![Photo of गुरुद्वारा करतारपुर साहिब पाकिस्तान की यात्रा by Dr. Yadwinder Singh](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/img/1609956/TripDocument/1700113410_1700113347394.jpg)
गुरुद्वारा करतारपुर साहिब पाकिस्तान के नारोवाल जिले में भारत- पाकिस्तान सरहद से चार किलोमीटर दूर रावी नदी के उसपार बना हुआ है| करतारपुर साहिब से जिला मुख्यालय नारोवाल की दूरी 17 किलोमीटर, पाकिस्तानी पंजाब की राजधानी लाहौर से दूरी 120 किमी और अमृतसर से दूरी 55 किमी है| सिख ईतिहास में गुरुद्वारा करतारपुर साहिब का बहुत महत्व है कयोंकि सिखों के पहले गुरु नानक देव जी ने अपने जीवन के आखिरी 18 साल इसी जगह पर बिताए| करतारपुर को गुरु नानक देव जी ने बसाया| करतारपुर साहिब में ही गुरु नानक देव जी 22 सितम्बर 1539 ईसवीं में 70 वर्ष की उम्र में जयोति जोत समा गए| करतारपुर साहिब में ही गुरु नानक देव जी ने 17 साल 7 महीने खेती की आज भी करतारपुर साहिब गुरुद्वारा के साथ आप गुरु जी के खेत देख सकते हो| गुरुद्वारा करतारपुर साहिब 50 एकड़ में बना हुआ है| 150 एकड़ जमीन गुरुद्वारा करतारपुर साहिब के नाम लगी हुई है| करतारपुर साहिब में ही दूसरे सिख गुरु अंगद देव जी गुरु नानक देव जी से मिले थे जिनको गुरु नानक देव जी ने अपना अगला उत्तराधिकारी चुना था| करतारपुर साहिब की मौजूदा ईमारत का निर्माण पटियाला रियासत के महाराजा भूपेंद्र सिंह ने करवाया था| गुरुद्वारा करतारपुर साहिब में गुरु नानक देव जी की एक समाधि और एक मजार बनी हुई है| करतारपुर साहिब की पहली मंजिल में गुरु ग्रंथ साहिब का प्रकाश किया हुआ है|
![Photo of Kartarpur Sahib Road by Dr. Yadwinder Singh](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/img/1609956/SpotDocument/1700112148_1700112124550.jpg.webp)
गुरु नानक देव जी हिन्दू और सिखों के गुरु थे और मुसलमानों के पीर थे| ऐसा कहा जाता है कि आप गुरु नानक देव जी ज्योति जोत समाए थे तब वह एक चादर लेकर लेट गए| हिन्दू गुरु नानक देव जी का संसकार करना चाहते थे और मुसलमान गुरु नानक देव जी को दफनाना चाहते थे| अभी इस बात के ऊपर चर्चा चल ही रही थी जब उन्होंने गुरु नानक देव जी के ऊपर ली हुई चादर को उठाया तो देखा उस चादर के नीचे कुछ फूल थे| फिर हिन्दू और मुसलमानों ने उस चादर के दो हिस्से करने के बाद आपस में बांट दिए| हिन्दू और सिखों ने उस चादर का अंतिम संस्कार करने के बाद वहाँ गुरु नानक देव जी की समाधि बना दी जो गुरुद्वारा करतारपुर साहिब में बनी हुई है| मुसलमानों ने उस पवित्र चादर को दफनाने के बाद मजार बना दी जिसको मजार साहिब कहा जाता है जो अभी भी गुरुद्वारा करतारपुर साहिब में बनी हुई है| गुरुद्वारा करतारपुर साहिब में ही एक पवित्र कुआँ बना हुआ है ऐसा माना जाता है कि इस कुएँ के पानी से ही गुरु नानक जी अपने खेतों को पानी लगाते थे| आप गुरुद्वारा करतारपुर साहिब में गुरु जी की समाधि, मजार, कुएं, खेत आदि के दर्शन कर सकते हो| इसके साथ गुरुद्वारा करतारपुर साहिब में पहली मंजिल पर गुरु ग्रंथ साहिब जी के दर्शन कर सकते हो|
![Photo of करतारपुर by Dr. Yadwinder Singh](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/img/1609956/SpotDocument/1700112250_1700112245000.jpg.webp)
![Photo of करतारपुर by Dr. Yadwinder Singh](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/img/1609956/SpotDocument/1700112255_1700112245090.jpg.webp)
9 नवंबर 2023 को हम रात को डेरा बाबा नानक जिला गुरदासपुर पहुँच गए थे| अगले दिन 10 नवंबर 2023 को मैंने अपनी वाईफ और बेटी के साथ गुरुद्वारा करतारपुर साहिब पाकिस्तान के दर्शन के लिए जाना था| इसके लिए मैंने रजिस्टरेशन पहले से ही करवा रखी थी| 10 नवंबर 2023 सुबह उठकर तैयार होकर गुरुद्वारा दरबार साहिब डेरा बाबा नानक में माथा टेकने के बाद आठ बजे के आसपास हम डेरा बाबा नानक के सरकारी अस्पताल की ओर चल पड़े| उस दिन आसमान काले बादलों से घिरा हुआ था बिजली चमक रही थी और तेज बारिश हो रही थी| बारिश में ही गाड़ी चलाकर मैं सरकारी अस्पताल में पहुंचा जहाँ हमे 72 घंटे वाला कोशिश टेस्ट करवाना था| मात्र दस रूपये की पर्ची कटवाने के बाद हम तीनों ने तीस रुपये में कोशिश टेस्ट करवाया रिपोर्ट नेगेटिव आई| उस रिपोर्ट को अपने पास रखकर हम डेरा बाबा नानक के बाजार की ओर चल पड़े| बारिश काफी तेज हो रही थी मुझे यह डर था कि बारिश में भीग कर मेरी तीन साल की बेटी नव किरन बीमार न हो जाए तो मैंने डेरा बाबा नानक के बाजार में 250 रुपये का छाता खरीद लिया| अब हम करतारपुर साहिब कोरिडोर की तरफ चल पड़े| कोरिडोर की पार्किंग के पास फौज ने हमारी गाड़ी का नंबर नोट किया | हमारे ETA फार्म देखे जो करतारपुर साहिब की यात्रा की बुंकिग के बाद मिलते हैं | फिर मेरे डराईविंग लाईसेंस नंबर को नोट किया| 50 रुपये की पर्ची कटवाने के बाद हमने अपनी गाड़ी को कोरिडोर की पार्किंग में लगा दिया|
पार्किंग से चलकर हम आगे चल पड़े | वहाँ करतारपुर साहिब के लिए लंगर का सामान लेने के लिए एक दुकान बनी हुई है| वहाँ से हमने 800 रुपये का लंगर के लिए सामान खरीदा जिसमें दाल, तेल, नमक, सोयाबीन आदि शामिल थे| आगे हमने अपने पासपोर्ट, आधार कार्ड और ETA फार्म चैक करवाए | फिर हमने करतारपुर साहिब कोरिडोर में प्रवेश कर लिया| यहाँ हमें पोलियो की बूंदें पिलाई गई कयोंकि पाकिस्तान में अभी तक पोलियो खत्म नही हुआ है| बाद में हमारा सामान चैक हुआ | फिर हम एयरपोर्ट की तरह ईमिग्रेशन काऊंटर पर पहुँच गए| ईमिग्रेशन कलीयर करने के बाद हमने एक फार्म भरा जिसमें हमने लिखा हम कितने लोग है, हमारे पास कितने बैग है और कितने पैसे है| भारतीय फौज के अधिकारियों ने हमें कहा कि आपने वहाँ से पाकिस्तानी करंसी को साथ नहीं लेकर आना इसकी सजा आपको जेल भेज सकती है| हमने कहा ठीक है| फिर हम ई रिक्शा में बैठ कर भारत- पाकिस्तान जीरो लाईन पर पहुँच गए| जहाँ हमारे पासपोर्ट और फार्म फिर चैक हुए| उसके बाद हम पैदल चलकर भारत- पाकिस्तान जीरो लाईन को पार करने के बाद पाकिस्तान में प्रवेश कर गए| बारिश ने हमारा पाकिस्तान में स्वागत किया| फिर पाकिस्तान की एसी कोच बस में बैठकर हम पाकिस्तान ईमिग्रेशन काऊंटर पर पहुंचे| पहले हमें 20 अमरीकी डालर का भुगतान करने के बाद एक पर्ची दी गई| फिर ईमिग्रेशन काऊंटर पर हमारे पासपोर्ट को चैक किया गया| उसके बाद हमारे बीस डालर की पर्ची पर एक मोहर लगा दी गई| फिर हमारा सामान चैक करने के बाद हमारे गले में पीले रंग का यात्री कार्ड डाल दिया| हम दुबारा फिर उसी बस में बैठ कर गुरुद्वारा करतारपुर साहिब की ओर चल पड़े| रास्ते में हमने रावी नदी के ऊपर बने एक विशाल पुल को पार किया| बस में बैठी संगत गुरु नानक देव जी के भजन गा रही थी| कुछ देर बाद हमारी बस करतारपुर साहिब के दर्शनी डयूढ़ी पर पहुँच गई| हम बस से उतर कर करतारपुर साहिब की डयूढ़ी में प्रवेश कर गए| फिर हमने गुरुद्वारा के जोड़ा घर में अपने जूते जमा करवा दिए| लंगर के लिए जो राशन हम लेकर गए थे उसको हमने सामने बने एक काऊंटर पर जमा करवा दिया| हमने सुबह की चाय ही पी थी कुछ खाया नही था तो भूख लगी हुई थी| पहले हम लंगर हाल की तरफ चल पड़े| गुरु के लंगर में हमने काबुली चने की सबजी, नमकीन चावल, मीठे चावल के साथ चाय का आनंद लिया| गुरुद्वारा करतारपुर साहिब 50 एकड़ में बना हुआ है| गुरुद्वारा साहिब की ईमारत एक विशाल आंगन के बीच में बनी हुई है|
![Photo of गुरुद्वारा करतारपुर साहिब पाकिस्तान की यात्रा by Dr. Yadwinder Singh](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/img/1609956/SpotDocument/1700113095_1700113041171.jpg.webp)
लंगर छकने के बाद हम गुरुद्वारा करतारपुर साहिब में माथा टेकने के लिए गए| बाहर बारिश हो रही थी तो हम छाता लेकर गुरुद्वारा साहिब के आंगन में चलते हुए करतारपुर साहिब आ जाते हैं| गुरु घर के अंदर प्रवेश करने के बाद हमने सबसे पहले गुरु नानक देव जी की समाधि के दर्शन किए| गुरु नानक देव जी करतारपुर साहिब में ज्योति जोत समाए थे यहाँ पर ही उनका अंतिम संस्कार हुआ है| हिन्दू और सिख श्रदालुओं ने समाधि बनाई थी| फिर हम करतारपुर साहिब के अंदर सीढ़ियों को चढ़कर पहली मंजिल पर चले गए| करतारपुर साहिब की पहली मंजिल पर गुरु ग्रंथ साहिब का प्रकाश किया गया है| हमने बाबा जी को माथा टेका | गुरु नानक देव जी को समर्पित पवित्र गुरबाणी कीर्तन चल रहा था| हमने आधा घंटे यहाँ बैठकर गुरबाणी कीर्तन सुनकर गुरु चरणों में हाजिरी भरी| फिर हमने बाबा जी से प्रसाद लिया| वापस गुरु घर के आंगन में गुरु नानक देव जी की मज़ार के दर्शन किए जिसको मुसलमानों ने गुरु जी के सम्मान में बनाया था| उसके बाद हमने गुरु नानक देव जी के पवित्र कुएं के दर्शन किए| इस पवित्र कुएं के ऊपर पाकिस्तान सरकार द्वारा एक शानदार फिलटर लगाया गया है| वहाँ पर कुएं के पवित्र जल से भरी हुई बोतलें रखीं हुई थी| मैंने वहाँ से दो बोतलें ले ली और सेवादार को पाकिस्तानी करंसी का 100 रुपये का नोट दे दिया| गुरुद्वारा करतारपुर साहिब के दर्शन करने के बाद मन निहाल हो गया| अब हमने गुरुद्वारा करतारपुर साहिब में कुछ यादगार फोटोग्राफी की| अब बारिश रुक चुकी थी| दोपहर का एक बज रहा था|
![Photo of गुरुद्वारा करतारपुर साहिब पाकिस्तान की यात्रा by Dr. Yadwinder Singh](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/img/1609956/SpotDocument/1700113612_1700113571570.jpg.webp)
हम गुरुद्वारा करतारपुर साहिब में बनी हुई मार्केट में चले गए| यहाँ मैंने अपनी माता, वाईफ और बहन के लिए पेशावर की मशहूर पलच्छी कपड़े के सूट खरीदे| पाकिस्तानी दुकानदारों से पंजाबी भाषा में बातचीत की| एक दुकान से मैंने मुलतान का मशहूर सोहन हलवा और बादाम खरीदे| दुकानदार ने हमें पाकिस्तानी स्मोसे खिलाए| मार्केट में घूमते समय काफी पाकिस्तानी लोगों ने हमारे साथ बातचीत की| हमें वहाँ पर दो लड़के मिले जो नारोवाल से आए हुए थे| उन्होंने हमें बताया जब हम छोटे थे तब हमारे टीवी पर डीडी नैशनल आता था जिसपर हम चित्रहार और रात को आने वाली भारतीय फिलम देखते थे| पाकिस्तान में भी लोग सिद्धु मूसेवाला के फैन है| उसने बताया हमारी गाडियों में मूसेवाला की तस्वीर लगी हुई है और हम उसके गाने भी सुनते हैं| फिर हमने सारी मार्केट का चक्कर लगाया | आखिर में हमने एक दुकान पर चाय की | जब हम चाय पी रहे थे तो दो पाकिस्तानी लड़कें हमारे पास आए | उन्होंने हमे बताया हम सरगोधा जिले से आए हैं और बंटवारे के समय हमारे पुरखें रोहतक जिले से पाकिस्तान आए हैं| मैंने उनको बताया रोहतक दिल्ली के पास है और अब हरियाणा राज्य में है| उन्होंने ने दुकान वाले को कहा इनकी चाय के पैसे हम देगें| मैंने कहा भाई मैंने पैसे दे दिए है| वह बोले फिर कया हुआ पैसे वापस भी हो जाऐंगे| दुकानदार ने हमें पैसे वापस कर दिए और उन दोनों ने हमारी चाय के पैसे दे दिए| फिर हमारी दोनों देशों के बारे में पंजाब और क्रिकेट के बारे में बातचीत हुई| फिर हमने अलविदा कहा| दोपहर के तीन बज रहे थे| चार बजे तक हमें वहाँ से वापस भारत आना था| दुबारा फिर हम करतारपुर साहिब गुरुद्वारा में माथा टेकने गए| तकरीबन साढ़े तीन बजे के आसपास हम दर्शनी डयूढ़ी पर आ गए| जहाँ से बस में बैठ कर पाकिस्तान ईमिग्रेशन काऊंटर पर पहुँच गए| वहाँ पर हमने अपने पीले रंग के यात्री कार्ड जमा करवा दिए| 20 डालर वाली पर्ची के ऊपर मोहर लगा कर पासपोर्ट चैक करवाने के बाद हम बस में बैठ कर भारतीय सरहद के पास आ गए| 20 डालर वाली पर्ची पाकिस्तान ईमिग्रेशन ने अपने पास ही रख ली| पैदल चलकर भारत पाकिस्तान सरहद जीरो लाईन को पार करने के बाद हम भारत वापस आ गए| दुबारा पासपोर्ट और सामान चैक करवाने के बाद हम कोरिडोर की पार्किंग में पहुँच गए| अपनी गाड़ी उठाकर करतारपुर साहिब की सुनहरी यादों को अपने साथ लेकर हम डेरा बाबा नानक की ओर चल पड़े| इस तरह हमारी करतारपुर साहिब पाकिस्तान यात्रा का समापन हो गया|
![Photo of गुरुद्वारा करतारपुर साहिब पाकिस्तान की यात्रा by Dr. Yadwinder Singh](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/img/1609956/SpotDocument/1700114472_1700114469773.jpg.webp)