सीमा की सुरक्षा करता हैं

Tripoto

मारवाड़ के कुछ ऐसे मंदिरो की ओर जो कि अपने आप मे कई आश्चर्यजनक तथ्य छिपाये एवं अनोखापन लिए हुए हैं और इन्ही वजह से ये मंदिर श्रद्धालुओं के लिए धार्मिक आस्था एवं विश्वास का प्रतीक बन गए हैं।

सनातन धर्म मे मंदिरों की परंपरा काफी पुरानी हैं और इतनी पुरानी कि इसका अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता हैं। कई सैकड़ों वर्षो पुराने मंदिर आज भी भारत मे मौजूद हैं।नए -पुराने सभी को मिलाकर करीब दो मिलियन से ज्यादा मंदिर भारत मे मौजूद हैं।

हम चलते है -पाकिस्तान बॉर्डर पर स्थित ' तनोट माता मंदिर ' :

जैसलमेर मे एक दिन सिटी टूर करके एवं एक दिन सम के रेगिस्तान मे जीप सफारी -कैमल राइड करके और साथ ही साथ कुलधरा के सुने गलियारे भटक के ,तीसरे दिन आप जा सकते है जैसलमेर से 125 किमी की दूरी पर स्थित 'तनोट माता मंदिर (तनोटराय माता मंदिर) '

आप सोचेंगे मंदिर ही तो है,अन्य मंदिरों की तरह दर्शन करो ,आस्था से प्रसाद चढ़ाओ, मन्नत मांगो आदि-आदि। बात भी सही हैं ,है तो यह एक सामान्य मंदिर की तरह ही। लेकिन जब आप देखते है इस पुरे मंदिर के मुख्य दरवाजे से लेकर ,अंदर धर्मशाला ,मंदिर कार्यालय और यहाँ तक की पुजारी भी आर्मी के नौजवान तो फिर इस मंदिर का इतिहास जानना तो बनता हैं।

जैसलमेर से रेगिस्तान के धोरो से गुजरते हुए ,बिना मुड़ाव की सीधी सीधी सड़को से गुजरते रामगढ होते हुए कुछ ही घंटो मे आप इस मंदिर तक पहुंच सकते हैं। जोधपुर से जैसलमेर एवं जैसलमेर से तनोट माता का रास्ता रोड ट्रिप के लिए स्वर्ग जैसा हैं।गाडी चलेगी 100 प्लस पर। ना कोई रुकावट ,दूर दूर तक ना स्पीड ब्रेकर ,ना कोई आबादी वाला इलाका। बस रेतीले इलाके ,कुछ झाडिया ,सड़क किनारे टहलते कुछ ऊंट एवं हिरन और पवन चक्किया। फ़िलहाल इस समय रामगढ होकर जाने वाले पुरे रास्ते पर कार्य चल रहा है ,तो आपके करीब 2 से 3 घंटे फ़ालतू ख़राब हो सकते हैं ,कुछ जगह आपकी गाडी रेत मे फंस सकती हैं और बार बार गाडी को डायवर्सन वाले रूट से ले जा ले जा कर आप चिड़चिड़े हो सकते हैं। अच्छा होगा कि कुछ महीने सम से 'लोंगेवाला' वाला रूट आप पकड़ ले।

तनोट गांव पहुंचते ही आपकी गाडी सीधे इस मंदिर के बाहर ही आकर रुकेगी। पाकिस्तान सीमा यहाँ से 20 किमी ही दूर हैं तो आर्मी के जवान आपका व्यवहार सदिग्ध लगने पर आपसे पूछताछ भी कर सकते हैं तो आपके पास आपके id कार्ड हमेशा साथ होना जरुरी हैं। गाडी को साइड मे ही बने प्रांगण मे पार्क करके बड़े से गोल्डन दरवाजे के पास के छोटे से दरवाजे से आप अंदर प्रवेश करेंगे। अंदर प्रवेश होते ही विशाल खुला प्रांगण मे आप खुद को पाएंगे। जहा दायी तरफ मंदिर मुख्यालय ,बायीं और विजयस्तम्भ ,बीच मे बंद कुंआ और सामने दिखेगा दूध सा सफ़ेद चमकता हुआ मंदिर। अंदर प्रवेश होते ही आप पहुंचेंगे करीब 200 मीटर लम्बे बंद प्रांगण ,जिसके मध्य मे रेलिंग लगी हुई है,एक तरफ आने वालो के लिए दूसरी तरफ जाने वालो के लिए।

मुख्य मंदिर -तनोट राय माता

Photo of Tanot Mata Mandir, Tanot Road, Tanot, Rajasthan, India by Rishabh Bharawa

प्रवेश करते करते ही आँखों के एक दम सामने आपको माता का दर्शन हो जायेगा।आप पाएंगे आर्मी (BSF) के हट्टे कट्टे जवान भक्तो से प्रसाद एवं अगरबत्ती लेकर अंदर चढ़ायेगे।इसी प्रांगण मे एक हवन कुंड भी बना हैं। माता की मूर्त के सामने एवं इस हवनकुंड के दोनों तरफ एक छोटा सा खुला म्यूजियम भी हैं। जिसमे इस मंदिर से जुडी कुछ तस्वीरें ,भारत पाक के युद्ध के समय की कुछ तस्वीरें ,जानकारी के साथ रखी हैं। उन्ही के निचे दिखेंगे कुछ बम और गोले।

Photo of यह चमत्कारी मंदिर हमारी सीमा की सुरक्षा करता हैं by Rishabh Bharawa

क्यों विश्वप्रसिद्द हैं यह मंदिर :

1965 के भारत पाक युद्ध मे पाक ने भारत पर करीब 3000 बम एवं गोले दागे थे ,जिनमे से कुछ इस मंदिर के प्रांगण एवं आसपास के इलाके मे गिरे थे। पर आश्चर्य की बात यह हुई कि उनमे से एक भी बम या गोला यहाँ फट नहीं सका और तो और रात के अँधेरे मे पाकिस्तान के सेनिको ने खुद के सेनिको को भारतीय समझ कर उनपर ही गोलीबारी कर दी।इस मंदिर का चमत्कार तभी से सभी के सामने आया। चमत्कार यही नहीं रुके। 1971 के युद्ध मे यहां से 20 किमी दूर 'लोंगवाला सीमा ' से कई पाक टेंकर अंदर प्रवेश करने लगे। लेकिन वो भी सब के सब वही रेत मे धंस गए ,जिन्हे बाद मे इंडियन आर्मी ने परास्त कर दिए। लोंगेवाला वॉर मेमोरियल पर पड़े कुछ पाकिस्तानी टैंकर शायद उसी दौरान के होंगे। इसी जीत के बाद इस मंदिर प्रांगण मे प्रवेश द्वार पर विजय स्तम्भ बनाया गया।

विजय स्तम्भ -तनोट राय माता

Photo of यह चमत्कारी मंदिर हमारी सीमा की सुरक्षा करता हैं by Rishabh Bharawa

कहा जाता है इस पूरी सीमा की रक्षा तनोट माता ही करती हैं। सभी चमत्कारों को देख , आर्मी से यहाँ मंदिर को अच्छे से विकसित कर इसे आम जनता के लिए खोल दिया।1965 युद्ध के बाद पाकिस्तानी ब्रिगेडियर शाह नवाज से इस मंदिर के चमत्कार को सुन भारतीय सरकार से इस मंदिर के दर्शन की अनुमति मांगी। करीब ढाई साल तक मशक्कत करने के बाद उन्हें यह अनुमति मिली फिर उन्होंने यहाँ दर्शन कर चांदी का एक छत्र भी चढ़ाया।

मंदिर के दूसरी ही तरफ एक छोटा सा मंदिर भी हैं ,जिसमे प्रवेश करते ही आप अपने चारो और सफ़ेद रंग के रूमाल ही रूमाल पाएंगे। श्रद्धालु इस मंदिर मे अपनी मन्नत पूरी होने की चाह मे यहाँ रुमाल बांधते हैं ,एवं मन्नत पूरी होने पर वापस खोल कर ले जाते हैं। तनोट माता मंदिर मे दिन मे तीन बार आरती होती हैं जो कि BSF के नौजवान ही करते हैं। नवरात्रा मे यहाँ भव्य मेला भी लगता हैं। यही आपके रहने के लिए धर्मशाला भी बनी हुई हैं। यहाँ से आप भारत पाक सीमा के नजदीक जाने की अनुमति भी प्राप्त कर सकते हैं। अनुमति के लिए आपको किसी उच्च पदीय आर्मी अफसर से बात करवानी पड सकती हैं ,क्योकि सामान्यत: इसकी अनुमति यहाँ दी नहीं जाती। आपको ऐसा बोल दिया जायेगा कि वहा तारबंदी के अलावा कुछ नहीं दिखेगा ,उल्टा आप पर निगरानी रखी जाएगी ,इससे आपका और हमारा दोनों का समय खराब होगा ।खैर , उनकी बात भी सही हैं।

मंदिर का इतिहास :

यहाँ पर इस मंदिर का इतिहास भी पढ़ने को मिल जायेगा। यह मंदिर 1200 साल पुराना बताया जाता हैं। तनोट माता ,हिंगलाज देवी जिनका शक्तिपीठ पाकिस्तान के बलूचिस्तान मे स्थित हैं,उन्ही का ही एक रूप हैं।आस पास के गावों मे किसी भी मांगलिक कार्यक्रम को शुरू करने से पहले यहाँ आकर दर्शन किये जाते हैं।

जैसलमेर से यहाँ पहुंचने के लिए राजस्थान रोडवेज की बसे भी चलती हैं। यहाँ आप एकाध घंटा गुजार कर 35 किमी आगे आप 'लोंगेवाला वॉर म्यूजियम ' जा सकते हैं और भारत पाक के युद्ध के समय की काफी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। वही बाहर बैठ कर 'हिंदुस्तान का आखरी कैफ़े-लोंगेवाला कैफ़े ' पर चाय कॉफ़ी या कोल्ड ड्रिंक का आनंद ले सकते हैं। हां ध्यान रहे ,वहा पार्किंग के दौरान गाडी रेत मे धंस सकती हैं ,जैसा मेरे साथ हुआ था ,बड़ी मशक्कत के साथ आर्मी के जवानो ने मेरी गाडी निकलवाई।

लोंगेवाला युद्ध स्थल पर रखा पाकिस्तानी टैंक

Photo of Longewala, Rajasthan, India by Rishabh Bharawa

लोंगेवाला मे कैफ़े

Photo of Longewala, Rajasthan, India by Rishabh Bharawa

कैसे पहुंचे - जैसलमेर से रोडवेज बस मे बैठकर आप यहा आ सकते हैं। आप जैसलमेर शहर से कैब या बाइक रेंट पर लेकर रोड ट्रिप भी कर सकते हैं।

-ऋषभ भरावा (लेखक ,पुस्तक -'चलो चले कैलाश' )

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